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Updated: 15 सितम्बर, 2016 06:13 PM
सईद अंसारी
सईद अंसारी
 
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मध्य प्रदेश के इंदौर में इंडिया टुडे वुमन कॉन्क्लेव के मंच पर तीन लड़कियां साथ बैठीं थीं. एक राजनीति के क्षेत्र से थीं, दूसरी मॉडल-एक्टर थीं और तीसरी कलेक्टर.

हिना कावड़े मध्य प्रदेश के बालाघाट से कांग्रेस की विधायक हैं. टीना सिंह मॉडल हैं, सैकड़ों विज्ञापनों में आप इन्हें देख चुके हैं. हाल ही में रीलीज हुई फिल्म अकीरा में भी दिखाई दी हैं. इसी फिल्म से टीना ने बॉलीवुड में भी कदम रख दिया है. किंजल सिंह उत्तर प्रदेश के फैजाबाद की जिलाधिकारी हैं.

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 इंदौर में इंडिया टुडे वुमन कॉन्क्लेव के मंच पर एक्ट्रेस टीन और आईएएस किंजल सिंह

पूरा हॉल खचाखच भरा था. हॉल में महिलाओं की तादाद नब्बे प्रतिशत से अधिक थी. इंडिया टुडे के संपादक अंशुमान तिवारी ने तीनों मेहमानों का परिचय कराया और जैसे ही किंजल से उनके जीवन के बारे में जानने की कोशिश की तो माहौल अचानक से गमगीन हो उठा. हॉल में सन्नाटा छा गया. मौजूद लोगों की सांसे थम गईं.

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किंजल यादों में खो गई थीं और बोले जा रही थीं. हॉल में बैठा हर शख्स उनके साथ यादों के सफर पर चल दिया था. किंजल की आवाज में अचानक से सख्ती आ गई थी. उनकी सांसें तेजी से चल रही थीं. वो भावनाओं के समंदर में गोते लगाते मां-पापा और बहन की बातें किए जा रही थीं. ऐसा लग रहा था कि किंजल अब रो पड़ेंगीं. किंजल की आवाज जरूर लरज रही थी. आंखों में आंसू भी दिखाई दे रहे थे. चेहरे पर दर्द की लकीरें साफ पढ़ी जा रही थीं. लेकिन किंजल कमजोर नहीं पड़ी थीं.

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बेहद भावुक हो गईं थीं किंजल

बरसों से दिल में दबी बातों को खोले जा रही थीं. पिता की हत्या, विधवा मां और दो मासूम बहनों की कहानी किंजल की जुबानी सुनकर सब जड़ हो चुके थे. कैसे पिता की हत्या उन्हीं के विभाग के पुलिस वालों ने कर दी थी. कैसे अकेली हो चुकी मां ने दूसरी बेटी को जन्म दिया. कितना मुश्किल था दोनों मासूम बहनों को अकेले पालना-पोसना. अचानक से यह पता चलना कि मां को कैंसर है. बोलते-बोलते किंजल ने कहा कि एक दिन उन्होंने मां से पूछ लिया कि क्यों इतना कष्ट झेल रही हो? तो मां का जवाब था कि तुझे आईएएस बनाना है. मां के इन्हीं शब्दों ने किंजल के आईएएस करने के निश्चय को अब दृढ़ बना दिया था. किंजल ने मां से यह सवाल इसलिए पूछा था क्योंकि डॉक्टर ने किंजल से कह दिया था कि सत्तर कीमोथैरेपी के बाद भी तुम्हें लगता है कि तुम्हारी मां बच पाएंगी.

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उत्तर प्रदेश के फैजाबाद की जिलाधिकारी हैं किंजल सिंह

कैसे कर दी गई पिता की हत्या, छोटी बहन के पैदा होने, मां के बीमारी, इलाज और मृत्यु तक की एक-एक बात किंजल ने बताई. किंजल ने कहा कि दोनों बहनें आईएएस की तैयारी के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास एक कमरा लेकर पढ़ाई किया करती थीं. दोनों खाना हॉस्टल की मेस में खाती थीं. दीवाली वाले दिन मेस बंद हो गया. किंजल छोटी बहन से साथ रूम पर थीं. छोटी बहन रोने लगी. दीदी मिठाई तो दूर की बात है, दीवाली पर खाना तक नहीं मिल रहा. किंजल ने छोटी को हिम्मत बंधाई और कहा तीन दिन तक मेस बंद है. सभी लड़के-लड़कियां अपने-अपने घर गए हैं.

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 आज किंजल सिंह की पहचान एक तेज-तर्रार प्रशासनिक अधिकारी के रूप में होती है

हम इन तीन दिनों में खूब पढ़ेंगे और औरों से आगे निकल जाएंगे. दोनों ने किया भी यही. जब रिजल्ट आया तो दोनों बहनों के नाम लिस्ट में मौजूद थे. किंजल जहां आईएएस की मेरिट लिस्ट में 25वें नंबर पर थीं तो प्रांजल ने 252वां रैंक हासिल किया था. दर्द की, तकलीफ की, परेशानी की, संघर्ष की इस तरह की एक नहीं कई बातें किंजल ने बताईं. किंजल रौ में बोले जा रही थीं और हॉल में मौजूद ज्यादातर महिलाओं की आंखें नम थीं. कई के झरझर आंसू बहे जा रहे थे.

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आईएएस की मेरिट लिस्ट में 25वें नंबर पर थीं किंजल और बहन प्रांजल की थी 252वीं रैंक

किंजल ने बताया कि जब रिजल्ट आया तो कोई मम्मी को फोन कर रहा था. कोई पापा को, कोई भाई बहन या दोस्त को और हम दोनों बहने एक-दूसरे के गले लगकर रो रही थीं. हमारा तो कोई था ही नहीं जिसे हम फोन भी कर सकें. दुख-दर्द तो हमने कभी किसी से बांटा नहीं. खुशी बांटने वाला भी कोई नहीं है. अगला सैशन सोफी चौधरी का था जिन्हें गाने गाने थे. झूमना था लोगों को झुमाना था लेकिन सोफी ने खुद कहा कि अब मैं गा नहीं सकती.

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किंजल ने पिता की हत्या का केस लड़ा, जीता भी. आज उनके पिता के हत्यारे सलाखों के पीछे हैं. लेकिन सब स्तब्ध रह गए जब किंजल ने कहा कि वो अपने पिता से बहुत नाराज रहा करती थीं क्योंकि उन्होंने कभी भी पापा को मम्मी के साथ नहीं देखा. लेकिन किंजल ने अपने पिता को तब माफ कर दिया जब उन्हें पता चला कि उनके पिता के आखिरी शब्द थे कि मुझे मत मारो मेरी छोटी बेटी है.

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 किंजल की कहानी सुनकर किसी के भी आंसू रुक नहीं पाए

किंजल अपनी बहुत ही भावुक और दर्दनाक कहानी सुनाए जा रही थीं. किंजल ने कहा कि मैं और बहन एकदम अकेले थे. कोई अपना नहीं. कोई रिश्तेदार नहीं. कोई हमदर्द नहीं. किंजल के दर्द का दरिया लोगों की आंखों से बह रहा था. जब वो खामोश हुईं तो कार्यक्रम में मौजूद हर शख्स जड़ था.

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 दिल्ली यूनिवर्सिटी की गोल्ट मेडलिस्ट हैं किंजल

आज किंजल सिंह की पहचान एक तेज-तर्रार प्रशासनिक अधिकारी के रूप में होती है. किंजल दिल्ली यूनिवर्सिटी की गोल्ट मेडलिस्ट हैं. उन्होंने दो बार टॉप किया है. आज किंजल के संघर्ष, जुझारूपन, कानूनी लड़ाई, आईएएस बनने की कहानी लगभग पूरा हिन्दुस्तान जानता है लेकिन इंडिया टुडे वुमेन कॉन्क्लेव में किंजल ने अपना दिल खोल कर रख दिया. इंदौर में इस कार्यक्रम में मौजूद हर शख्स किंजल के दुख का भागीदार बना. हॉल में मौजूद हर इंसान ने किंजल से एक रिश्ता जोड़ा. इंदौर में किंजल को सैकड़ों बहनें, दोस्त, भाई, माता-पिता मिले जो हमेशा उसकी खुशी, सलामती, तरक्की की दुआ करते रहेंगे.

लेखक

सईद अंसारी सईद अंसारी

लेखक आज तक के एंकर और एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट) हैं.

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