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Updated: 22 दिसम्बर, 2021 02:33 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल (girl marriage age 21 in india) करने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. अब देश में लड़का हो या लड़की दोनों की शादी की उम्र एक समान हो जाएगी. यह कानून सभी धर्मों पर एक सामान्य रूप से लागू होगा. केद्र सरकार का कहना है कि यह फैसला महिला सशक्तिकरण के लिए लिया गया है. हालांकि इस कानून को भारतीय परिवेश में ऐसे एकदम से लागू नहीं किया जा सकता. इसे एक चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाना चाहिए.

इसके लिए सभी राज्यों को पूरी आजादी और समय दिया जाए, जिससे वो जमीनी तौर पर काम कर सकें क्योंकि इस कानून को एक रात में लागू नहीं किया जा सकता. लड़कियों को सशक्त करने के लिए सिर्फ यह कानून ही काफी नहीं है. सरकार लड़कियों के लिए स्कूल और कॉलेज की संख्या बढ़ाए और दूर-दराज के इलाकों में लड़कियों के स्कूल तक पहुंचने की भी व्यवस्था करे.

लड़कियों को स्किल और बिजनेस ट्रेनिंग के साथ-साथ सेक्स एजुकेशन दिया जाए. इसके अलावा शादी की उम्र बढ़ाने को लेकर जागरुकता अभियान चलाने का भी सुझाव दिया जा रहा है. इस मामले में हमने कुछ लड़कियों से बातकर उनकी राय जाननी चाहिए, चलिए आप खुद पढ़ लीजिए कि इन लड़कियों का क्या कहना है?

कॉलेज छात्रा प्रिया का कहना है कि यह फैसला और पहले ही लेना चाहिए था. देरी से ही सही आखिर सही फैसला तो लिया गया. जो लड़कियां पढ़ना चाहती हैं वे पढ़ सकती हैं. कम से कम ग्रेजुएशन तो कर ही लेंगी. पहले सरकार ने शादी की उम्र 18 साल रखी थी जो बहुत कम थी. 18 साल की लड़कियां 12वीं में होती हैं. वे अभी दुनिया को समझ रही होती हैं. कम से कम 21 साल होने पर वे बहुत ना सही थोड़ी तो मैच्योर हो ही जाएंगी. 21 की उम्र में वे सोच सकती हैं कि उन्हें आगे क्या करना है और क्या नहीं? वरना 18 साल होते कई लड़कियों की शादी करा दी जाती है, उन्हें कुछ समझ भी नहीं होती और वे मां बन जाती हैं.

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वहीं प्राइवेट बैंक में काम करने वाली सोनम का कहना है कि यह एक अच्छा फैसला है क्योंकि लड़कियां पढ़ तो लेंगी ही साथ ही मैच्योर होंगी तो समझ पाएंगी कि किससे शादी करनी है या किससे नहीं. देखने में आता था कि लड़कियां बचपने में घर से शादी करने के नाम पर तब भाग जाती हैं जब उन्हें मालूम भी नहीं होता कि शादी होती क्या है? थोड़े दिनों बाद पति से अनबन होने पर वे बुरे हाल में लौटती हैं घरवाले दोबोरा उनकी शादी कराते हैं. ऐसे में लड़कियों की शादी मजबूरी में की जाती है.

फ्रीलांस लेखिका दिव्या का कहना है कि इस फैसले का हर वर्ग के परिवार पर अलग असर पड़ेगा. अब हमारे परिवार में तो 25 के पहले लड़कियों की शादी की चर्चा भी नहीं होती लेकिन कई घरों में 18 साल के बाद ही उनपर दबाव बनाना शुरु हो जाता है और ग्रेजुएशन पूरा करने से पहले ही उनकी शादी हो जाती है.

कई घरों में अगर पता चले कि लड़की प्रेम संबंध है उसकी जबरन शादी करा दी जाती है. ऐसे में लड़कियों को निजी फैसला लेने में दिक्कत हो सकती है. लव मैरिज करने के लिए भी इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं अगर वह शारीरिक संबंध बनाने पर प्रेग्नेंसी और एबार्शन के चांसेस बढ़ सकते हैं. इसलिए सरकार को जमीनी स्तर पर इन सभी पहलुओं पर ध्यान देना होगा. खासकर लड़कियों के सेक्स एजुकेशन पर फोकस करना होगा ताकि वे सही गलत में फर्क महसूस कर पाएं.

इस सवाल का जवाब देते हुए सोनिया कहती हैं कि फैसला तो सही है लेकिन ऐसा नहीं है कि ग्रेजुएशन होते ही लड़कियां शादी कर लें. मेरे हिसाब से जब फैसला लिया ही गया है तो कम से कम 23-24 साल का लिया जाना चाहिए. ये थोड़ी की सिर्फ ग्रेजुएशन करने के बाद शादी कर लो. आगे भी तो पढ़ना है, पीजी करना है, नौकरी करनी है. सरकार को इस बारे में भी सोचना चाहिए.

श्वेता का कहना है कि सिर्फ यह फैसला लेने से लड़कियों के जीवन में कोई खास बदलाव नहीं आने वाला है. बाल विवाह करने वाले तब भी शादी करते थे जब शादी की उम्र 18 साल थी अब वे अब बेटियों की शादी जल्दी कराने की कोशिश करेंगे. इस फैसले के साथ ही सरकार को लिवइन कानून के बारे में भी अपना पक्ष साफ करना होगा, क्योंकि समाज के लिए तो शादी से पहले लड़का-लड़की का एक साथ रहना पापा ही है. इस बीच अगर कोई लड़की गर्भवती हो जाती है तो उसके लिए उपाय क्या है? वह शादी तो कर नहीं पाएगी और बिन ब्याही मां ही हालत समाज में सबको पता है.

ऐसे कई मामले देखे गए हैं कि जब बालिग कपल सीरियस रिलेशनशिप में रहते हैं और इस बीच लड़की प्रेग्नेंट हो गई तो वे शादी कर लेते हैं. इसलिए सरकार को यह कानून लागू करने के साथ ही लड़कियों की शिक्षा, साधन और स्वास्थय पर भी ध्यान देना होगा. तभी वे आत्मनिर्भर हो पाएंगी. यह भी ध्यान रखना होगा कि मां-बाप लड़की को बोझ समझकर उसके 21 साल होने का इंतजार कर रहे हैं या पढ़ा भी रहे हैं.

पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद नेट की तैयारी करने वाले अंजलि कहती हैं कि सरकार ने फैसला लेने में बहुत देर कर दी. कितनी लड़कियों की जिंदगी तो बर्बाद हो चुकी है. 18 साल के बाद वे शादी करके ससुराल जाती हैं फिर पढ़ भी नहीं पातीं. उनके सपने, अरमान सब धरे रह जाते हैं. वैसे यह नियम लागू भी हो जाए तो भी लोगों को सबसे पहले अपनी सोच बदलनी होगी, जब तक लड़कियों को लेकर लोगों की सोच नहीं बदलेगी, तब तक कोई फायदा नहीं होगा. जिसे करवाना होगा वे अपनी बेटियों पर जबरदस्ती करके शादी करवा ही देंगे. एक बात यह दिमाग में आ रही है कि जो लड़की 20 की उम्र में अपनी मर्जी से शादी करना चाहे, उसके साथ कौन सा नियम लागू होगा?

बच्चों का पढ़ाने वाली शीतल का कहना है कि पहले 18 साल होते ही समाज के लोग लड़की के घरवालों पर दबाव बनाने लगते हैं कि लड़की बड़ी हो गई शादी कब कर रहे हो? घरवाले भी सोचते हैं कानून ने भी 18 साल तो किया ही है. मतलब उनके दिमाग में शादी की बाद आ ही जाती है. इस तरह अच्छे रिश्ते के नाम पर लड़की की शादी करा दी जाती है लेकिन अब घरवालों के ऊफर 21 साल तक बेटी को पढ़ाने का दबाव ही है, वे और कुछ कर नहीं सकते. जिस लड़की को कुछ करना होगा वह 21 साल तक अपना रास्ता तो कम से कम तय ही कर लेगी. वह नौकरी भी कर सकती है.

हाउस वाइफ बबीता कहती हैं कि मैं स्कूल में थी जब मेरी सास मुझे हॉस्टल में देखने आई. मुझे बीएससी करना था. मैं पढ़ाई में तेज थी. मेरी शादी यह कहकर तय की गई कि मैं पढ़ सकती हूं लेकिन शादी के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई और प्रोफेसर बनने का सपना मेरा अधूरा ही रह गया. अब मैं मेरी बेटी की शादी तभी करूंगी जब उसकी मर्जी होगी.

सोनाली का कहना है कि लड़कियों की शादी 21 साल की उम्र करने से घरेलू हिंसा कानून भी कमी आएगी. लड़कियां पढ़ लेंगी, अपने अधिकार को समझेंगी, अपने लिए आवाज उठा सकेंगी, नौकरी कर सकेंगी.

सरकार के इस फैसले पर अवनी का कहना है कि फैसला तो आ गया है लेकिन इसे लागू करना सबसे बड़ी चुनौती है. शहर और गांव के लोगों को यह समझना होगा कि लड़कियों की शादी जल्दी न करने का फैसला उनके लिए कितना सही है. इसके कितने फायदे हैं और किस तरह शादी की उम्र उनके विकास में फायदेमंद साबित होगी.

कामवाली रोशन कहती हैं कि सरकार उन लड़कियों का क्या करेगी जिनकी शादी पहले से तय हो चुकी है? हम जैसे गरीब लोग ऐसे हैं जो सीधे कहते हैं कि लड़की को पढ़ाना हमारे बस की बात नहीं है, हमारे पास ना पैसा है ना ही उसकी सुरक्षा करने की हम जेहमत उठा सकते हैं. 18 साल तक हम डर के साए में जीते हैं कि बेटी के साथ कुछ गलत ना हो जाए. हमारे लिए 21 साल तक इंतजार करना पहाड़ जैसे दिन काटने के समान है. लड़कियों को तो समय पर शादी करके उनके घर भेज देना चाहिए. जहां वह अपने घऱ में खाए-बनाए और सुखी रहे. हमारे लिए तो यही सही है...

खैर, इस मुद्दे पर सबकी अपनी राय हो सकती है. मेरे हिसाब से तो एक लड़की को तब ही शादी करनी चाहिए जब उसकी अपनी मर्जी हो... लड़की की शादी है तो फैसला भी उसी का होना चाहिए. सिर्फ 21 ही क्यों, वह 25, 30 या जिस उम्र में चाहे शादी कर सकती है. कम से कम उन महिलाओं की जिंदगी बच जाएगी जिनकी मृत्यु बच्चे को जन्म देते वक्त हो जाती है. वैसे आपकी इस बारे में क्या राय है?

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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