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Updated: 16 मई, 2021 12:51 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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भारत के कई राज्यों में एंटी कोविड वैक्सीन (Anti Covid Vaccine) की कमी के चलते कई वैक्सीनेशन सेंटर्स को बंद करने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं. इसी बीच नीति आयोग के सदस्य और वैक्सीन पर गठित टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वीके पाल ने देश के सामने 216 करोड़ एंटी कोविड वैक्सीन की डोज का रोडमैप रख दिया. बताया गया है कि देश में अगस्त से दिसंबर के बीच 216 करोड़ वैक्सीन डोज उपल्ध कराई जाएंगी. लोगों के सामने एंटी कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सीन के अलावा 6 और विकल्प मौजूद होंगे.

एक अनुमान के अनुसार, भारत में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या करीब 98 करोड़ है. इनमें से 4.10 करोड़ को लोगों को एंटी कोविड वैक्सीन के दोनों डोज लगाए जा चुके हैं. इस लिहाज से भारत में 18+ की बची हुई 93.9 करोड़ आबादी के दोनों डोज के लिए 187.8 करोड़ एंटी कोविड वैक्सीन की डोज की जरूरत पड़ेगी. अगर केंद्र सरकार के वैक्सीन के इस रोडमैप को आधार माना जाए, तो दिसंबर तक भारत के पास 18+ जनसंख्या के लिए जरूरत से ज्यादा वैक्सीन डोज उपलब्ध होंगी. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि अगस्त से लोगों को वैक्सीन तो मिलने लगेगी, लेकिन लगेगी कैसे? क्या टीकाकरण मुफ्त होगा, क्या इतने बड़े स्तर पर टीकाकरण हो पाएगा, क्या वैक्सीन समय पर उपलब्ध हो पाएंगी?

केंद्र सरकार ने इस साल पेश किए गए बजट में 35000 करोड़ रुपये का फंड केवल वैक्सीनेशन के रखा था.केंद्र सरकार ने इस साल पेश किए गए बजट में 35000 करोड़ रुपये का फंड केवल वैक्सीनेशन के रखा था.

क्या टीकाकरण मुफ्त होगा?

टीकाकरण मुफ्त होगा या नहीं, इस पर बात करने से पहले ये जानना जरूरी है कि केंद्र सरकार ने इस साल पेश किए गए बजट में 35000 करोड़ रुपये का फंड केवल वैक्सीनेशन के रखा था. कोविशील्ड और कोवैक्सीन की एक डोज केंद्र सरकार को 150 रुपये में मिल रही है. अगर एंटी कोविड वैक्सीन इसी दर से खरीदी जाती है, तो 35 हजार करोड़ रुपये में केंद्र सरकार को करीब 234 करोड़ वैक्सीन की डोज मिलनी चाहिए. दो डोज प्रति व्यक्ति के हिसाब से ये 234 करोड़ वैक्सीन डोज 117 करोड़ लोगों को दी जा सकती है. इस आंकड़े के हिसाब से कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार देश के सभी लोगों का मुफ्त टीकाकरण करवा सकती है. लेकिन, ऐसा होता दिख नहीं रहा है. केंद्र सरकार की ओर से केवल 45+ उम्र के लोगों का ही टीकाकरण करवाया जा रहा है. 18+ उम्र के लोगों के टीकाकरण की जिम्मेदारी उसने राज्य सरकारों पर डाल दी है.

केंद्र सरकार द्वारा एंटी कोविड वैक्सीन को लेकर किए गए दावे के अनुसार, कोविशील्ड की 75 करोड़, कोवैक्सीन की 55 करोड़, बायो ई की सबयूनिट वैक्सीन की 30 करोड़, जायडस कैडिला डीएनए की 5 करोड़, नोवावैक्स की 20 करोड़, भारत बायोटेक इंट्रानैजल की 10 करोड़, जीनोवा कंपनी की 6 करोड़ और स्पूतनिक वी वैक्सीन की 15 करोड़ डोज मिलाकर कुल 216 करोड़ डोज अगस्त से दिसंबर के बीच भारत में उपलब्ध हो जाएंगी. केंद्र सरकार के इस दावे में कोविशील्ड और कोवैक्सीन को छोड़कर जितनी भी एंटी कोविड वैक्सीन के नाम हैं, इनके खुले बाजार में उपलब्ध होने की संभावना कहीं ज्यादा है. दरअसल, इन वैक्सीन के दाम केंद्र सरकार द्वारा टीकाकरण के लिए बजट में आवंटित फंड से मैच नही करेंगे. राज्य सरकारें चाहें, तो इन्हें खरीद कर लोगों को मुफ्त में उपलब्ध करवा सकती हैं. लेकिन, अगर आप केंद्र सरकार की ओर से मुफ्त टीकाकरण की आस लगाए हुए हैं, तो यह फिलहाल मुश्किल ही नजर आ रहा है.

फिलहाल वैक्सीनेशन के लिए दो भारतीय एंटी कोविड वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है.फिलहाल वैक्सीनेशन के लिए दो भारतीय एंटी कोविड वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है.

एंटी कोविड वैक्सीन की वर्तमान स्थिति क्या है?

देश में अभी वैक्सीनेशन के लिए दो भारतीय एंटी कोविड वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है. इसमें रूसी वैक्सीन स्पूतनिक V को भी जोड़ा जा सकता है, लेकिन अभी वैक्सीनेशन में इसका बड़े स्तर पर इस्तेमाल नही हो पाएगा. दरअसल, यह वैक्सीन अभी भी रूस से आ रही है. स्पूतनिक V का देश में उत्पादन शुरू होने पर ही यह भारतीय बाजार में उपलब्ध होगी. केंद्र सरकार की ओर से स्पूतनिक V को लेकर 15 करोड़ डोज उपलब्ध होने की ही बात कही गई है.

बात कोविशील्ड की करें, तो सीरम इंस्टीट्यूट हर महीने 7 से 10 करोड़ वैक्सीन डोज बना सकती है. हालांकि, अभी यह अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रही है. वैक्सीन के लिए अमेरिका से आने वाले रॉ मैटेरियल को मिलने में कुछ समय लग सकता है, तो कोविशील्ड का उत्पादन अगले महीने से ही बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है.

वहीं, कोवैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक ने कहा था कि कंपनी जुलाई से हर महीने 5.35 करोड़ वैक्सीन तैयार करना शुरू कर देगी. इसके साथ तीन PSU भी जोड़े गए हैं, तो कहा जा सकता है कि कोवैक्सीन भी अपना आंकड़ा पा लेगी. बाकी की सभी वैक्सीन अभी ट्रायल फेज में हैं, तो अगस्त तक ही मिलना शुरू हो पाएंगी.

युद्धस्तर पर करना होगा वैक्सीनेशन

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर के अनुसार, जुलाई के आखिर तक देश में 33 करोड़ वैक्सीन के डोज लगा दिए जाएंगे. फिलहाल वैक्सीनेशन की सुस्त पड़ी रफ्तार, कोरोना महामारी की दूसरी लहर और लॉकडाउन को देखते हुए आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जून और जुलाई में भी वैक्सीनेशन के बहुत ज्यादा तेज होने की संभावना कम है. सरकार की ओर से कहा गया है कि 18+ उम्र के सभी लोगों का इस साल के अंत तक वैक्सीनेशन कर दिया जाएगा. इस स्थिति में अगस्त से एंटी कोविड वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ने की संभावना को देखते हुए कहा जा सकता है कि वैक्सीनेशन को युद्धस्तर पर करना होगा. वैक्सीनेशन प्रोग्राम में एक अगस्त से 31 दिसंबर के बीच 18+ उम्र की आबादी को 137 करोड़ डोज लगानी होंगी.

इसे आधार मान लें, तो दिसंबर तक 18+ आबादी का वैक्सीनेशन करने के लिए हर दिन करीब 90 लाख डोज लगानी होंगी. अब तक भारत में एक दिन में सबसे ज्यादा 41.6 लाख डोज बीते महीने 5 अप्रैल को लगाई गई थीं. मई के महीने में यह वैक्सीन लगाने का औसत कम हुआ है. केंद्र सरकार के रोडमैप के अनुसार, अगस्त से वैक्सीन की सप्लाई भरपूर हो जाएगी. लेकिन, वैक्सीनेशन करने के लिए बड़ी संख्या में मैनपावर के साथ वैक्सीनेशन सेटर्स की जरूरत पड़ेगी. इसके लिए केंद्र सरकार अन्य वैक्सीन भारतीय बाजार में उतार सकती है. जिसके बाद लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में भी वैक्सीन उपलब्ध होगी.

अगस्त से दिसंबर के बीच में केंद्र सरकार की ओर से 216 करोड़ वैक्सीन की डोज उपलब्ध करा दी जाएंगी.अगस्त से दिसंबर के बीच में केंद्र सरकार की ओर से 216 करोड़ वैक्सीन की डोज उपलब्ध करा दी जाएंगी.

अगस्त में ही पता चलेंगे वैक्सीन के दाम

कुल मिलाकर लब्बोलुआब यही है कि अगस्त से दिसंबर के बीच में केंद्र सरकार की ओर से 216 करोड़ वैक्सीन की डोज उपलब्ध करा दी जाएंगी. काफी हद तक संभावना है कि वैक्सीन खुद ही खरीद कर लगवानी पड़ सकती है. राज्य सरकारें सभी वैक्सीन मुफ्त लगवाने का फैसला नहीं ले पाएंगी. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह इन वैक्सीन की भारी कीमत हो सकती है. स्पूतनिक वी वैक्सीन के एक डोज की कीमत 995 रुपये है. इसमें प्राइवेट अस्पताल में इसे लगवाने का खर्च नहीं जुड़ा हुआ है. खैर, ये तो अगस्त में ही पता चल पाएगा कि वैक्सीनेशन के लिए वैक्सीन लोगों को किस कीमत पर मिलेगी?

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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