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Updated: 10 सितम्बर, 2019 08:20 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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Chandrayaan-2 मिशन के तहत 7 सितंबर को लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर लैंड होना था. सब सही चल रहा था, लेकिन चांद की सतह पर पहुंचने से महज 2.1 किलोमीटर पहले ही इसरो का लैंडर से संपर्क टूट गया. तब से लैंडर से संपर्क करने कोशिश की जा रही है, ताकि ये पता चल सके कि आखिर के पलों में क्या हुआ था. जब ऑर्बिटर ने लैंडर की थर्मल इमेज भेजी तो उम्मीद की एक किरण जगी भी थी, लेकिन अब जैसे-जैसे दिन गुजर रहे हैं, वैसे-वैसे उम्मीद भी टूटती सी जा रही है. यहां तक कि कई वैज्ञानिक भी मान रहे हैं कि अब लैंडर से दोबारा संपर्क कर पाना मुमकिन नहीं हैं. वहीं दूसरी ओर इसरो अपनी सालों की मेहनत को बचाने की हर संभव कोशिश कर रहा है कि कैसे भी एक बार लैंडर से संपर्क स्थापित हो जाए.

फिलहाल इसरो के पास करीब 10 दिन बचे हैं, क्योंकि इसके बाद लैंडर से संपर्क नहीं हो सकेगा. आपको बता दें कि चांद की सतर पर लैंडर का मिशन 14 दिन का था, जिनमें से 4 दिन गुजर चुके हैं. लैंडर की थर्मल इमेज आने के बाद एक खबर आई थी कि इसरो के किसी अधिकारी ने बताया है कि चांद की सतर पर लैंडर सुरक्षित है और उसके साथ कोई टूट-फूट नहीं हुई है, लेकिन वह टेढ़ा है यानी गिर गया है. हालांकि, कुछ ही देर में इसरो ने ये साफ कर दिया कि अभी तक इस बात की कोई पुष्टि नहीं हो सकी है कि लैंडर किस हालत में है. देखा जाए तो इसरो ने लैंडर के सही सलामत होने की खबर का खंडन किया.

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कम्युनिकेशन का दूसरा रास्ता अपना सकते हैं !

चंद्रयान-1 के डायरेक्टर एम. अन्नादुराई के अनुसार, लैंडर से इसरो का टू वे कम्युनिकेशन होना था, लेकिन अब कोशिश की जा सकती है कि वन वे कम्युनिकेशन भी स्थापित हो सके तो हो जाए. यानी अगर लैंडर से कोई इंफॉर्मेशन आ नहीं सकती तो कम से कम एक बार यहां की इंफॉर्मेशन उस तक तो पहुंच जाए. हालांकि, उन्होंने यह साफ कर दिया कि वन वे कम्युनिकेशन अगर हो भी गया तो वह महज 5-10 मिनट तक रहेगा. खैर, अगर इतना भी हो जाए तो काफी कुछ पता चल सकता है. और कम से कम आने वाले मिशन के लिए तो कुछ मदद मिल ही सकती है.

कम्युनिकेशन ना होने की ये भी हो सकती है वजह

चंद्रयान-1 के डायरेक्टर एम. अन्नादुराई ने आशंका जताई है कि हो सकता है चांद की सतह पर मौजूद बाधाएं लैंडर से इसरो का संपर्क स्थापित नहीं होने दे रही हैं. ये बाधाएं कोई क्रेटर हो सकता है या फिर सतह पर मौजूद कोई मैग्नेटिक फील्ड. ऐसी आशंका इसलिए जताई जा रही है कि भले ही लैंडर अपना काम करने की हालत में ना हो या टेढ़ा या उल्टा हो गया हो, लेकिन कम से कम कम्युनिकेशन तो कर ही सकता है, लेकिन फिलहाल वो भी नहीं हो पा रहा है.

तो क्या लैंडर अब नहीं रहा?

वैसे तो कोई भी उम्मीद छोड़ने को तैयार नहीं है. ना ही इसरो अपनी कोशिश छोड़ रहा है. आज भी उसने ट्वीट कर के कहा है कि अभी तक लैंडर से संपर्क नहीं हो सकता है और लगातार कोशिश हो रही है संपर्क करने की. इसी बीच इसरो के एक अधिकारी ने कहा है कि जैसे-जैसे समय बीत रहा है, लैंडर से संपर्क करना मुश्किल होता जा रहा है. वैसे भी, लैंडर के सही-सलामत होने की खबर पर इसरो ने पुष्टि नहीं होने की बात कहकर एक इशारा तो दे ही दिया है कि लैंडर सही-सलामत नहीं है.

हार्ड लैंडिंग का मतलब है कि सब ठीक नहीं है

इसरो ने भी कहा था कि चंद्रमा की सतह पर लैंडर की लैंडिंग सॉफ्ट नहीं रही. या तो ये हार्ड लैंडिंग हुई होगी या फिर क्रैश लैंडिंग हुई होगी. आपको बता दें कि चाहे हार्ड लैंडिंग हुई हो या फिर क्रैश लैंडिंग हुई हो, दोनों ही सूरतों में ये मुमकिन नहीं है कि लैंडर बिल्कुल सही सलामत हो. एम. अन्नादुराई भी इस बात का इशारा कर चुके हैं और इसरो के अधिकारी भी शुरुआत में कह चुके हैं कि लैंडर ने हार्ड या क्रैश लैंडिंग की होगी.

देखा जाए तो अब धीरे-धीरे ऐसी जानकारियां जनता के बीच लाई जा रही हैं, जिनसे लोग ये समझ सकें कि लैंडर अब नहीं रहा. वैसे भी, अगर सब कुछ ठीक ही होता तो इसरो ने अब तक थर्मल इमेज तो जारी कर ही दी होती. आखिर यही इसरो लैंडर की लैंडिंग को लाइव दिखा रहा था, तो फिर थर्मल इमेज को शेयर ना करना साफ कर रहा है कि लैंडर सही-सलामत नहीं है. हो सकता है कि लैंडर टूट गया हो और अब कम्युनिकेशन की हालत में ही ना हो. खैर, ये देखना दिलचस्प होगा कि वन वे कम्युनिकेशन से कुछ पता चल पाता है या नहीं.

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