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Updated: 30 अक्टूबर, 2015 06:25 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
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एक के बाद अभी नहीं, दो के बाद कभी नहीं!

यह नारा भारत में इमरजेंसी दौर के बाद तब चर्चित हुआ जब इंदिरा गांधी की जनसंख्या विस्फोट रोकने के लिए जबरन नसबंदी कराने की मुहिम औंधे मुंह गिर गई. नतीजतन तेजी से बढ़ती जनसंख्या के बावजूद भारत में शादी-शुदा जोड़ों का बच्चे पैदा करने का प्राकृतिक अधिकार सुरक्षित रहा. हालांकि, जनसंख्या विस्फोट की ही समस्या से जूझ रहे पड़ोसी मुल्क चीन ने 1980 में इंदिरा के नसबंदी कार्यक्रम में फेरबदल कर अपने नागरिकों को मात्र एक बच्चा पैदा करने का कानून बना दिया. फिलहाल चीन में यह कानून लागू है.

35 साल तक इस नीति पर चलने के बाद चीन को उम्मीद से अलग डेमोग्राफिक आंकड़े मिले. जिसके चलते उसने बुधवार को एक बच्चा पैदा करने की दशकों पुराने कानून को वापस लेने का फैसला कर लिया है. लिहाजा अब जल्द ही चीन में दंपतियों को दो बच्चे रखने की अनुमति मिल जाएगी. चीन सरकार का यह कदम साहसिक है, हालांकि नीतिगत फैसले चीन में हमेशा पूरी साहस के साथ किए जाते रहे हैं. इस फैसले में साहस भिन्न है, क्योंकि यह फैसला दिखा रहा है कि चीन में नागरिक का अधिकार सामान्य होने की शुरुआत हो रही है.

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इसके उलट भारत में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की मार्गदर्शक संस्था राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) एक बार फिर इंदिरा गांधी की नीति पर गौर कर रही है. बढ़ती जनसंख्या को एक दायरे में बांधने के लिए आरएसएस नागरिकों के इस प्राकृतिक अधिकार पर अंकुश लगाने की वकालत कर रही है. हाल ही में विजयदशमी के पर्व पर शाखा का संचालन करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने केन्द्र सरकार से अपील की है कि देश में दशक-दर-दशक मिल रहे डेमोग्राफिक आंकड़े भयावह हैं. लिहाजा, इन आंकड़ों को देखते हुए देश में जनसंख्या वृद्धि रोकने के लिए एक नई नीति की जरूरत है.

हाल में जारी 2011 जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, देश की मुस्लिम जनसंख्या साल 2001 से 2011 के बीच 0.8 फीसदी बढ़ी है जिससे कुल जनसंख्या में मुस्लिम 14.23 फीसदी हो गए हैं. हालांकि साल 1991 से 2001 के बीच यह वृद्धि 1.73 फीसदी थी और कुल जनसंख्या में मुस्लिम 13.43 फीसदी थे. साल 2011 जनगणना के आंकड़े यह भी दिखा रहे हैं कि आजादी के बाद से कुल जनसंख्या में हिंदुओं की संख्या 5.75 फीसदी कम हुई है जबकि मुस्लिम जनसंख्या में 4 फीसदी से अधिक की बढ़त दर्ज हुई है.

संघ प्रमुख मोहन भागवत भागवत की दलील है कि इन चौंकाने वाले आंकड़ों को देखते हुए राजनीतिक दलों को वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठने की जरूरत है. लिहाजा, हमें धर्म से ऊपर उठ कर देश के हित में एक समग्र नीति बनाने की जरूरत है.

आरएसएस के इस तर्क का जवाब किसी तर्क से ही जा सकता. इसके लिए जरूरी है कि सरकार मजबूत प्रतितर्क को आधार बनाकर आर्थिक और सामाजिक हित में ही फैसला ले. कहीं ऐसा न हो कि कुछ दशकों में चीन जैसी जनसंख्या विसंगतियां हमारे भी सामने खड़ी हों.

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लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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