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Updated: 24 मार्च, 2018 12:59 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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रियलिटी शो चाहे कहीं के भी हों, एक दूसरे से होड़ और टीआरपी के लिए शो मेकर्स किसी भी हद तक जा सकते हैं. भारत का हाल तो आप देख ही रहे हैं अब पाकिस्तान का देखिए. पाकिस्तानी टॉक शो 'जागो पाकिस्तान जागो' काफी पॉपुलर शो है लेकिन इस बार शो पर जो किया गया वो लोगों को रास नहीं आया. सोशल मीडिया पर शो मेकर्स और शो की एंकर सनम जंग की थू-थू हो रही है.

शो में ब्यूटीशियन्स का कंपटीशन करवाया जा रहा था, जिसमें उन्हें उन मॉडल्स को मेकअप कर दुल्हन की तरह सजाना था जिनका रंग सांवला था. शो मेकर्स का शायद ये मानना था कि सांवले रंग पर मेकअप करना बेहद मुश्किल काम होता है और एक ब्यूटीशियन की काबिलियत केवल सांवले लोगों को खूबसूरत दिखाने में ही है.

लेकिन इस टास्क के लिए जो मॉडल्स उन्हें दी गईं वो न तो सांवली थीं और न ही किसी का रंग दबा हुआ था. बल्कि ब्यूटीशियन्स को गहरे रंग का फाउंडेशन (जिसे नीग्रो शेड कहा जा रहा था) दिया गया जिससे उन्हें गोरी मॉडल्स को सांवला बनाना था. मेकअप के लिए उनके चेहरों पर इसी फाउंडेशन का बेस बनाना था.

pakistan, body shaming, racismगोरी मॉडल्स को सांवला बनाया

शो पर हब्शी, हब्शन, मकरानी, शीदी और नीगरो जैसे शब्दों का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता रहा. बगैर इस बात की फिक्र किए कि शो को देखने वाले दर्शक सांवले भी होंगे और सिर्फ रंग को लेकर दिए जातिसूचक शब्द किसी के दिल को भी ठेस पहुंचा सकते हैं. मेंटॉर ने कहा 'हमने इतनी दुल्हनें बनाईं लेकिन इस तरह के रंग वाली हब्शन हमरे पास नहीं आई', 'इनको डार्क कर के नीगरो पर लेकर आना है'.

pakistan, body shaming, racismजातिसूचक शब्दों का धड़ल्ले से किया गया इस्तेमाल

टास्क को और कठिन बनाने के लिए ब्यूटीशियन्स को एंकर और मेंटॉर्स बार बार परेशान कर रहे थे, उन्हें काम के लिए सिर्फ एक हाथ का ही इस्तेमाल करने दिया गया जिसका नतीजा ये रहा कि कोई भी मेकअप आर्टिस्ट बेहतरीन काम नहीं कर सकी.

देखिए वीडियो

बहरहाल शो के बाद मॉडल्स का चेहरा तो सांवला था लेकिन बाकी शरीर गोरा दिखाई दे रहा था जो काफी भद्दा लग रहा था.

pakistan, body shaming, racismचेहरे और शरीर के रंग का कंट्रास्ट क्या मजाक नहीं?

सांवले रंग को लेकर शो पर इस तरह की बातें और गोरी मॉडल्स को जानबूझकर सांवला बनाना लोगों को रास नहीं आया. और लोगों ने अपना गुस्सा सोशल मीडिया पर निकाला.

शो की आलोचनाएं नहीं होतीं अगर-

- शो पर एक बार भी ये कहा जाता कि त्वचा का हर रंग खूबसूरत है.

- टास्क के लिए सांवले रंग की मॉडल्स को ही बुलाया जाता.

- शो पर एक बार भी सांवले रंग के प्रति समाज के रवैए की निंदा की जाती.

शो की एंकर और मेंटॉर्स अपनी बातों से बार-बार यही जताते रहे कि जैसे सांवला रंग होना किसी की गलती हो. शो के अंत तक सांवले रंग को सिर्फ मजाक की तरह ही पेश किया गया. कुछ दिन पहले भी पाकिस्तानी फैशन ब्रांड 'सना सफीनाज़' ने अपने कलैक्शन कैंपेन के लिए अपनी मॉडल को केन्या के मसाई आदिवासियों के साथ दिखाया था जिसमें काला-गोरा और अमीर-गरीब का फर्क साफ तौर पर दिखाई दे रहा था. और यहां ये कहना भी गलत नहीं होगा कि इस शो के जरिए पाकिस्तान के एक बड़े वर्ग की मौजूदा सोच भी दुनिया भर के सामने आ गई.

शो के एंकर्स और इसमें भाग लेने वाले भले ही खुश हों लेकिन इस शो ने बहुत सी महिलाओं को सिर्फ निराश किया होगा, जो सिर्फ अपने रंग की वजह से समाज में उपेक्षित हैं. पाकिस्तान के लिए सिर्फ इतनी ही कहना चाहुंगी कि शो का नाम 'जागो पाकिस्तान जागो' रखने से पाकिस्तान शायद न जागे, उसे जगाने के लिए कम से कम प्रयास तो सही दिशा में किए जाएं.  

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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