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Updated: 08 जून, 2022 05:05 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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आपके आने से घर में कितनी रौनक है, आपको देखें या अपने घर को देखें हम...

मां के स्वागत (saas ka grih pravesh video) के लिए बेटे-बहू और पोते-पोती ने यही गाना बजाया है...पोता कहता है आइए..आइए...बहू, बच्चे दादी को देखकर बहुत खुश हैं और उनके स्वागत में चहक रहे हैं.

खैर, वह तो मां है जो हर छोटी-छोटी बातों आंखें भिगो देती है. अरे वह तो बच्चों को खुश देखकर भी रोने लगती है और दुखी देखकर भी. ऐसे में जब इस मां को इतना मान सम्मान मिला तो वह खुद को संभाल नहीं पाई और भावुक हो गई. वह रोने लगी और अंदर जाने से मना करने लगी. आज के जमाने में जहां कई लोग घर के बड़े-बुजुर्गों को बोझ मानने लगे हैं. वे बुढ़ापे में मां-बाप की जिम्मेदारी उठाने से कतराने लगे हैं. उनके लिए यह परिवार एक नई सीख है.

वीडियो देखिए और सास-बहू का भाव देखिए-

इस वीडियो में हम देख सकते हैं कि एक बुजुर्ग मां परिवार के साथ लिफ्ट से बाहर आती है. तभी उसकी बहू आरती का थाल लिए मुस्कुराते हुए उसके स्वागत के लिए दरवाजे के बाहर खड़ी है. मां देखती है तो हैरान रह जाती है. मां के स्वागत के लिए पूरे घर को फूलों से सजाया गया है. मां के पांव जमीन पर ना पड़े इसलिए फर्श पर फूलों के गोले बनाए गए हैं. एक थाल में लाल रंग वाला आलता रखा गया ताकि मां के शुभपैरों का पदचिन्ह लिया जा सके.

भोली मां को बेटे हाथ पकड़कर घर की तरफ लाते हैं. वह इतना कुछ देखकर संकोच कर रही है. सूती साड़ी पहनी हुई मां इतना भव्य स्वागत देखकर सोच रही है कि यह सच है या मैं कोई सपना देख रही है. बीच-बीच में उसके चेहरे के भाव से समझ आ रहा है कि वह इतनी खुशियां संभाल नहीं पा रही है...बार-बार वह भावुक हो रही है और रोने लग रही है.

बहू ने सास का स्वागत किया, सासू मां का गृहप्रवेश, बहू ने सासू मां का गृहप्रवेश कराया, saas bahuबहू ने मां का नए घर में स्वागत इस तरह किया जैसे दिवाली वाले दिन लोग, मां लक्ष्मी की करते हैं

वह आगे बढ़ती है. बेटा हाथ पकड़े हुए है, बहू अपने सासू मां की आरती कर रही है. इसके बाद पोता-पोती आरती की थाल लेकर दादी की आरती करते हैं. नाती-पोता, बेटे-बहू एक साथ उसके पैर छूते हैं. आज वह मां भी सोच रही होगी कि ऐसा क्या आशीर्वाद देदे कि उनके बच्चे ऐसे ही खुश रहें. वह हाथ आगे बढ़कर सभी को गले लगा लेती है.

इसके बाद बेटा-बहू उसे आगे फूलों पर पैर रखने अंदर आने को कहते हैं तो वह ठिठक जाती है. वह शायद सोच रही हेगी कि अरे मेरा ऐसा स्वागत? मैं तो सिर्फ मां हूं, भला मां को इतना प्यार और इतनी इज्जत कौन देता है. बहू और बेटे मां का हाथ पकड़ते हैं और आलता वाली लाल रंग वाली थाली में मां के पैर ऱखवाते हैं, फिर फूलों पर चलाकर घर के अंदर लाते हैं. मां बार-बार ठिठक जाती है उसे तो समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्या करे?

एक बहू ने सास को घर से निकालना चाहा तो दूसरी ने घर में रखना, अंतर साफ है कि हमें क्या चुनना चाहिए?

जब मैंने आईपीएस अधिकारी @IPSVineet द्वारा शेयर की गई यह वीडियो देखा तो उस बहू का भी ख्याल आया, जिसने अपनी सास से लड़ाई की और मायके चली गई. इसके बाद उसने पति के सामने यह शर्त रखी कि "जब तक सास उस घर में रहेगी मैं वहां नहीं जाउंगी." इसके बाद उस बेटे ने अपनी मां को ही मारकर खत्म करना चाहा. यह घटना ग्रेटर नोएडा 125 की थी.

सोचिए एक वह बहू थी जी सास को अपने साथ घर में रखना नहीं चाहती थी. वहीं एक यह बहू है जिसने सासू मां के स्वागत के लिए अपनी जान लगा दी है. दोनों बहुओं में कितना अंतर है...एक को लोगों ने खरी-खोटी सुनाई तो दूसरी को आशीर्वाद दे रहे हैं. यही संस्कार है जिसे देखकर बच्चे सीखते हैं, हम जो बोएंगे भविष्य में वही तो काटेंगे...

मां तो बस यही चाहती है कि उसके बच्चे उसकी नजरों के सामने रहें

इस परिवार ने खासकर बहू ने मां का नए घर में स्वागत इस तरह किया जैसे दिवाली वाले दिन लोग, मां लक्ष्मी की करते हैं. लोग, नई बहू का स्वागत भी इसी तरह करते हैं क्योंकि उसे लक्ष्मी का रूप माना जाता है. मां नहीं चाहती कि कोई उसे देवी का स्थान दे या उसे देवी की तरह पूजे वो तो बस यह चाहती है कि उसके बच्चे खुश रहें. वह अपने लिए कुछ नहीं चाहती ना मांगती है. अगर उसे किसी चीज की जरूरत भी होती है तो वह बहाना बनाकर टाल देती है. वह सोचती है कि मेरे बच्चों के ऊपर बोझ न पड़े.

वह अगर बीमार भी पड़ती है तो डॉक्टर के पास इसलिए नहीं जाना चाहती क्योंकि उसे लगता है कि फालतू का खर्चा हो जाएगा. उसके खाने-पीने में नखरे भी नहीं होते, ना ही वह अपने लिए नए कपड़ों की मांग करती है. उसके पास जितना होता है वह उतने में ही खुश रहती है. सिर्फ उसे बच्चों का साथ और प्यार चाहिए होता है. वह अपने बच्चों को अपनी नजरों के सामने खुश देखना चाहती है.

अब जिस मां को ऐसी बहू मिल जाए उसे और क्या चाहिए?

इस जमाने में कई लोग बुजुर्गों से छुटकारा पाने के लिए उन्हें वृद्ध आश्रम में छोड़ आते हैं. गांव में अकेले छोड़ देते हैं. उनसे मिलने जाना तो दूर फोन तक नहीं करते. आप अपने आस-पास रहने वाले लोगों पर ध्यान देना जरूर कोई ना कोई बुजुर्ग अकेले रहते दिख जाएगा. कहीं कोई मां अकेली है तो कहीं मां-बाप दोनों अकेले हैं. वे तरसते हैं कि कम से कम एक साल में तो बच्चें उनके पास आ जाएं. बुजुर्गों को अपनी संप्पत्ति से नहीं अपनी संतान और नाती-पोतों का मोह होता है.

यह मां खुद पर आज इठला रही होगी 

आज यह मां मन ही मन गर्व कर रही होगी. खुद पर इठला रही होगी कि मेरी संतान इतनी अच्छी है. अपने बहू की तारीफें कर रही होगी. आज के इस मां के पैर जमीन पर नहीं होगें. उसे तो सच में बहू की जगह बेटी ही मिल गई है. लोग कहते हैं ना कि बहू कभी बेटी नहीं हो सकती और सास कभी मां नहीं हो सकती...असल में यह रूप टीवी सीरियल में ज्यादा देखने को मिलता है. सास-बहू पर खतरनाक जोक भी बनते हैं. किस रिश्ते में तू-तू-मैं-मां नहीं होता...मां-बेटी में भी तो नोंक-झोक होती है तो फिर?

इस वीडियो को अधिक से अधिक लोग देखें और समझें कि जिंदगी की असली खुशी किसमें है. बडे बुजुर्ग तो घर के बाहर लगे बड़े पेड़ की तरह होते हैं जो हमें छाया देने की चाह रखते हैं. काश इस वीडियो को देखकर लोग सीख ले सकें, और अपने मां-बाप को वह प्यार और सम्मान दें जिसके वो हकदार हैं...

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लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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