New

होम -> समाज

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 28 मई, 2016 02:05 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

कई दशक पहले आई फिल्म पूरब और पश्चिम में मनोज कुमार ने गाया था, 'काले-गोरे का भेद नहीं, हर दिल से हमारा नाता है.' लेकिन आपको भी अच्छी तरह पता है कि हकीकत क्या है. भारत में आज भी शादियों के लिए किसी और चीज से ज्यादा लड़की के रंग को तवज्जो देना इस देश में आम है.

लेकिन ऐसा नहीं है कि रंगभेद सिर्फ भारत में होता है. दुनिया में ये हर जगह होता है. अब पड़ोसी देश चीन को ही लीजिए, जहां हाल ही में एक डिटर्जेंट पर बनाया गए ऐड पर बवाल मच गया है, वजह है इस विज्ञापन का जबर्दस्त तरीके से रंगभेदी होना. आइए जानें आखिर क्यों मचा है इस विज्ञापन पर बवाल.

क्यों मचा है एक चीनी कंपनी के विज्ञापन पर विवादः

चीन में कियाओबी ब्रैंड के लिए बनाए गए इस डिटर्जेंट के विज्ञापन में एक काला आदमी एक चीनी युवती को इशारे करता है और सीटी बजाते हुए उसके पास पहुंच जाता है और जब ऐसा लगता है कि वे दोनों किस करने वाले हैं, तभी युवती उस आदमी के मुंह में डिटर्जेंट की एक गोली डालकर उसे वॉशिंग मशीन में डाल देती है और मशीन को ऑन करके उसके ऊपर बैठ जाती है. अंदर से उस आदमी के चीखने की आवाज आती है. लेकिन जब युवती मशीन को खोलती है तो एक गोरा आदमी उससे बाहर निकलता है, जिसे देखकर लड़की मुस्कुरा कर उसका स्वागत करती है.

कियाओबी कंपनी के इस विज्ञापन को लेकर चीन ही नहीं बल्कि दुनिया भर में तीखी आलोचना हुई है. लोगों ने इसे बेहद नस्लवादी करार दिया है और ऐसे विज्ञापन बनाने के लिए कंपनी की तीखी आलोचना की है. ट्विटर जैसे चीन के सोशल मीडिया वीबो पर कई लोगों ने इस विज्ञापन की कड़ी आलोचना की है. इस विज्ञापन पर चीन में रहने वाले अफ्रीकी मूल के लोगों ने नाराजगी जताई है. अमेरिका में भी इस चीनी विज्ञापन का जोरदार विरोध हुआ है.

देखें चीनी कंपनी का वह विवादित विज्ञापन

 ये है कंपनी का प्रचार का हथकंडा!

हालांकि इस आचोलना के बावजूद भी कंपनी ने न तो इस विज्ञापन के लिए माफी मांगी है और न ही इसे हटाया है. ऐसा विज्ञापन कंपनी का प्रचार हासिल करने के लिए अपनाया गया हथकंड़ा भी हो सकता है. बीबीसी के मुताबिक ये विज्ञापन एक महीने पुराना है लेकिन अब सोशल मीडिया पर शेयर होने के बाद ही ये चर्चा में आया है और इस पर बवाल मचा है.

लेकिन ये जिस कंपनी का विज्ञापन है उसका रवैया हैरान करने वाला है. कियाओबी के मालिक ने कहा कि जब तक लोगों ने ध्यान नहीं दिलाया मुझे ये नस्लवादी नहीं लगा. सच कहं तो इस पर मैंने बहुत ध्यान ही दिया था. यानी या तो इस कंपनी को नस्लवाद का मतलब नहीं पता या वह जानूबूझकर मामले की गंभीरता से आंख मूंदना चाहती है.

ये भी संभव है कि शुरू में इस विज्ञापन को आशातीत सफलता न मिलती देख कंपनी ने ही इस विवाद को जन्म दिया हो क्योंकि इस विवाद के सामने के बाद ही यह सोशल मीडिया पर जबर्दस्त हिट हो गया है. यानी विवादों से ही सही कंपनी के इस विज्ञापन को जोरदार चर्चा तो मिल ही गई है, कंपनी तो यही चाहती थी!

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय