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Updated: 08 जनवरी, 2018 07:13 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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थाने में जाकर दर्ज कराई गई शिकायत पर भले ही कोई एक्शन न लिया जाए, लेकिन एक अदना सा ट्वीट पूरे पुलिस स्टेशन को हिलाने के लिए काफी लगता है. बशर्ते, उस ट्वीट में पुख्ता सबूत हों और पुलिस के साथ-साथ दो-चार आला अधिकारियों को भी उसमें टैग किया गया हो. यूपी पुलिस ने रविवार को एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने यह दिखाया है कि किस तरह सिर्फ एक ट्वीट की वजह से गलत काम करने वाले लोग सलाखों के पीछे पहुंच गए. यूपी पुलिस ने तो यह वीडियो अपनी पीठ थपथपाने के लिए डाला था, लेकिन एक यूजर ने इस पर ऐसा रिप्लाई दिया है कि यूपी पुलिस नहीं समझ पा रही है कि उसका जवाब क्या दे. ऐसा लग रहा है मानो यूपी पुलिस को सांप सूंघ गया हो. भले ही लोग सीधे योगी आदित्यनाथ से कुछ नहीं बोल रहे हों, लेकिन यूपी पुलिस की खिंचाई तो खूब हो रही है.

योगी आदित्यनाथ, यूपी पुलिस, ट्विटर, मोदी सरकार, उत्तर प्रदेश

ये है यूपी पुलिस का वो ट्वीट

इस मामले को समझने के लिए सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि आखिर यूपी पुलिस ने कौन सा वीडियो ट्वीट किया है. यूपी पुलिस ने एक वीडियो ट्वीट किया है और लिखा है- 'न कागज, ना थाना. पड़ गया ट्वीट पे जेल जाना.' इस वीडियो में यूपी पुलिस ने अपनी उन उपलब्धियों को गिनाया है, जिनमें सिर्फ एक ट्वीट के चलते अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सके.

योगी आदित्यनाथ पर उठाया सवाल

अभय गुप्ता नाम के एक ट्विटर यूजर ने इस ट्वीट पर रिप्लाई किया- एक शख्स है जो अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहा है. वह अपने और अपने साथियों के 22 साल पुराने केस रद्द कर रहा है. क्या आप इस मामले में कुछ मदद कर सकते हैं?

जब यूपी पुलिस ने इस ट्वीट पर उस शख्स से विस्तृत जानकारी मांगी तो वह हैरान रह गए. दरअसल, वह शख्स यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बात कर रहा था. उसने यूपी पुलिस को एक खबर का लिंक ट्वीट किया और साथ में लिखा- 'योगी आदित्यनाथ को कुछ महीने पहले यूपी के लोगों की मदद के लिए कुछ ताकतें मिली हैं. लेकिन उसका इस्तेमाल करके उन्होंने अपने ऊपर लगे केस हटवा दिए.' अभय गुप्ता के इस रिप्लाई के बाद यूपी पुलिस ने कोई रिप्लाई नहीं किया. हालांकि, योगी आदित्यनाथ का समर्थन करने वाले बहुत से लोगों ने अभय को खूब खरी खोटी सुनाई है.

योगी आदित्यनाथ, यूपी पुलिस, ट्विटर, मोदी सरकार, उत्तर प्रदेश

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योगी का नाम आते ही पुलिस चुप

जैसे ही योगी आदित्यनाथ का नाम आया, तभी से पुलिस ने उस ट्वीट पर कोई रिप्लाई करना ही छोड़ दिया. ऐसा नहीं है कि योगी आदित्यनाथ पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने अपने खिलाफ या अन्य लोगों के खिलाफ चल रहे केस रद्द किए हों. इससे पहले अखिलेश यादव की सरकार ने भी 3000 कार्यकर्ताओं के खिलाफ चल रहे केस रद्द करने के आदेश दिए थे, जिनमें 16 ऐसे भी लोग थे, जिन पर बम धमाकों में शामिल होने का आरोप था.

दरअसल, सरकारें उन मामलों को रद्द करने के आदेश देती हैं, जो बहुत ही छुटपुट होते हैं, जैसे विरोध प्रदर्शन में लगे केस, धारा 144 का उल्लंघन करते हुए ग्रुप बनाना आदि. सरकारें ऐसा इसलिए करती हैं, ताकि कोर्ट का बहुमूल्य समय इन छोटे-मोटे मुद्दों को हल करने में खराब ना हो. हालांकि, इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि इस ताकत का दुरुपयोग भी होता है. यूपी पुलिस के ट्वीट वाले मामले में पेंच यह है कि आखिर पुलिस ने जवाब क्यों नहीं दिया. यूपी पुलिस योगी सरकार के आदेश को लेकर कोई पक्ष नहीं रख सकी, वहीं योगी आदित्यनाथ के समर्थक जरूर अभय गुप्ता को खरी-खोटी सुनाने आ गए.

वाहवाही लूटने के लिए डाला वीडियो?

यूपी पुलिस ने जो वीडियो डाला उसे देखकर कई लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि यह सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए डाला गया है. एक शख्स ने फोन पर धमकी मिलने को लेकर यूपी पुलिस से मदद मांगी तो उन्होंने इसकी शिकायत 1090 पर करने को कहा. इतना ही नहीं, उस शख्स को संबंधित थाने में शिकायत दर्ज कराने को कहा. यहां सवाल यह है कि आखिर जब थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद ही एक्शन लेना है, तो ये वीडियो क्या वाहवाही लूटने के लिए डाला है? पुलिस खुद को जनता का मित्र तो बताती है, लेकिन ऐसा लगता है कि वह किसी को अपना मित्र मानती नहीं है.

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