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Updated: 10 जनवरी, 2021 02:47 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
  @masahid.abbas
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आप अपने घर के पले जानवर को कितना प्यार करते हैं? बहुत ज़्यादा! बहुत ज़्यादा नहीं भाई, कितना प्यार करते हैं? आप अपने घर के जानवर से बहुत प्यार करते होंगे तो उस जानवर को एक प्यारा सा नाम देते होंगे, उसको वही सबकुछ खाना पानी खिलाते पिलाते होंगे जिसे आप खुद खाते पीते होंगे, उसे अपने कमरे में ही या अपने ही बिस्तर पर सुलाते होंगे, उसको सैर कराने लेकर जाते होंगे, उसकी कंघी करते होंगे उस जानवर के बदन को खुजलाते होंगे,उससे बातें करते होंगे औऱ उसके साथ खूब खेल मस्ती करते होंगे, ये सब चीज़ें इस बात को साबित करती है कि आप अपने जानवर से कितना प्रेम करते हैं कितना चाहते हैं. लेकिन क्या आप अपने पालतू जानवर से इतना प्यार करते हैं कि, उस जानवर के नाम अपनी जायदाद लिख देंगें? या फिर अपने पालतू जानवर की शादी ब्याह और दाह संस्कार भी करेंगें?

आप चौंकिए मत, ऐसा भी होता है. आप नहीं करते मगर कुछ ऐसे पशु प्रेमी भी होते हैं जो ये काम करते हैं. ये सब चीज़ें सुनना बहुत अजब गजब लगता है लेकिन अगर इस काम को अंजाम देने वालों की मानसिकताओं को परख लिया जाए तो समाज में इन लोगों की इज़्ज़त दोगुनी हो जाएगी. सबसे पहले आपको बताते हैं मामला क्या है? चर्चा क्यों हो रही है?

Animals, Buffalo, Love, Death, Last Rites, Dog, Legacyयूपी के मेरठ में कुछ यूं हुआ भैंस की मौत के बाद तेहरवीं का प्रोग्राम

दरअसल उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर से एक खबर प्रकाश में आयी है. जिले के मोहम्मद शाकिस्त गांव में एक किसान है, जिसका नाम सुभाष बताया जा रहा है. खबर है कि उनकी भैंस की मृत्यु हो गई, अंतिम संस्कार की प्रक्रिया ठीक वैसे ही की गई जैसे किसी व्यक्ति के लिए की जाती है. भैंस की अंतिम विदाई के वक्त ढ़ोल भी थे, ताशे भी थे और अंतिम विदाई भी सभी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूरी की गई. ऐसी खबरें तो पहले भी आ चुकी हैं ये कुछ नया नहीं था लेकिन सुभाष ने आगे जो किया और उस कार्य को करके जो संदेश दिया वह अहम है.

सुभाष ने अपनी भैंस के लिए बाकायदा तेरहवीं का कार्यक्रम रखा, आस-पड़ोस, रिश्तेदार समेत गांव के लोगों को दावत दी और भैंस की श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण भेजा. तेरहवीं वाले दिन टेंट लगवाए गए हलवाई बुलवाए गए और भैंस की सभा का पिंडाल सजाया गया. गांव के लोग व रिश्तेदार सभा में शामिल हुए तो सबसे पहले भैंस की फोटो पर फूल माला चढ़ाकर भैंस की आत्मा की शांति की प्रार्थना की और उसके बाद भोजन पर बैठे. प्रसाद खाया खाना खाया और एकबार फिर सबने भैंस की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.

सुभाष का ये पशु प्रेम इसलिए नहीं था कि वह उनको सबसे ज़्यादा बिजनेस देती थी या फिर उस भैंस से उसे बहुत ज़्यादा फायदा होता था जिसकी वजह से सुभाष को भैंस से अत्यधिक लगाव या अत्यधिक प्रेम हो गया था. सुभाष की भैंस दूध देना भी बंद कर चुकी थी और वह पिछले 32 सालों से सुभाष के घऱ पली हुयी थी. अकसर ऐसा होता है कि जब भैंस या गाय दूध देना बंद कर देती है तो लोग उसे बेच डालते हैं लेकिन सुभाष ने अपनी भैंस को न सिर्फ पाला बल्कि बेहतरीन तरीके से पाला औऱ उसपर बराबर पैसे खर्च करते रहे.

हाल ही में सुभाष की भैंस बीमार हो गई तो सुभाष ने उसके इलाज पर पानी की तरह पैसा खर्च किया लेकिन वह अपनी भैंस को बचा नहीं पाए. जब भैंस मर गई तो सुभाष ने उसका सभी कर्मकांड ठीक वैसे ही किया जैसा किसी भी परिवार के सदस्य के साथ होता है.

मेरठ जिले में ही अभी कुछ दिन पहले एक व्यक्ति ने अपने कुत्ते का अंतिम संस्कार कर मृत्यू भोज का कार्यक्रम रखा था जिसमें भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे और कुत्ते की आत्मा को शांति दी थी. अभी हाल ही में झारखंड की खबर भी खूब वायरल हुयी थी जहां एक किसान ने अपने नालायक बेटे से तंग आकर अपनी संपत्ति अपने कुत्ते के नाम कर दी थी.

इन खबरों को आप हंसने वाली खबरें कह सकते हैं मगर इन खबरों के पीछे के संदेशों को समझना भी ज़रूरी है कि आखिर क्यों 'तुम्हारा कुत्ता कुत्ता और इन लोगों का कुत्ता टॅामी बन जाता है' जिस तरह आप अपने जानवर से प्यार करते हैं, वैसे ही ये लोग भी अपने जानवर से प्रेम करते हैं. मगर इनका प्रेम और दीवानगी इनको खास बना देता है. आप इनके प्रेम को पागलपन कहकर नकार नहीं सकते हैं बल्कि इनके प्रेम को एक मिसाल ज़रूर कह सकते हैं.

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लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास @masahid.abbas

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और समसामयिक मुद्दों पर लिखते हैं

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