New

होम -> समाज

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 11 दिसम्बर, 2019 09:59 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
  • Total Shares

मेरे मोबाइल पर एक रिश्तेदार ने बाबा रामदेव(Baba Ramdev) का एक वीडियो भेजा जिसमें वो ये बता रहे हैं कि कैसे तुलसी पत्ता मोबाइल के कवर में लगा लेने से मोबाइल रेडिएशन (Mobile radiation) फ्री हो जाता है. पहले तो इस वीडियो को मैंने अनदेखा कर दिया था, लेकिन जब कुछ लोगों को मोबाइल के कवर में तुलसी पत्ता रखे हुए देखा तब इस वीडियो की गंभीरता समझ आई. तब लगा कि हमारे देश में लोग बाबा पर कितना यकीन करते हैं. और इसीलिए मोबाइल रेडिएशन और तुलसी के बीच के रिलेशनशिप को समझना और जरूरी हो गया.

पहले ये जान लीजिए कि बाबा रामदेव ने क्या कहा. बाबा उडुपी में थे और एक कार्यक्रम में बाबा ने तुलसी के चमत्कारिक उपाए बताए. उन्होंने demo दिखाया कि किस तरह तुलसी के दो पत्ते मोबाइल के कवर में लगाने से रेडिएशन नहीं होगा. बाबा ने दावा किया कि ऐसा करके मोबाइल रेडिएशन फ्री (radiation free) हो जाता है. उन्होंने कहा कि रेडिएशन एनर्जी लेवल डाउन कर देता है, और तुलसी दोबारा एनर्जी ला देती है. बाबा ने इसे the philosopy of divine energy कहा और बताया कि ये किस तरह science of radiation से लड़ती है.

पीछे से आवाज आई 'जय हो'. वाकई बाबा की जय हो कि लोगों ने उनकी कही बात को पत्थर की लकीर समझा और ये वीडियो खूब वायरल किया गया. लोगों ने दो पत्ते कवर में रखना भी शुरू कर दिए. लेकिन बाबा ने डेमो दिखाकर जो लॉजिक दिया वो विज्ञान से परे था. रेडिएशन से पॉवर का क्या लेना देना है ये भी समझ नहीं आता.

जानिए तुलसी और रेडिएशन में संबंध

2012 में DRDO (Defense Research Development Organization) की एक रिसर्च सामने आई थी जिसमें कहा गया था कि तुलसी में विकिरण विरोधी यानी anti radiation और anti cancer यानी कैंसर विरोधी गुण होते हैं. शोध से पता चला कि तुलसी का उपयोग विकिरण के संपर्क में आने वाले रोगियों के इलाज में प्रभावी रूप से किया जा सकता है. इसका सफलतापूर्वक परीक्षण चूहों पर किया गया था.

बताया गया कि तुलसी में उत्कृष्ट एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो न केवल विकिरण के प्रतिकूल प्रभावों को कम करते हैं बल्कि कैंसर रोगियों की कीमोथेरेपी के लिए भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं. अगर कोई शख्स रेडिएशन के संपर्क में होता है तो उससे बोन मैरो प्रभावित होती है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है. तुलसी में ग्लूटाथिओन नामक एक रासायनिक पदार्थ होता है जो विकिरण के दुष्प्रभाव को कम करने में सक्षम होता है.

ramdev-tulsi-radiationतुलसी का सेवन करने और तुलसी को कवच की तरह इस्तेमाल करने में फर्क है

यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि वैज्ञानिक तुलसी यानी तुलसी के अर्क में पाए जाने वाले गुणों की बात कर रहे हैं, जिसे पीने के बाद शरीर में उसका उसर दिखाई देता. लेकिन बाबा रामदेव तो तुलसी के पत्ते को शील्ड की तरह इस्तेमाल करने की बात कर रहे हैं. इसे ऐसे समझिए- जल जाने पर बरनॉल लगाई जाती है क्योंकि बरनॉल जले हुए को ठीक करती है. लेकिन बरनॉल पहले ही लगा ली जाए और ये सोचा जाए कि हम जलेंगे नहीं ये तो गलत है न. तुलसी का अर्क शरीर और इम्यूनिटी के लिए बहुत अच्छा होता है ये साबित भी हो चुका है. लेकिन तुलसी के पत्तों की ढाल बनाकर अगर अपने आसपास लगा ली जाए तो ये काम नहीं करेगी. बाबा का ये कहना सही है कि स्वास्थ्य के लिए लोगों को तुलसी का सेवन करना चाहिए. हो सकता है कि तुल्सी खाने से रेडिएशन का प्रभाव कम हो जाए, लेकिन तुल्सी के पत्ते रेडिएशन को खत्म नहीं कर सकते.

खुद चेक कीजिए कि बाबा कितने सही हैं

हम दो तरीके बता रहे हैं ये जानने के कि तुलसी के पत्ते से मोबाइल रेडिएशन खत्म होती है या नहीं. पहले तो ये जान लीजिए कि सेल फोन रेडियो तरंगों(radio waves) के माध्यम से signal देते हैं, जो radio-frequency (RF) energy से मिलकर बने होते हैं जो electromagnetic radiation का एक प्रकार है. सरल भाषा में समझें तो रेडिएशन के बिना मोबाइल में सिगनल ही नहीं आएंगे, और मोबाइल नहीं चलेगा.

बाबा राम देव ने कहा कि 'तुलसी के पत्ते से मोबाइल रेडिएशन फ्री हो जाता है'. खुद चेक कीजिए कि ऐसा होता है या नहीं-

प्रयोग1- समझ लीजिए कि रेडिएशन फ्री हो जाने पर मोबाइल में सिगनल नहीं आएंगे. आप तुलसी का पत्ता मोबाइल कवर पर रखने के बाद मोबाइल पर फोन कीजिए. अगर फोन नहीं लगता तो समझिए कि बाबा रामदेव एकदम सही थे. लेकिन अगर फोन लग जाता है तो बाबा रामदेव की बातों में कोई दम नहीं समझो.

प्रयोग 2- मोबाइल हमें खुद बताता है कि उसमें कितनी रेडिएशन है. ये पता करने के लिए मोबाइल से *#07# डायल कीजिए. फोन पर एक मैसेज डिसप्ले होगा कि आपके मोबाइल के head (यानी बात करते वक्त होने वाला रेडिएशन) और body (यानी बिना बात करते हुए रेडिएशन) में कितना रेडिएशन है.

sar value

इसे SAR value कहा जाता है. पहले मोबाइल की radiation चेक कीजिए फिर तुलसी का पत्ता रखकर दोबारा चेक कीजिए, अगर SAR value में फर्क दिखाई दे तो समझिए बाबा की बात सही है.

माना की बाबा रामदेव के योग में दम है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि बाबा की कही हुई हर बात पत्थर की लकीर हो गई. आध्यात्म और विज्ञान को मिलाकर इस तरह के तर्क देना सिर्फ लोगों को भ्रमित करना ही है. इसलिए mobile रेडिएशन से बचना है तो मोबाइल से दूर रहकर ही बचा जा सकता है.

ये भी पढ़ें-

मोबाइल रेडिएशन पर होने वाली 'रिसर्च' सिर्फ गुमराह करती हैं !

iPhone के जाल से निकलने में मदद करेंगी ये 5 बातें

कैसे पता करें असली और नकली स्मार्टफोन चार्जर का अंतर?

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय