New

होम -> समाज

 |  2-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 03 मई, 2016 05:40 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
  • Total Shares

एक लंबे अरसे के बाद बाबा सहगल के गाने फिर से सुनाई देने लगे हैं. चर्चाएं हो ही रही थीं कि अब बाबा के गानों में वो बात नहीं रही जो कभी हुआ करती थी, वहीं एक और गाना रिलीज हो गया जो मोटी महिलाओं के लिए लिखा गया. इसमें बाबा महिलाओं को डायटिंग करने की सलाह देते दिख रहे हैं. इसे बॉडी शेमिंग सॉन्ग कहा जा रहा है, जिसे लेकर बाबा सहगल की जमकर आलोचनाएं हो रही हैं.

3_050316033158.jpg
 

90 के दशक में भले ही बाबा सहगल ने अपने गानों से लोगों का मनोरंजन किया हो, लेकिन थोड़ी ही समय के बाद उनके गाने बोरिंग लगने लगे थे. 2000 के बाद तो बाबा बॉलीवुड से गायब ही हो गए, लेकिन कुछ महीनों पहले ही बाबा अपने गाने लेकर एक बार फिर हाजिर हैं. लेकिन उनके आए गानों को सुनने के बाद ये कहना जरा भी गलत नहीं होगा कि इस जैनेरेशन के सामने बाबा सहगल की दाल नहीं गलने वाली. आज की जैनेरेशन बाबा सहगल के गानों पर सिर्फ ठहाके मार रही है, उनके लिए बाबा के गाने वैसे ही हैं जैसे तहर शाह के.

1_050316034946.jpg
 

हाल ही में रिलीज हुए गाने 'डायटिंग कर ले' में बाबा सहगल ने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया है उन्हें सुनते ही किसी को भी गुस्सा आना स्वाभाविक है. वो चाहते हैं कि लड़कियां डायटिंग करें, जिम जाएं. हालांकि जिम जाने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन शब्दों का इस्तेमाल जिस तरह किया गया है वो इसे भद्दा बना रहा है.

''खाने में थोड़ा झोल तू कर ले, कैलोरीज कंट्रोल तू कर ले. माइंड न करना बेबी तेरे चीक्स हैं थोड़े चबी चबी आ ट्रेनिंग तुझको दे दूं. तू जिम में आजा अभी अभी''

क्या बात है...बाबा का कहना है कि लड़कियों को अपनी फिगर पर ध्यान देना चाहिए, अगर उनका पेट निकल आया तो उनका ब्वॉयफ्रेंड भी हाथ से निकल जाएगा.

''पेट भी तेरा निकल रहा है, ब्वॉयफ्रेंड भी तेरा निकल रहा है, वेइंग स्केल पर 80 केजी वेट ये तेरा निकल रहा है''

इतना ही नहीं कुछ शब्दों का चयन तो इतना खराब है कि वो दोयम दर्जे का लग रहा है. जैसे-

''पेट कवर कर लिया है चुन्नी से, इट्स लुकिंग ऑड, कमर थी 26 अब है 32 ओएमजी ओ माय गॉड''

और आखिर में

''बेबी कितना खाएगी ... बस कर ''

देखिए ये वीडियो-

बाबा भले ही खुद को एक बार फिर स्थापित करने की फिराक में हों, लेकिन उन्हें ये बात समझ लेनी चाहिए कि अब जमाना बदल गया है, अगर वो वास्तव में स्थापित होना चाहते हैं तो इस जैनेरेशन को साथ में लेकर चलना होगा, और अपनी लेखनी में सुधार भी करना होगा, नहीं तो भारत का तहर शाह बनने में उन्हें जरा भी देर नहीं लगेगी और सब यही कहेंगे कि- 'बाबा कितना लिखेगा...बस कर.'

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय