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Updated: 02 दिसम्बर, 2015 06:14 PM
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हिंदी के कठिन शब्द अब डिक्शनरियों की शोभा बढ़ाते हैं. बोलचाल को तो छोड़ ही दीजिए, ऐसे शब्दों से तो मीडिया ने भी तौबा कर ली है. लेकिन मजबूरी कहिए, समय की मांग या नए वैकल्पिक शब्दों की कमी... कभी-कभी ये कठिन शब्द हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं. सहिष्णुता-असहिष्णुता ऐसे ही दो शब्द हैं, जो इन दिनों हमारे दिलो-दिमाग पर छाए हुए हैं. लोकसभा में इन पर बहस हुई तो लगा छुटकारा मिल जाएगा... लेकिन नहीं. हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी ऐसे किसी मूड में नहीं है - 10 दिसंबर को वहां बीफ फेस्टिवल होने वाला है. मतलब सहिष्णुता-असहिष्णुता अभी कुछ और दिन हमें 'डराने' वाली है.

भारत में बीफ और पोर्क की बात करें और सब कुछ सामान्य रह जाए, यह संभव नहीं. हैदराबाद भारत में ही है. तो वहां भी तनाव है. हिंदुओं की भावनाओं की रक्षा के लिए झंडा उठाया है वहां के एक विधायक ने - नाम है राजा सिंह. उन्होंने धमकी दी है - गाय की रक्षा के लिए जान ले भी सकता हूं और दे भी सकता हूं. दिक्कत यह है कि राजा सिंह को तेलंगाना बीजेपी भी यह समझाने में सफल नहीं हो पाई है कि बीफ का मतलब सिर्फ और सिर्फ गाय का मीट ही नहीं होता है. वहां के बीजेपी चीफ जी. कृष्णन रेड्डी के अनुसार उस्मानिया यूनिवर्सिटी में भैंस या बैल के मीट का प्रयोग किया जाता है, इसलिए पार्टी को कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन यह तो तर्क है... भावनाओं के आगे तर्क का क्या काम!!!

सहिष्णुता-असहिष्णुता, भारत और तर्क से याद आया. मराठी दैनिक समाचार पत्र लोकमत में ISSI की फंडिंग को दिखाने के लिए पिगी बैंक के इलस्ट्रेशन का सहारा लिया गया. कुछ मुस्लिमों ने इसे इस्लाम से जोड़ कर देख लिया. लोकमत के ऑफिस में तोड़फोड़ की गई. संपादक को माफीनामा छापना पड़ा. ISIS को इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है - यह तर्क है. इस्लाम में पिग यानी सूअर हराम है - यह भावना है. स्थिति बहुत ही स्पष्ट है. धर्मनिरपेक्ष भारत में धर्म के साथ भावना ही चलेगी, तर्क नहीं.

#बीफ, #मुस्लिम, #इस्लाम, बीफ, मुस्लिम, इस्लाम

लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

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