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Updated: 12 जून, 2019 11:13 AM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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वैसे अभिनेता ऋतिक रौशन की बहन को कोई जानता नहीं है लेकिन पिछले कुछ दिनों से वो चर्चा में बनी हुई हैं. ऋतिक की बड़ी बहन Sunaina Roshan के बारे में खबरें थीं कि वो गंभीर रूप से बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती हैं. उन्हें bipolar disorder है वगैरह-वगैरह. लेकिन अफवाहों की उम्र बहुत लंबी नहीं होती. सुनैना ने इन खबरों का खंडन किया और कहा है कि वो स्वस्थ हैं और उन्हें बाइपोलर डिसऑर्डर नहीं है.

ट्विटर पर उन्होंने कहा कि- मैं अपने अस्पताल में भर्ती होने की खबरों से हैरान हूं. मैं तो दोस्तों के साथ पार्टी कर रही हूं.' फिर अपनी तस्वीर शेयर करते हुए सुनैना ने लिखा- क्या मैं गंभीर रूप से बीमार दिख रही हूं?

लेकिन spotboye को दिए हुए इंटरव्यू में उन्होंने अपनी परेशानी की वजह बता दी. जिसको लेकर मीडिया में ये सब कहा जा रहा था. ये वजह बहुत आम है, जिससे काफी महिलाएं जूझती हैं. और इसका असर उन महिलाओं पर थोड़ा ज्यादा होता है जो अकेली हैं, तलाकशुदा हैं और अपने मायके में रह रही हैं.

क्यों परेशान हैं सुनैना

इंटरव्यू में सुनैना ने कहा कि- 'अब मैं अपने पेरेंट्स के साथ रहना नहीं चाहती. मैं हमेशा एक शेडो के अंदर नहीं रह सकती. पैरेंट्स हमेशा यही कहते हैं, ये मत करो, ड्र‍िंक मत करो, इस लड़के से मत मिलो. मैं इन बातों से परेशान हो गई हूं. मेरे माता-पिता ओवर प्रोटेक्ट‍िव हो गए हैं.'

'मेरे पास अब पैसे नहीं हैं. मैं अंधेरी में किराए का घर लेना चाहती हूं, लेकिन इतना किराया देने के पैसे नहीं हैं. मैं अपना घर एक महीने पहले छोड़कर एक महीने तक बांद्रा के होटल में रही हूं. लेकिन घरवाले मुझे मनाकर वापस घर ले गए. मैं अब कहीं जा नहीं सकती हूं क्योंकि पैसे नहीं हैं."

"जब मेरा भाई ऋत‍िक पर‍िवार से अलग रह सकता है तो मैं ऐसा क्यों नहीं कर सकती हूं. मैं अपने परिवार को बहुत प्यार करती हूं, लेकिन मैं अब अपना घर चाहती हूं. उन्हें मुझ पर भरोसा करना होगा'

अब सुनैना को जानिए

ये सब सुनकर आप भले ही सुनैना को बिगड़ैल या एल्कोहॉलिक कहें, लेकिन उनकी परेशानी कुछ और है. सुनैना 47 साल की हैं. उन्होंने अपने पिता को कुछ फिल्मों में असिस्ट भी किया है. लेकिन अपने भाई जितनी सफल नहीं रहीं. हालांकि ऋतिक रौशन के कांधों पर तो अपनी विरासत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी थी, सो वो निभा भी रहे हैं. कभी डगमगाए तो पिता राकेश रौशन उनका साथ देते आए. लड़के का करियर तो बन गया लेकिन लड़की के मामले में थोड़े असफल रहे रौशन साहब.

sunaina roshanऋतिक रोशन ने सुनैना को काफी सपोर्ट किया लेकिन फिलहाल सुनैना कहती हैं कि कोई उनसे बात नहीं करता

सुनैना की शादी 90 के दशक में हो गई थी लेकिन 8 साल बाद तलाक हो गया. एक बच्ची भी है सुरानिका, जिसने अपने पापा के साथ रहना चुना. सुनैना फिर एक अमेरिकी बिजनेसमैन के साथ रिश्ते में रहीं लेकिन मंगनी टूट गई. 2009 में सुनैना की शादी एक व्यवसाई मोहन नागर के साथ हो गई. लेकिन ये शादी भी 2013 में टूट गई. इसके बाद से सुनैना अकेली हैं, अपने माता-पिता के साथ रहती हैं. और तलाक के बाद अपने मायके में रहने वाली महिलाओं की तरह ही सुनैना अपने माता-पिता की छाया में ही रहती हैं. अकेलेपन और टूटे रिश्तों की वजह से सुनैना को शराब पीने की आदत हो गई और इसके लिए वो कुछ महीने रिहेब में भी रहीं. उनका वजन 140 किलो तक बढ़ गया था. सर्जरी करवाकर 70 किलो किया. इन सारी परेशानियों में परिवार ने उनका साथ तो दिया, लेकिन उनपर भरोसा नहीं कर सके. 

sunaina roshanफैट से फिट होने पर सुनैना कैफी चर्चा में रही थीं

बेटियों पर भरोसा करें माता-पिता

माता-पिता अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा तो देते हैं, फिर समाज के हिसाब से शादी भी कर देते हैं. अगर रिश्ता टूट जाता है तो अच्छे माता-पिता की तरह बेटी को अपने साथ रखते भी हैं, उसका ख्याल भी रखते हैं. लेकिन उनके मन में सिर्फ यही एक बात रहती है कि कैसे भी लड़की का दोबारा घर बस जाए. माता-पिता उसे आत्मनिर्भर बनाने के बारे में कम और उसे दोबारा सैटेल करने के बारे में ज्यादा सोचते हैं. इस बीच लड़की बहुत बुरे समय से गुजरती है. मानसिक और भावनात्मक रूप से टूट चुकी होती है. वो खुद को संभालती भी है, वहीं भविष्य को लेकर चिंतित भी होती है. लेकिन माता-पिता उसे लेकर और भी ज्यादा प्रोटेक्टिव हो जाते हैं. कभी कभी माता-पिता ज्यादा ध्यान रखने के चक्कर में बेटियों के साथ सिम्पैथी रखने लगते हैं.

वहीं जल्दी शादी हो जाए तब तो ठीक है, लेकिन मायके में ज्यादा दिन रहने के बाद सब कुछ बदलने लगता है, खासतौर पर परिवार वालों का व्यवहार. भाइयों को प्रॉपर्टी को लेकर इनसिक्योरिटी शुरू हो जाती है. कहीं बहन हिस्सा न मांग ले. और जो मांग लें तो फिर देखिए सारे रिश्ते कैसे रंग बदलते हैं. ऐसे ज्यादातर मामलों में माता-पिता और भाई का व्यवहार बदलते दिखा जाता है. और हैरानी तो तब होती है जब पिता खुद बेटी को अलग-थलग कर देते हैं.

मायके में रहने वाली बेटियों की अक्सर यही स्थिति होती है. रिश्तों में असफलता झेलने वाली ये लड़कियां माता-पिता का भरोसा पाने में भी असफल हो जाती हैं.  वो आत्मनिर्भर होना चाहें, अपने हिसाब से जीवन जीना चाहें, तो भी नहीं जी पातीं, क्योंकि माता-पिता की छत्र छाया में रहती हैं. वो सारी जिंदगी अपनी बेटी को अपने संग रख तो सकते हैं लेकिन बेटियों को वो व्यवहार और वो जिंदगी नहीं दे सकते जो वो अपने बेटों को देते हैं. ज्यादातर मामलों में नतीजा यही होता है जो सुनैना रौशन के साथ हुआ. हालांकि सुनैना तो इतने बड़े परिवार से हैं, कोई कोई तकलीफ नहीं होगी. लेकिन जरा आम घरों में देखिए घर बैठी बेटियों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती.

बोटियों की खुशी चाहने वाले माता-पिता को अपनी बेटियों पर भरोसा करना होगा. अब वो वक्त नहीं कि उन्हें जिंदा रहने के लिए अपने मां-बाप पर ही निर्भर रहना होगा. उन्हें दुशवारियों से अकेला जूझने तो दें, उन्हें खुद के लिए खड़ा होने तो दें, उन्हें उनकी जिंदगी जीने की आजादी तो दें. बेटों को देते ही हैं न..फिर देखिए कोई भी लड़की अपने मातापिता से अलग नहीं होना चाहेगी.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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