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Updated: 12 अप्रिल, 2017 10:18 PM
गोपी मनियार
गोपी मनियार
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लोग मानते हैं कि अगर बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी है तो उन्हें अच्छे स्कूल में पढाना होगा, और स्कूल अगर अच्छा है तो जाहिर है उसकी फीस भी ज्यादा होगी. जितना स्कूल का नाम उतनी ज्यादा उसकी स्कूल फीस. लेकिन गुजरात में बीजेपी की विजय रुपानी सरकार एक ऐसा बिल लेकर आई है जिसके तहत प्राइवेट स्कूल की फीस को लेकर लगाम कसने की तैयारी की जा रही है.

दरअसल गुजरात सरकार ने इसी साल गुजरात विधानसभा में स्कूल फीस नियंत्रण विधेयक पास कर उसे कानून के लिये राज्यपाल के पास भेज दिया था. जिस पर आज राज्यपाल ओपी कोहली ने हस्ताक्षर कर बिल को मंजूरी दे दी है, जो जल्द ही कानून के तौर पर गुजरात में लागू हो जायेगा.

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इस बिल के तहत गुजरात के सभी प्राइवेट स्कूलों में प्राइमरी स्कूल की फीस ज्यादा से ज्यादा 15,000 रुपये, माध्यमिक स्कूल की फीस 25,000 और उच्च माध्यमिक स्कूल की फीस 27,000 रुपये होगी. इससे ज्यादा फीस किसी भी स्कूल में नहीं ली जा सकती.

गुजरात सरकार के इस नए कानून के चलते अब स्कूलों में फीस को लेकर मनमानी बंद हो जायेगी, दरअसल आए दिन स्कूल अलग-अलग तरह के प्रोजेक्ट और कंप्यूटर ट्रेनिंग के नाम पर ज्यादा से ज्यादा फीस वसूलते रहते हैं. लेकिन इस कानून के बनने के बाद सभी चीजों पर अब नियंत्रण लग जाएगा.

गुजरात के शिक्षा मंत्री भूपेन्द्र सिंह चुडासमा का कहना है कि इस विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर होने के साथ ही अब नए कानून के नियम जल्द ही बाहर रखे जाएंगे. जिसके मुताबिक कोई भी प्राइवेट स्कूल फीस को लेकर अभिभावकों से मनचाही वसूली नहीं कर पाएगा.

bhupendra-singh-chud_041217061324.jpgगुजरात के शिक्षा मंत्री भूपेन्द्र सिंह चुडासमा का कहना है कि ज्यादा फीस वसूलने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द होगी

चुडासमा ने ये भी कहा कि स्कूल की फीस को लेकर एक कमेटी बनाई जाएगी जिसमें 4 हाईकोर्ट के रिटायर जज के साथ-साथ शिक्षाविद रहेंगे जो स्कूल की फीस को लेकर सभी स्कूलों पर नजर रखेंगे. इतना ही नहीं जून से शुरु हो रहे नए शिक्षासत्र को लेकर जल्द ही इस कमेटी द्वारा घोषणा भी की जायेगी. अगर किसी भी स्कूल ने छात्रों से ज्यादा फीस वसूली तो उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाई होगी, यहां तक कि उनके स्कूल की मान्यता रद्द करने का हक भी इस कानून में होगा.

सरकार ने इसी साल से अभिभावकों से विनती की है कि वो पूरे साल की फीस एक साथ न दें, वो सिर्फ 3 महीने की फीस दें ताकि कानून में जो नियम बनें उसके आधार पर फीस दी जाये. हालांकि सरकार के इस फैसले से स्कूल मैनेजमेंट काफी नाराज है, स्कूल लगातार छात्रों के अभिभावकों से फीस भरने के लिये कह रहा है, जबकि सरकार इस कानून के जरिए प्राइवेट स्कूल की बेलगाम फीस पर लगाम कसना चाहती है.

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अहमदाबाद के लिटिल फ्लावर स्कूल में पढाई करने वाली 9 साल की आफरीन आलम के पिता साजिद आलम सरकार के साथ हैं, उनका कहना है कि ये उनका नहीं बल्की हर एक अभिभावक का मानना है, स्कूल जिस तरह से फीस को लेकर अपनी मनमानी चलाते हैं, ऐसे में उनपर लगाम कसने के लिये इस तरह का कानून बहुत जरुरी है, वरना मध्यम वर्ग के बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ पाएं ये एक सपना बनकर ही रह जायेगा.

स्कूलों को विद्या के मंदिर के तौर पर माना जाता है, लेकिन अभिभावकों की मजबूरी और स्कूल मेनेजमेंट की मनमानी ने इसे एक अच्छे मुनाफे वाला धंधा बना दिया है. साफ है कि कानून तो फिलहाल गुजरात में बना है लेकिन इसकी मांग पूरे देश में खड़ी हो रही है. 

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लेखक

गोपी मनियार गोपी मनियार @gopi.maniar.5

लेखिका गुजरात में 'आज तक' की प्रमुख संवाददाता है.

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