New

होम -> समाज

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 25 दिसम्बर, 2022 06:39 PM
  • Total Shares

चीन सहित कुछ देशों में कोविड-19 के ताज़ा बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर दुनिया में जो माहौल बना है, सतर्कता अपेक्षित है. इसमें अच्छी बात ये है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें भी अलर्ट मोड में आ गई हैं. हेल्थ मिनिस्टर मनसुख मंडाविया ने आगाह भी किया है कि कोरोना पूरी तरह गया नहीं है. सावधानी रखते हुए सार्वजनिक स्थानों पर मास्क लगाना चाहिए. अब इसे संयोग कहें या कुछ और कोरोना जनित माहौल के दौरान ही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी चल रही है. ऐसे में इस यात्रा के संदर्भ में मनसुख जी की राहुल जी के नाम लिखी चिट्ठी का तूल पकड़ना ही था, हालांकि कांग्रेस चाहती तो इस पर लीड लेकर स्कोर कर सकती थी. एक बार फिर नजीर पेश कर सकती थी कि कैसे सबसे पहले राहुल गांधी ने देश को कोरोना को लेकर आगाह किया था.

वाह रे राजनीति! कांग्रेसियों ने एक सुर में कहना शुरू कर दिया कि राहुल जी की सफलतम भारत जोड़ो यात्रा के एपीसेंटर दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए मोदी कोविड ड्रामा कर रहे हैं. एक उच्छृंखल प्रवासी भारतीय ने तो यहां तक कह दिया कि यात्रा को रोकना तो मकसद है ही मोदी सरकार का, साथ ही संभावित कोविड वेव के लिए राहुल को ही दोषी ठहराने का कुत्सित मकसद भी है. क्या खूब जनाब ने भांपा है एक तीर दो निशाने मोदी सरकार के. भला हम क्यों पॉलिटिकल नेताओं की बातों को तवज्जो दे रहे हैं? उनकी रैट रेस है, बहाना जनहित है. भगवान उन्हें सद्बुद्धि दें समझने की कि उनके हिसाब का जनहित कहीं जन का अहित तो नहीं करेगा. सो हम तो जनहित में बात कर लें. हालांकि शुरुआत पॉलिटिकल ही होगी लेकिन बतौर सीख के.

650_122422111721.jpg

कांग्रेस का आरोप है कि इस यात्रा को जनसमर्थन मिलता देख ऐसा किया जा रहा है. बेहतर होता यदि हेल्थ मिनिस्ट्री द्वारा गाइडलाइन जारी कर हर तरह के सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए कोविड प्रोटोकॉल बनाया जाता. सवाल है प्रोटोकॉल की जरूरत ही क्यों है? सभी स्वतः ही कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर का अनुपालन क्यों ना करें खासकर तब जब नित कई देशों से नामाकूल ख़बरें आ रही हैं. बहुत पहले एक जैन आचार्य ने स्लोगन दिया था, 'निज पर शासन फिर अनुशासन'. इसी संदर्भ में जिक्र बनता है पड़ोसी देश थाईलैंड के बैंकॉक शहर का. टूरिज्म वहां मुख्य स्त्रोत है लोगों की आय का. दो महीने पहले भी, जब कोरोना मृतप्राय था, वहां हर नागरिक मास्क लगा रहा था जबकि कोई गाइडलाइन नहीं थी और दुनिया के अन्य देशों से आये पर्यटक बिना मास्क के भ्रमण कर रहे थे. यही आलम बैंकाक एयरपोर्ट पर भी था.

कहने का मतलब एहतियात बरतने के लिए किसी कानून की क्या जरूरत है? जब स्थिति की मांग एहतियात बरतना है तो नागरिकता में पालन करना निहित है. सही मायने में आदर्श स्थिति तो स्वतः ही कोविड के लिए बनाये गए सर्वविदित नियमों का अनुपालन होना है. वरना तो "वो" कम थोड़े ना है जिनके लिए 'रूल आर मेड टू बी ब्रोकन' ब्रह्मवाक्य है. खैर, फिलहाल तो विपक्ष को मौका मिल गया है और अपनी अपनी सियासी सुविधा से मनसुख जी की चिट्ठी के मायने निकाले जा रहे हैं.

कोरोना महामारी की शुरुआत के करीब तीन साल बाद चीन में एक बार फिर कोविड से जुड़े मामलों में पिछले कुछ दिनों से वृद्धि की ख़बरें आने लगी हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसकी वजह से चीन में बीमारी की चपेट में आए लोगों से हॉस्पिटल फुल हो रहे हैं और कई मौतें भी हुई हैं. कोविड के ऑमिक्रॉन वैरिएंट के सबलीनिएज वैरिएंट BF.7 को चीन में आई कोरोना की इस लहर की वजह बताया जा रहा है. "भारत में भी इस वैरिएंट के मामले सामने आने'' से जुड़ी डर पैदा करने वाली हेडलाइन की वजह से दहशत फैल रही है. अमेरिका, जापान आदि देशों में भी इसका असर देखा जा रहा है, हालांकि वहां वह चीन जितना मारक नहीं है. भारत के लिए भी इसे खतरे की घंटी मानने की कोई वजह नहीं दिख रही है.

लेकिन हर किसी को अलर्ट रहने की जरूरत है और तदनुसार सरकार एक्टिव भी हो गई है, जबकि माना जा रहा है कि भारत में 90 फीसदी से ज्यादा लोगों में स्वाभाविक प्रतिरक्षा विकसित हो चुकी है. इसके विपरीत चीन के मौजूदा हालातों की वजहें हैं, एक तो उसकी जीरो टॉलरेंस नीति उलटी पड़ गई, दूजे उसके वैक्सीन कितने कारगर थे, सवाल इसलिए है कि वैक्सीनों को इंटरनेशनल प्लेटफार्म पर चेक ही नहीं किया जा सका और बाहरी टेस्टेड वैक्सीन को उसने अनुमति नहीं दी. केंद्र सरकार ने फिर से जीनोम सीक्वेंसिंग तेज करने की बात कही है. हेल्थ मिनिस्टर ने सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ बैठक कर राज्यों के लिए समुचित एडवाइजरी भी जारी कर दी है. बूस्टर डोज़ के लिए नैजल वैक्सीन की अनुमति भी दे दी है. विदेशों से आने वाली खासकर चीन और अन्य प्रभावित देशों से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट फ्लाइटों की चौकसी पूर्व की भांक्ति शुरू करवा दी है.

क्या कोई वजह हो सकती है कि सरकारें, केंद्र की हो या राज्यों की, कोताही बरतें? हरगिज़ नहीं सिवाय पॉलिटिकल के, और अंत में लगे हाथों केंद्र सरकार ने जन सरोकार का बड़ा फैसला भी ले लिया है, एक बार फिर एक तीर दो निशाने. इसके साथ ही नहले पे दहला. एक साल और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिलेगा. कुछ दिन पहले ही राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने आसन्न चुनाव के मद्देनजर गरीब तबके के लिए 500 रुपये में उज्जवला सिलेंडर देने का ऐलान जो कर दिया था.

लेखक

prakash kumar jain prakash kumar jain @prakash.jain.5688

Once a work alcoholic starting career from a cost accountant turned marketeer finally turned novice writer. Gradually, I gained expertise and now ever ready to express myself about daily happenings be it politics or social or legal or even films/web series for which I do imbibe various  conversations and ideas surfing online or viewing all sorts of contents including live sessions as well .

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय