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Updated: 12 जुलाई, 2018 08:42 PM
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यूनियन मिनिस्टर नितिन गडकरी के कई ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक है महामेट्रो. ये प्रोजेक्ट है नागपुर और पास के चार शहरों भंडारा, वर्धा, कटोल और रामटेक के बीच High-speed metro शुरू करने का. 16 जुलाई 2018 को इसके लिए MoU साइन किया जाएगा. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रेलवे, महाराष्ट्र सरकार और महामेट्रो (Maharashtra Metro Rail Corporation Limited) ये प्रोजेक्ट प्लान कर रहे हैं.

क्या रहेगी प्रोजेक्ट की खासियत?

इस प्रोजेक्ट में हाईस्पीड तीन कोच वाली कई ट्रेन (EMU) चलेंगी और हर शहर के बीच ऐसी चार ट्रेन चलाई जाएंगी. अभी नागपुर से रामटेक के बीच ट्रेन की स्पीड 27 किलोमीटर प्रति घंटा है और गोंदिया के बीच की स्पीड 50 किलोमीटर प्रति घंटा है. EMU के आ जाने के बाद ये 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी. अभी ये प्लान किया जा रहा है कि महामेट्रो मौजूदा ट्रैक्स, सिग्नल सर्विस और प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करेगी.

ये अपनी तरह का भारत का पहला रेल प्रोजेक्ट है और जो EMU चलाई जाएंगी वो पूरी तरह से एयरकंडीश्नर होंगी और हाई स्पीड पर चलेगीं. कब चलेंगी, दिन में कितनी बार, कितने स्टेशन, कैसा रेवेन्यू आएगा और ये सब कुछ MoU साइन होने के बाद ही पता चलेगा.

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इसी के साथ, हाई स्पीड ट्रांजिट सर्विस दिल्ली NCR के लिए भी प्लान की जा रही है और ये दिल्ली एनसीआर को पानीपत से जोड़ेगी. इस प्रोजेक्ट के लिए हरियाणा सरकार ने ऑडर भी पास कर दिया है और ऑफिसर्स को डिटेल रिपोर्ट बनाने को कहा है. ये रैपिड रेल सर्विस 111 किलोमीटर का सफर तय करेगी और इसमें से 2 किलोमीटर अंडरग्राउंड होगी. ये 60 मिनट में सफर तय कर लेगी.

ये दोनों ही प्रोजेक्ट्स बहुत अच्छे हैं और इनका इस्तेमाल करने वाले लोगों को भी फायदा होगा, लेकिन कुछ सवालों के जवाब जरूरी हैं..

1. क्या इनका किराया भी पैसेंजर ट्रेनों जैसा होगा? नागपुर वाली दो ट्रेनें जिनका उदाहरण कम स्पीड के लिए दिया गया है वो पैसेंजर हैं, इनका किराया भी बहुत कम होता है तो क्या हाईस्पीड मेट्रो का भी वैसा ही होगा कि गरीब भी सफर कर सकें?

2. अगर ये गरीबों के लिए नहीं है और किराया ज्यादा होगा तो फिर ऐसी सुविधाएं देश किसके लिए हैं? वो जो पहले ही फ्लाइट का खर्च उठा सकते हैं उन्हें क्यों ये सुविधाएं चाहिए?

3. इन सुविधाओं के लिए जो फंड लगेगा और जो समय लगेगा क्या उसे मौजूदा सुविधाओं को दुरुस्त करने में या रेलवे ट्रैक की मरम्मत के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता जिससे एक्सिडेंट की समस्या कम हो जाए?

मौजूदा समस्याएं कम नहीं हो रही हैं और रेलवे को और अन्य प्रोजेक्ट्स से लादा जा रहा है. आखिर देश बुलेट ट्रेन के लिए क्या वाकई तैयार है? इससे विकास तो दिख जाएगा, लेकिन क्या लोगों की समस्या वाकई कम होगी?

अब देश का स्टूडेंट शायद जियो इंस्टिट्यूट में पढ़ेगा, हाई स्पीड बुलेट ट्रेन की सवारी करेगा और बाकी सभी सुविधाओं का लाभ उठा सकेगा जिसकी घोषणा सरकार ने की है, लेकिन बस फर्क सिर्फ इतना है कि ये सब फायदेमंद सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए होगी जिनके पास इतने पैसे हैं और जो इसे इस्तेमाल कर सकते हैं. बुलेट ट्रेन का प्रोजेक्ट करीब 2 लाख करोड़ का है.

IIM अहमदाबाद की स्टडी के अनुसार इस ट्रेन का किराया 4000-5000 रुपए के बीच रखना होगा. अगर हर दिन 1 लाख पैसेंजर इसमें सफर करें तो. अगर कम लोग सफर करते हैं तो किराया बढ़ाने की जरूरत होगी नहीं तो सरकार को अपने प्रोजेक्ट पर घाटा उठाएगी. ये किराया मुंबई और अहमदाबाद के फ्लाइट चार्ज से भी ज्यादा है.

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए कई किसानों की जमीने ली जा रही हैं. किसानों के सवाल हैं कि जिस ट्रेन में उन्हें चढ़ना ही नहीं है उस ट्रेन के लिए उनकी जमीनों को क्यों दांव पर लगाया जा रहा है?

इंजीनियर से लेकर स्टेशन बनाने तक और इस प्रोजेक्ट को बढ़ाने तक सब कुछ अभी दांव पर ही है और ये बात भी की जा रही है कि जापान से लोन लिया जाएगा जो 50 साल के लॉक पीरियड पर रखा जाएगा. पर क्या ये इतने फायदेमंद हैं?

जमीनी सच्चाई को देखें तो गरीबों के लिए ये उतने फायदेमंद नहीं दिखते जितने महत्वांक्षी सरकार इसे समझ रही है. किसी भी हाल में पैसेंजर ट्रेन जिसमें चढ़ने वाली अधिकतर आबादी गरीब होती है उसका मुकाबला एसी वाली मेट्रो से करना बेमानी लगता है.

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