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Updated: 27 सितम्बर, 2018 05:32 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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अगर गाय की ओर आंख उठा कर भी देखा तो आंखें नोंच ली जाएंगी, लेकिन क्या भैंस को रोज पत्थरों से मारा जा सकता है? गाय के नाम पर भीड़ किसी को भी पीट-पीट कर मार डालेगी, लेकिन भैंस की बात आने पर वही भीड़ भैंस की जान की दुश्मन क्यों बन जाती है? गाय के लिए गौशालाएं बनेंगी, लेकिन भैंस को देखते ही गोली मारने के आदेश? कुछ ऐसी ही तस्वीर है मध्य प्रदेश के मंदसौर की, जहां एक भैंस को देखते ही पत्थर मारने की सजा सुनाई गई थी. उसके बाद पुलिस को उसे देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए और अब वो भैंस इस दुनिया में नहीं है. मरते वक्त शायद उसके मुंह से यही निकला होगा कि 'अगले जन्म मोहे गइया ही कीजो.'

भैंस, गाय, पुलिस, मॉब लिंचिंगमध्य प्रदेश में एक भैंस को गांव वालों ने रोज पत्थर मारने की सजा सुनाई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

रोज पत्थर मारने की सजा

एक ओर उत्तराखंड में गाय को राष्ट्रमाता घोषित कर दिया गया है और प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेज दिया है. वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के मंदसौर में एक भैंस को गांव वालों ने रोज पत्थर मारने की सजा सुनाई है. दरअसल, इस भैंस ने कुछ दिन पहले एक महिला को घायल कर दिया था, जिसके बाद गांव वालों ने इसे देखते ही पत्थर मारने का फरमान जारी कर दिया. बस फिर क्या था, करीब 15 दिनों तक तो भैंस ने पत्थर खाए, लेकिन उसके बाद भैंस आग बबूला हो गई और गांव वालों को मारने के लिए दौड़ पड़ी. खौफ खाए गांव वाले पेड़ों पर चढ़ गए, लेकिन एक 60 साल का बुजुर्ग लालू बंजारा भैंस से बच नहीं सका और भैंस ने उसे मार-मार कर जान से मार डाला.

देखते ही गोली मारने के आदेश

लोगों ने वन विभाग के अधिकारियों को भी बुलाया था, लेकिन वह भी भैंस को काबू में नहीं कर सके. इसके बाद सीआरपीसी की धारा 133 के तहत डीएम से भैंस को गोली मारने की इजाजत मांग गई और बुधवार सुबह 8.30 बजे भैंस को गोली मार दी गई. भैंस से लोग कितना डरे थे, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि लोग डर के मारे जिन पेड़ों पर चढ़े थे, वहां से खुद उतर भी नहीं पा रहे थे. लोगों को उतारने के लिए जेबीसी बुलानी पड़ी और करीब 3 घंटों की मशक्कत के बाद सभी लोगों को सुरक्षित पेड़ से उतारा जा सका.

भैंस की मॉब लिंचिंग

गाय के नाम पर लोग इंसानों की मॉब लिंचिंग करते हैं, लेकिन भैंस के नाम पर भैंस की ही मॉब लिंचिंग की गई है. एक भैंस को रोज पत्थर मारने की सजा किसी मॉब लिंचिंग से कम है क्या? पिछले चार सालों में 134 ऐसे मामले आ चुके हैं, जिनमें गाय के नाम पर मॉब लिंचिंग हुई, गाय को लेकर राजस्थान में गौ मंत्रालय बना हुआ है, उत्तराखंड ने तो गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है, लेकिन भैंस के साथ इतना बर्बर व्यवहार क्यों हो रहा है?

गाय को माता माना जाता है, क्योंकि उसका दूध पिया जाता है. लेकिन क्या भैंस का दूध नहीं पिया जाता? भैंस को माता क्यों नहीं माना जाता है? गायों की रक्षा के लिए गौशालाएं बनाई जा रही हैं तो भैंसों की रक्षा के लिए कोई उपाय क्यों नहीं किए जा रहे. मंदसौर में भैंस को मारने के पीछे तर्क है कि वह बेकाबू हो गई थी और लोगों को मार रही थी. सवाल ये है कि किसी जानवर या इंसान को भी अगर रोज पत्थर मारे जाएंगे तो या तो वो मर जाएगा, या फिर उल्टा लोगों को मारना शुरू कर देगा. सब्र का बांध जब टूटता है तो उसका कहर कुछ लोगों पर तो बरसता ही है. शहरों या गांवों में घूम रही आवारा गायों और भैंसों को आश्रय देने की जरूरत है, ना कि गोली मारने की. और अगर भैंस को गोली मारना जायज है, तो फिर गाय पर ये नियम लागू किए जाने चाहिए.

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