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Updated: 13 नवम्बर, 2018 04:51 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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भारत में प्रेम की परिभाषा बहुत अलग तरह से लोगों को समझाई जाती है. प्रेम को त्याग, बलिदान, विष, पागलपन, अंधा और भी बहुत से पर्यायवाचियों की मदद से समझाया जाता है. ये वो देश है जहां प्यार सिर्फ अमीरों या फिर भगवानों के लिए है और बाकी तो लव मैरिज हमेशा बवाल का कारण ही बनती है. खैर, प्यार को बहुत सी भावनाओं का मिश्रण बताने वाले लोग ये नहीं बताते कि प्यार करने के फायदे कितने हैं? यहां पर बात हो रही है शारीरिक फायदों की या यूं कहें कि स्वास्थ्य वर्धक फायदों की. प्यार को सिर्फ एक अहसास समझने की गलती करना सही नहीं है. इस अहसास के कारण ही शरीर से जुड़ी कई समस्याएं ठीक हो सकती हैं.

University of Western Virginia के वैज्ञानिकों ने Behavioral Medicine पर एक रिसर्च की है. रिसर्च के मुताबिक प्यार के कारण शरीर में जो हार्मोन्स बनते हैं वो दिमाग के 12 हिस्सों के एक साथ काम करने की वजह से पैदा होते हैं. इन भावनाओं के कारण शरीर में डोपामाइन जैसे कैमिकल बढ़ जाते हैं. साथ ही ब्लड प्रेशर भी काबू में आता है.

प्यार में पड़ने से दुनिया सुहानी लगने लगती है ये लाइन फिल्मी हो सकती है, लेकिन प्यार में पड़ने से शरीर का फायदा काफी ज्यादा होता है ये भी बात सच है. रिसर्च के मुताबिक प्यार में पड़ने के 1 सेकंड से भी कम समय के अंदर दिमाग में शरीर को सेहतमंद बनाने वाले बदलाव होने लगते हैं.

हार्मोन में बदलाव का ब्लड प्रेशर पर असर

प्यार में पड़ने के तुरंत बाद शरीर में दो हार्मोन्स की संख्या बढ़ जाती है. पहला है डोपामाइन जो भावनाओं को कंट्रोल करता है और दूसरा है ऑक्सीटोसिन जिसे कडल हार्मोन भी कहा जाता है. ये हार्मोन शरीर में एंग्जाइटी कम करने में मदद करता है. यही कारण है कि इन हार्मोन्स के बदलाव के कारण शरीर में ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है.

इन हार्मोन्स के कारण ही शरीर में कई बदलाव हो सकते हैं. जैसे अगर सामने वाले का हाथ पकड़ा है तो त्वचा के प्रेशर सेंटर एक्टिवेट हो जाएंगे और दिमाग तक सिग्नल जाएगा. ये कोशिकाओं द्वारा रक्त संचालन को बेहतर बनाता है.

University of Manchester के प्रॉफेसर कैरी कूपर का मानना है कि जिंदगी में होने वाले कई बड़े बदलाव जैसे प्यार में पड़ना आदि इंसान पर सकारात्‍मक मनोवैज्ञानिक बदलाव लाते हैं.

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है..

प्यार में पड़ने के कारण इंसान का शरीर बीमारियों से बचाव के लिए तैयार होता है. 50 महिलाओं पर दो साल तक की गई एक स्टडी बताती है कि प्यार में पड़ने के कारण उनके शरीर में जो बदलाव हुए, उनके कारण ऐसे कंपाउंड बने जो वायरस से लड़ते हैं. यानी शरीर का इम्यून सिस्टम सही होता है और इन्फेक्शन आदि से बचने में मदद मिलती है.

डोपामाइन हार्मोन का बढ़ना कोशिकाओं और रोग प्रतिरोधक क्षमता से जोड़ा जाता है.

दर्द बर्दाश्त करने क्षमता बढ़ना..

सिर्फ रोग प्रतिरोधक क्षमता ही नहीं बल्कि प्यार में पड़ने के कारण इंसान के दर्द सहने की शक्ति भी बढ़ जाती है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने एक स्टडी की गई थी जिसमें लोगों के दिमाग को स्कैन किया गया था. ये टेस्ट तब किया गया था जब उन्हें उनके किसी प्यारे इंसान की फोटो दिखाई जा रही थी और उनके हाथ पर दर्द का अहसास करवाया गया था. रिसर्च का रिजल्ट ये आया कि 40 प्रतिशत दर्द सहने की क्षमता बढ़ गई. जब उन्हीं लोगों को कोई अन्य फोटो दिखाई गई तो ये असर नहीं हुआ. सिर्फ किसी चहीते इंसान की फोटो देखने से भी शरीर में डोपामाइन बढ़ने लगता है और ये किसी प्राकृतिक पेनकिलर की तरह होता है.

किस करने के फायदे..

प्यार में पड़ने के बाद किस करने के भी फायदे होते हैं. 2006 में की गई एक स्टडी Journal of Psychosomatic Research में ये कहा गया था कि 30 मिनट किस करने से शरीर में हिस्टामाइन (histamine) नामक कैमिकल बनता है और ये शरीर में होने वाली एलर्जी से बचाव करता है. ये कैमिकल किसी प्राकृतिक एलर्जी मिटाने वाली एंटीबायोटिक गोली जैसा लगता है.

साथ ही साथ इससे कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कम होता है. 2013 में Scandinavian Journal of Public Health में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक जो जोड़ा एक दूसरे को किस करता है उनका कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल हो जाता है.

एक और थ्योरी कहती है कि किस करने के कारण शरीर से निकले हुए एक तैलीय पदार्थ सीबम (Sebum) का आदान-प्रदान होता है और इससे स्ट्रेस कम होता है.

गले लगाने के फायदे..

जहां तक गले लगाने की बात है तो ये भी बहुत असर डालता है. इसके कारण ब्लड प्रेशर काबू में आता है और दिल की धड़कन नॉर्मल रहती है. University of California द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक जो लोग अपने साथी को गले लगाते हैं वो कम डिप्रेशन में जाते हैं.

तो इन सभी बातों से ये साफ होता है कि प्यार सिर्फ एक अहसास से बढ़कर नैचुरल दवा की तरह है जो यकीनन इंसानों को फायदा पहुंचाता है. कम से कम वैज्ञानिकों की नजर में तो ये सही है. पर एक बात तो है कि प्यार में पड़ने के कुछ दिन बाद लोग कुछ अन्य तरह के दर्द और तकलीफों की शिकायत करते हैं. ये वो दर्द होते हैं जो वैज्ञानिक नहीं समझ सकते. रिलेशनशिप की तकलीफों के बारे में बात करेंगे तो यकीनन कोई नई रिसर्च करनी पड़ेगी. बहरहाल, अभी के लिए तो ये सही है कि अगर कोई प्यार को फालतू कहे तो उसे ये सारी बातें बता सकते हैं.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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