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Updated: 04 अगस्त, 2018 04:06 PM
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एक जहाज अपने सफर के लिए तैयार हो रहा है. ये सफर है फ्लोरिडा से बर्मूडा तक का. कई लोग इसपर सवार हैं. जहाज हौले-हौले लहरों पर हिचकोले खाते हुए अपने सफर पर जा रहा है, सब कुछ ठीक चल रहा है कि अचानक...

... वो गायब हो गया.

ये कहानी कुछ जानी पहचानी लग रही है आपको? ये कहानी है बर्मूडा ट्रायंगल की. बर्मूडा ट्रायंगल यानि बर्मूडा, फ्लोरिडा और प्यूर्टो रिको के बीच का त्रिकोणीय समुद्री इलाका जहां न जाने कितने जहाज और प्लेन लापता हो गए. न ही कभी इनके बारे में कुछ पता चला. इसको लेकर कई थ्योरी सामने आईं. इसमें तो एलियन वाला एंगल भी बताया गया. कुछ ने कहा कि जियोमैग्नेटिक तूफान के चक्कर में पायलट और जहाज के कैप्टन का रडार खराब हो जाता होगा.

कई थ्योरी जो इसमें सामने आई हैं उनका कोई भी वैज्ञानिक विशलेषण नहीं निकला था, पर साल दर साल वैज्ञानिक उसके पीछे लगे हुए थे. लोग उस जगह पर जाने से डरते थे और इसे किसी अलौकिक शक्ति का प्रतीक मानते थे पर अब वैज्ञानिकों ने इसे सुलझा लिया है.

बीबीसी ने चैनल 5 के लिए एक डॉक्युमेंट्री बनाई थी जिसमें बर्मूडा ट्रायंगल के रहस्य को तीन अलग-अलग एपिसोड में हल करने की कोशिश की गई. ये यूके के वैज्ञानिकों की खोज थी और इसमें रोग वेव (दैत्याकार लहरें) से लेकर मानव गलती तक की सभी थ्योरी को टेस्ट किया गया.

बर्मूडा ट्रायंगल, सोशल मीडिया, जहाज, समुद्र, वैज्ञानिकबर्मूडा ट्रायंगल की गुत्थी सुलझ गई है

साउथंपटन यूनिवर्सिटी के समुद्र वैज्ञानिक साइमन बॉक्सल का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं कि ये इलाका रोग वेव्स की चपेट में आ जाता है. ये लहरें ऐसी किसी भी जगह आ सकती हैं जहां कई तूफान आते हों.

क्या है रोग वेव?

ये दैत्याकार लहरे होती हैं जो विशाल आकार ले सकती हैं जैसे पानी की दीवार हो. ये अक्सर बिना चेतावनी के हमला कर सकती हैं और इसकी चपेट में आकर समुद्री और हवाई दोनों तरह से जहाज खतरे में पड़ सकते हैं. उदाहरण के तौर पर साउथ अफ्रीका का एक छोर हमेशा ऐसी लहरों के खतरे में रहता है. यहां साउथ अटलांटिक समुद्र में हमेशा तूफान उठते रहते हैं और यही कारण है कि इस इलाके में तूफान आते हैं. इसीलिए, उस इलाके में भी जहाजों के लापता होने की गुंजाइश रहती है.

ये बर्मूडा ट्रायंगल के लिए भी सही हो सकता है क्योंकि यहां भी तूफान किसी भी दिशा से आ सकते हैं. जैसे मेक्सिको, भूमध्य रेखा और अटलांटिक से. यहां अगर हर लहर 10 मीटर या 30 फिट ऊंची उठेगी तो इसकी गुंजाइश है कि कहीं एक लहर रोग वेव बन जाएगी यानि 100 फिट ऊंची लहर.

यूनिवर्सिटी के इंजीनियर्स ने कई ऐसे जहाजों के मॉडल बनाए जो बर्मूडा ट्रायंगल में गायब हो गए थे. इसमें एक USS साइक्लोप्स का भी मॉडल था. ये वो जहाज था जो 1918 में बर्मूडा ट्रायंगल में गायब हो गया था. इसमें 300 से ज्यादा लोग सवार थे.

इंजीनियर्स ने एक टैंक में रोग वेव की संरचना की और इस जहाज के मॉडल को उतार कर देखा. एक्सपेरिमेंट में सामने आया कि रोग वेव के कारण जहाज जल्दी डूब सकते हैं. जितना बड़ा जहाज होगा ऐसे समय में उसे ऊपर तैरते रहना उतना ही मुश्किल होगा. छोटे जहाज भी डूब सकते हैं, लेकिन अगर सही स्पॉट पर रहे तो ये जहाज तैर सकते हैं, लेकिन बड़ों के लिए ये बहुत मुश्किल है.

बाकी थ्योरी का क्या?

लोग अक्सर बात करते हैं कि इस इलाके में अजीब इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विसंगतियों को देखा है बर्मूडा ट्रायंगल के सामने. बॉक्सल का कहना है कि वहां ऐसा कुछ नहीं है. जहां भी ऐसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणे होती हैं वो इसलिए क्योंकि पृथ्वी के नीचे का मेटल उस जगह को खास बनाता है. लेकिन बर्मूडा ट्रायंगल के आस-पास ऐसी कोई जगह नहीं है. जो सबसे पास है वो भी 1600 किलोमीटर दूर ब्राजील में है.

दूसरी थ्योरी ये थी कि यहां मीथेन गैस का स्त्रोत है और उस कारण से पानी में हमेशा हलचल होती रहती है. इस कारण जहाज डूबते हैं. मीथेन गैस में कई बार विस्फोट भी होता है. बॉक्सल का कहना है कि अभी तक ऐसा कोई भी एक्सपेरिमेंट नहीं किया गया है.

थ्योरी को देखें तो ऐसा मुमकिन है, लेकिन ये दुनिया भर में कई जगह है और सिर्फ बर्मूडा ट्रायंगल को इसका दोषी नहीं बताया जा सकता. हालांकि, तीसरी थ्योरी यानि मानव गलतियों को बॉक्सल भी मानते हैं.

बॉक्सल के अनुसार यू.एस नेवी एयरक्राफ्ट जो 1945 में गायब हो गया था, जिसकी वजह से 1964 में इस इलाके को नाम दिया गया वो इसलिए हो सकता है क्योंकि वो ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट था और क्रू मेंबर खो गए थे. या फिर उनका ईंधन खत्म हो गया था.

अमेरिका में रजिस्टर्ड प्राइवेट समुद्री जहाजों में से करीब एक तिहाई बर्मूडा ट्रायंगल के पास वाले राज्य या द्वीपों में हैं. 2016 के कोस्ट गार्ड फिगर्स के अनुसार करीब 82 प्रतिशत हादसे इनमें उन चालकों के कारण हुए थे जिनको ट्रेनिंग ठीक से नहीं दी गई थी.

तो अगर अमेरिका की एक तिहाई समुद्री नावों वाली आबादी को बर्मूडा ट्रायंगल में छोड़ दिया जाए तो गायब होने वालों की संख्या काफी बढ़ जाएगी. कई लोग ऐसे में रोड मैप का इस्तेमाल करते हैं या फिर मोबाइल पर मैप देखते हैं और समुद्र में ये मुमकिन नहीं है. उनके पास कोई तरीका नहीं होता मदद मांगने का. ऐसे में तट से 30 मील दूर जाने पर ही सिग्नल खो जाता है और ऐसे में किसी का भी गायब हो जाना आसान होता है.

हालांकि, एक और थ्योरी इसमें जोड़ी गई थी और वो ये कि इस इलाके में गल्फ स्ट्रीम का भी अच्छा खासा प्रभाव है. तेज़ हवा और लहरें इसे और खतरनाक बना देती हैं और इसलिए यहां एक्सिडेंट ज्यादा होते हैं. कैरेबियन आइलैंड्स के पास पानी ज्यादा गहरा नहीं है और ये जहाजों के लिए खतरनाक साबित हो जाता है.

ऐसे इलाके पूरी दुनिया में काफी ज्यादा हैं. पर अगर आप ऐसे इलाकों में नौसिखिए कैप्टन को भेजेंगे तो यकीनन खतरा बढ़ जाएगा.

कुल मिलाकर बर्मूडा ट्रायंगल की थ्योरी में खतरनाक लहरें और मानव गलतियों को तवज्जौ दिया गया है.

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