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Updated: 08 मार्च, 2017 06:11 PM
निखिल सचान
निखिल सचान
  @nikhil.sachan
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यार लड़कियों सुनो. तुम न ! लड़कों की बराबरी करने की कोशिश भी मत करना !

इसलिए नहीं, क्योंकि तुम लड़कों की बराबरी कर नहीं सकती, बल्कि इसलिए, क्योंकि तुम हम लड़कों से बहुत बेहतर हो. और ये सिर्फ मैं इसलिए नहीं कह रहा क्योंकि आज 8 मार्च है. ऐसा साइंस कहता है. स्टैट्स कहते हैं. और तमाम हजार साल का इंसानी तजुर्बा कहता है.

इसलिए मेरी तुमसे गुजारिश है कि यार प्लीज ! तुम हम लड़कों जैसा बनकर दुनिया को कम-काबिल और अधिक-बोरिंग मत बना देना.

man-vs-woman_650_030817050100.jpgलड़कियां तुम लड़कों सी ना बनना- साइंस और स्टैट्स की बात करें? तुम्हें मालूम भी नहीं होगा कि तुम्हारा दिल लड़कों से अधिक तेज़ धड़कता है. हर मिनट पूरे 8 बीट्स अधिक. मिनट में 78 बार. शायद इसीलिए तुम हम लड़कों से अधिक प्यारी और दिल-कश होती हो. पास से गुजर जाती हो तो हमारा दिल धक् से हो जाता है (शायद इसीलिए हम तुमसे 8 बीट्स कम रह जाते हैं).

- जानती हो? दसवीं और बारहवीं में लडकियां हर इक साल लड़कों से बेहतर ग्रेड्स लाती हैं. और ये स्टैट्स सिर्फ हमारे देश का ही नहीं है. ग्लोबल है. अगर अब जो कोई तुम्हारे IQ का मज़ाक उड़ाए या फिर ये कहे कि लडकियाँ खराब ड्राइवर होती हैं तो ये फैक्ट उसके मुंह पर मारना. इन-फैक्ट ड्राइविंग तो हम भूल जाते हैं, अगर जो कभी सिग्नल पर तुम दिख जाती हो (यू ड्राइव अस क्रेज़ी).

- साइंस कहता है कि लडकियां लड़कों से जल्दी और कमतर उम्र में चलना और बोलना सीख जाती हैं. जहां एक लडकी का दिमाग दस साल में मैच्योर हो जाता है, लड़कों का दिमाग 15 से 20 साल में मैच्योर हो पाता है.

- तुम एक मिनट में 250 शब्द बोल सकती हो और हम लड़के महज 150. तुम इतनी एक्सप्रेसिव कैसे हो यार. और बोलती भी कितना प्यारा हो. हम तो जैसे सब छिपा जाते हैं, रोते भी नहीं हैं, दिल में इतना भर लेते हैं कि दिल काठ का हो जाता है. निष्ठुर हो जाता है.

- तुम एक नए इन्सान को भी गढ़ती हो, माँ बन कर कितने प्यार से हमें पालती-पोसती हो. ख़याल रखती हो. हम तो यार खुद का भी ध्यान रख लें, तो बहुत है. पिछले महीने जो जुराबें खोई थीं, वो आज तक नहीं मिलीं.

इसीलिए यार, तुम हमारे जैसी होने की कोशिश बिल्कुल भी मत करना. तुम ऐसी ही प्यारी, मजबूत और काबिल रहना. थोड़ी पगली सी, बहुत सारी केयरिंग सी, थोड़ी मूडी सी, बे-इन्तहा खूबसूरत सी. और बिल्कुल लड़कियों सी रहना. ऐसी ही. एकदम, ऐसी ही. खालिस लड़कियों सी.

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लेखक

निखिल सचान निखिल सचान @nikhil.sachan

नमक स्वादानुसार और ज़िंदगी आइस-पाइस नाम की दो किताबों के लेखक है.

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