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Updated: 09 मई, 2021 06:34 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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कहते हैं कि बच्चे को एक मां ही अच्छी तरह समझती है, लेकिन तब क्या जब उसे अकेले ही सिंगल पैरेंट की भूमिका निभाकर बच्चे की परवरिश करनी पड़ती है. आप ऐसी कितनी मांओं को जानते हैं जो अकेले ही बच्चे का पाल रही हैं. एक मां जब पिता (father) की भूमिका निभाती है तो यह उसके लिए काफी कठिन हो जाता है.

समाज का एक मां को हर पल शक की नजरों से देखना, उसका अकेलापन और उपर से बच्चे की जिम्मेदारी. जब सिंगल मदर को कोई आर्थिक रूप से सपोर्ट करने वाला नहीं होता तो जॉब करना उसकी मजबूरी हो जाती है. वहीं कुछ लोग सिंगल मॉम को कमजोर भी समझते हैं और इसका फायदा उठाना चाहते हैं.

उन्हें लगता है इसके आगे-पीछे तो कोई है नहीं, ऐसे में यह हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकती. इस वजह से सिंगल मदर जब हंसता-खेलता, भरा-पूरा परिवार देखती हैं तो उन्हें अपने अंदर एक कमी, एक खोखलापन महसूस होता है. हमारे समाज में शादी से पहले मां बनना सबसे बड़ा गुनाह समझा जाता है. वहीं तलाकशुदा या फिर विधवा महिला अपने अस्तित्व के लिए खुद को हर पल प्रूफ करती रहती है.

Mother, Mothers Day 2021, Happy Mothers Day 2021, Single Mother, single mother difficulties, Single Mom, Single Mother problems, single parent, Single mothers day wishes, mothers day storyआसान नहीं है सिंगल मदर की भूमिका निभाना

अगर कोई महिला हिम्मत दिखाकर किसी बच्चे को गोद ले ले और वह सिंगल हो तो उसे भी शक भरी नजरों से देखा जाता है. यानी सिंगल मदर को हर कदम पर लोगों के चुभते सवालों का जवाब देना पड़ता है. जैसे- अच्छा आप उसकी मां है तो बच्चे के पापा अब कहां हैं, क्या आप लोग अब साथ नहीं हैं? या फिर मनोबल कम करने वाली बातें जैसे- अकेले बच्चा पालना बहुत मुश्किल होता होगा ना, सिर पर बाप का साया होना जरूरी है आदि. इतना ही नहीं स्कूल में बच्चे के दाखिले के समय या कोई सरकारी गैर सरकारी फॉर्म भरते समय भी अभिभावक के बजाय पिता का नाम पूछा जाता है.

सिंगल मदर को घर और बाहर दोनों जगह खुद ही संभालना होता है, ऐसे में उन्हें बच्चे के साथ समय बिताने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. सारे काम खुद करने की वजह से वे चिड़चिड़ी हो जाती हैं लेकिन उन्हें हमेशा पॉजिटिव रहना पड़ता है ताकि बच्चे पर बुरा असर ना पड़े. सिंगल मदर को माता और पिता दोनों का रोल अदा करना होता है. ऐसे में बच्चे से बॉन्डिंग बनाना, उन्हें समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है क्योंकि उनकी परवरिश में कमी निकालने के लिए ताना देने वाले लोग  तैयार बैठे रहते हैं. अच्छा बिन बाप का बेटा इसलिए तो ऐसा है.

इन बातों से मां-और बच्चे दोनों के मानसिक सेहत पर असर पड़ता है. मां खुद को इग्नोर करके बच्चों पर फोकस करती है. चलिए आज Mother’s day के दिन आपको ऐसी तीन सिंगल मॉम की कहानी बता रहे हैं जो खुद को डेवलप करके और हिम्मत दिखाकर अपने बच्चों को उनके मुकाम तक पहुंचा रही हैं.

1- इंदौर की रहने वाली रंजना का पति अमित शराब पीने का आदि हो गया. वो जो कमाता दारू पर ही खत्म कर देता. धीरे-धीरे शराब के नशे में उसकी नौकरी पर भी असर पड़ने लगा. वह रोज रात में देरी से घर आता और रंजना कुछ पूछती तो मारपीट करता. उसने घर खर्च के पैसे देने भी बंद कर दिए. तीन बच्चों की परवरिश के लिए रंजना चिंता में पड़ गई. उसने आर्थिक तंगी से परेशान होकर अपनी एक सहेली से बात की और एक NGO में काम करना शुरू कर दिया.

पत्नी की नौकरी करने का फैसला अमित को अच्छा नहीं लगा, उसने फिर से मारपीट की. तंग आकर रंजना ने बच्चों के साथ घर छोड़ दिया और दूसरी जगह किराए से घर लेकर रहने लगी. आज वह एक प्राइवेट बैंक में काम कर रही है और अकेले ही बच्चों की देखभाल कर रही है. बच्चे भी खुश हैं और अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं. रंजना का यह फैसला कई लोगों को अच्छी नहीं लगा. वे इधर-उधर की बात करते हैं लेकिन अगर वह लोगों की बात सुनती तो उसकी और बच्चों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है. बच्चों का कहना है कि वे पापा के पास नहीं जाएंगे.

2- रीना शादी के बाद अपने पति के साथ अमेरिका चली गई. 12 साल साथ रहने के बाद दोनों से आपसी सहमति से अलग होने का फैसला लिया. तलाक के बाद वह अपनी 7 साल की बेटी रूहानी के साथ इंडिया आ गई. यहां उसने एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की और अब अकेले ही उसकी परवरिश कर रही है. वह अपनी बेटी के साथ बेहद खुश है. नौकरी जाने के बाद वह परेशान जरूर हुई, लेकिन उसने हार नहीं मानी. अब वह खुद का अपना कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाती है. जहां वह लोगों को अंग्रेजी और पेंटिंग करना सीखाती है. उसके नौकरी छोड़ने की वजह यह थी कि वह अपनी बेटी को समय नहीं दे पाती थी. उसने जॉब के बाद टीचर की नौकरी की लेकिन  बात नहीं बनी तो फिर उसने अपनी सेविंग्स के पैसे से कोचिंग इंस्टीट्यूट खोलने का फैसला किया. आज वह सिंगल मॉम है और उसे इस बात से कोई शिकायत नहीं है.

3- रेनु के ऊपर तब दुखों का पहाड़ टूट पड़ा जब पति की असमय मौत हो गई. इस दौरान उसने बड़ी हिम्मत के साथ खुद को संभाला क्योंकि उसे अपने चार बच्चों की परवरिश करनी थी. सरकारी दफ्तर के बड़े चक्कर लगाने के बाद उसे अपने पति के ऑफिस में नौकरी मिली लेकिन काफी नीचे के पद पर. बच्चों के लिए वह दूसरे शहर  जाकर उनके साथ एक नई जिंदगी शुरू की. उसने पिता का रोल बखूबी निभाया. उसके ऑफिस जाने और वहां के लोगों से काम की वजह से मिलने पर लोगों ने कई बातें बनाएं लेकिन किसी की परवाह ना करते हुए वह आगे बढ़ती रही. धीरे-धीरे काम सीखने के बाद उसे पति की जगह पर रख लिया गया. आज उसकी एक बेटी डॉक्टर है, दूसरी बेटी सरकारी बैंक में है और तीसरी इंजीनियर. सबसे छोटा बेटा भी अच्छे कॉलेज में है. अब तो आप समझ गए होंगे एक मां अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती है भले ही वह अकेली क्यों ना हो.

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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