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Updated: 07 फरवरी, 2018 06:22 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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आज सुबह की शुरुआत एक बड़ी हेडलाइन से हुई. यूपी के उन्नाव में 20 लोगों को एक साथ AIDS हो गया क्योंकि किसी झोलाछाप डॉक्टर ने एक ही सुई का इस्तेमाल किया जिससे लोगों का इलाज किया जा रहा था. दिन चढ़ने पर ये आंकड़ा बढ़ गया और पता चला कि असल में 40 लोग AIDS का शिकार हो गए हैं. ये लापरवाही या झोलाछाप डॉक्टरी भारत में कोई नई बात नहीं है. स्वास्थ्य सेवा में लापरवाही की न जाने कितनी ही खबरें रोज सामने आती रहती हैं.

ये खबर उन्हीं तमाम खबरों का हिस्सा है जो सुनी-देखी-सोची जाती हैं, उनपर चिंता जाहिर की जाती है और फिर उन्हें अपने सोशल मीडिया अकाउंट का हिस्सा बनाया जाता है. खबरें ट्रेंड करती हैं और लोग अपनी भड़ास निकालते हैं.. जानते हैं फिर क्या होता है. फिर उन सभी ट्रेंडिंग खबरों को भुला दिया जाता है. लोग रोज मरते हैं और वो ट्रेंडिंग हेडलाइन जिसकी वजह से लोगों का दिल पसीजा था वो किसी भूली बिसरी याद की तरह भुला दी जाती है. साथ ही भुलाए जाते हैं वो लोग जिन्होंने अपनी जान गंवाई होती है.

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क्या आपको याद हैं पिछले एक डेढ़ साल में सामने आई वो हेडलाइन्स जो स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर थीं और भुला दी गईं?

वो न्यूज हेडलाइन जिन्हें आप भूल गए होंगे...

1. BRD अस्पताल में पिछले 72 घंटों में 61 बच्चों की मौत

ये वो हेडलाइन है जिसने एक बड़ी बहस को जन्म दिया था. खास तौर पर इस हेडलाइन के बाद ट्विटर ट्रेंड बढ़ गया था. योगी सरकार की थू-थू हुई थी. इस मामले ने भी बहुत तूल पकड़ा था, लेकिन आखिर नतीजा कुछ नहीं निकला. अभी तक बच्चों की मौत बदस्तूर जारी है.

2. गोरखपुर के BRD में अगस्त में हुई 290 बच्चों की मौत

ये वो हेडलाइन है जिसने ट्विटर ट्रेंड को और तेज कर दिया था. नेता से लेकर अभिनेता तक सभी इसके बारे में कुछ न कुछ कह रहे थे. अगस्त के बाद सितंबर में भी उसी तरह से बच्चों की मौत हुई, लेकिन एक बार सोशल मीडिया ट्रेंड से उतरने के बाद. इसे लेकर कुछ नहीं किया गया.

3. आईकैंप में ऑपरेशन के बाद गई 16 लोगों की आंख की रोशनी

ये वो कैंप था जहां लोगों को मोतियाबिंद से निजाद पाने आए थे. 16 लोगों को लगा था कि उनकी आंखें वापस पहले जैसी हो जाएंगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. बल्कि उनकी आंखें ही खराब हो गई. जांच में सामने आया कि डॉक्टरों की तरफ से लापरवाही बरती गई थी.

4. मैक्स के बाद सफदरजंग पर भी आंच, नवजात को बताया मृत

मैक्स अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और फोर्टिस अस्पताल चर्चा का विषय बने रहे. कारण था किसी न किसी तरह की लापरवाही और चालबाजी का. अस्पतालों का लाइसेंस भी रद्द करने की बातें कही गईं. कुछ कार्यवाही भी हुई, लेकिन अंत में आगे पाठ पीछे सपाट वाली बात सामने आई.

5. लापरवाही: ड्यूटी पर नहीं थे डॉक्टर,24 घंटे में हुई 9 बच्चों की मौत

ये खबर यूपी, पंजाब, झारखंड या छत्तीसगढ़ की नहीं बल्कि गुजरात की थी. इसे भी सोशल मीडिया पर थोड़ा तूल मिला था. विरोध प्रदर्शन भी हुआ था, लेकिन ये सब भी लोग भूल गए.

ये तो हाल ही की कुछ घटनाएं थीं, जहां स्वास्थ्य सेवाओं में हुई लापरवाही ने सोशल मीडिया का ध्यान खींचा. ये खबरें गूगल, फेसबुक, ट्विटर पर ट्रेंड भी हुईं और साथ ही साथ लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी, लेकिन जैसे ही ट्रेंड खत्म हुआ इनपर से ध्यान भी हट गया. ये तो सिर्फ 5 खबरें हैं. अगर लापरवाही को देखें हर रोज न जाने कितनी ही ऐसी खबरें आती हैं. कहीं किसी गर्भवती को चलते-चलते बच्चे को जन्म देना होता है जिससे बच्चे की मौत हो जाती है, कहीं किसी रेप पीड़िता को सही इलाज नहीं मिलता, कहीं किसी बुजुर्ग की जान लापरवाही के कारण चली जाती है.

सैंकड़ों ऐसी खबरों के बीच हम जी रहे हैं. हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर नजर भी तब डाली जाती है जब वो मीडिया की सुर्खियों में आ जाए. कहीं न कहीं किसी न किसी कोने में डॉक्टर, नर्स, कंपाउंडर लापरवाही करते नजर आते हैं. बस यही तो है भारत की स्वास्थ्य सेवाएं.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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