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Updated: 27 सितम्बर, 2021 09:12 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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कृषि कानून के विरोध में आज भारत बंद (Bharat bandh) रहा. तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को एक साल पूरा होने वाला है. वैसे किसानों की ओर से बुलाए गए भारत बंद का बड़ा असर दिखाई दे रहा है. तो चलिए देखते हैं कि आज के भारत बंद से किसे फायदा हुआ और नुकसान? हालांकि किसानों ने दावे के अनुसार अस्पताल, दवा की दुकानें, एंबुलेंस समेत अन्य मेडिकल से जुड़ी सारी सेवाओं को बाधित नहीं किया गया.

असल में भारत बंद से आम जनता को तकलीफ तो उठानी ही पड़ती है. वहीं जब भी पूरा दिन व्यवसाय बंद रहता है इकॉनामी को हजारों करोड़ का नुकसान होता है. उद्दोग सीआईआई के अनुमान के अनुसार एक दिन के भारत बंद से इकोनॉमी को लगभग 25 से 30 हजार करोड़ का नुकसान होता है.

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खैर, यह तो रही इकोनॉमी की बात. इसके अलावा भी आम लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. आज ही भारत बंद के कारण दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान डटे रहे. ऐसे में दिल्ली, यूपी और आसपास के क्षेत्र में जाम तो लगना ही था. दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर तो 'महाजाम' की कई तस्वीरें भी सामने आईं.

यहां बॉर्डर पर गाड़ियों की लंबी कतार लगी थी और हजारों कारें सड़कों पर दिखाई दे रही थीं. सोमवार के दिन लोगों को ऑफिस के लिए भी निकलना था. तो जो परेशानी हुई वो उनको हुई. राष्ट्रीय किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने पहले ही कह दिया था कि लोग 4 बजे तक घरों में ही रहे, लेकिन यह बात कपंनियों को समझ नहीं आती वरना आज वे छुट्टी कर देते.

सिर्फ रोड जाम ही नहीं, भारत बंद की वजह से कई ट्रेनें भी कैैंसिल हो गईं. कई स्थानों पर किसान रेलवे ट्रैक पर बैठे रहे. इससे दिल्ली, अंबाला और फिरोजपुर डिवीजन में रेल यातायात प्रभावित हुआ और दिल्ली से चलने वाली कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया. अब दिक्कत उनको हुई होगी जिनको आज ट्रेन पकड़नी होगी.

असल में दिल्ली डिवीजन में तो 20 से अधिक स्थानों पर किसान ट्रैक पर बैठे थे. इस वजह से अंबाला और फिरोजपुर डिवीजनों में करीब 25 ट्रेनें प्रभावित हुईं. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि रेलवे की रिपोर्ट बता रही है. असल में नई दिल्ली अमृतसर- शान ए पंजाब, नई दिल्ली-मोगा स्पेशल ट्रेन, पुरानी दिल्ली-पठानकोट स्पेशल, नई दिल्ली-अमृतसर शताब्दी और नई दिल्ली-कालका शताब्दी रद्द कर दी गई है, वजह है भारत बंद.

काश रेलवे यह नियम लगा दे कि कोई आंदोलन करो, प्रदर्शन करो लेकिन रेलवे ट्रैक पर मत बैठो. पूरी व्यवस्था चरमरा जाती है. अब जिनकी ट्रेन कैंसिल हुई है उसका दर्द हम कैसे समझ सकते हैं. इतना ही नहीं, भारत बंद के समय दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर एक किसान की मौत हो गई है. बताने वाले कह रहे हैं कि किसान की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई है. अब यह नुकसान किसका है? उसके परिवार पर क्या बीतेगी…किसी के पास जवाब नहीं है.

किसे होगा फायदा

अब देखना है कि सरकार पर आज के भारत बंद का कितना असर पड़ता है. अगर केंद्र सरकार तीनों नए कृषि कानून वापस ले लेती है तो किसका फायदा होगा? कई लोग राकेश टिकैट पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि भारत बंद का राजनीति से कुछ भी लेनादेना नहीं है. जिसकी केंद्र में सरकार है हम उसका विरोध कर रहे हैं. हमारा आंदोलन केंद्र सरकार के खिलाफ है. देश में पहली बार तो भारत बंद हो नहीं रहा है. इस आंदोलन के क्या फायदा होगा? इसके जवाब में टिकैट ने कहा कि क्या यह देश में पहली बार बंद हो रहा है. आज जो सरकार में हैं जब वे लोग बंद करते थे तो उन्हें क्या हासिल होता था?

हमने भी तो उनसे ही सीखा है. हम करीब एक साल से आंदोलन करते आए हैं, हो सकता है कि भारत बंद से ही कुछ रास्ता निकल जाए. यह भी हमारे आंदोलन का ही एक हिस्सा है. तीनों नए कृषि कानून वापस होने पर ही किसानों को फायदा होगा. अगर हमें 10 सालों तक भी यह आंदोलन करना पड़े तो हम करेंगे. अगर वर्तमान सरकार ने इन कानूनों को वापस नहीं लिया तो आने वाली सरकारों को इसे वापस लेना ही होगा.

इसके साथ ही भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भारत बंद पूर्ण रूप से सफल बताया है. उनका कहना है कि आगे की रणनीति संयुक्त किसान मोर्चा बनाएगा. यानी किसानों के लिए तो आज का भारत बंद फायदेमंद ही रहा...अब जिसे नुकसान हुआ है वो अपना जानें...किसान तो हमारे अन्नदाता है, उनके लिए इतना सहना पड़ेगा लेकिन जो किसान नहीं है जो राजनीति चमका रहे हैं उनकी वजह से किसी को नुकसान क्यों सहना पड़े? 

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लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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