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Updated: 29 मार्च, 2022 08:53 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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किसान आंदोलन के दौरान सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे देश विरोधी हेट कैंपेन पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार ने सोशल मीडिया गाइडलाइन जारी की थीं. फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे तमाम सोशल मीडिया कंपनियों ने भारत सरकार की इन गाइडलाइन को मान लिया था. लेकिन, ट्विटर ने इन्हें 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' पर हमला बताकर मानने से इनकार कर दिया था. इन सोशल मीडिया गाइडलाइन को न मानने की वजह से ट्विटर पर कई मामले दर्ज हुए थे. क्योंकि, ट्विटर का 'इंटरमीडिएरी' स्टेटस छिन गया था. जिसमें ट्विटर को थर्ड पार्टी के तौर पर किसी भी न्यायिक कार्रवाई से छूट मिलती थी. इनमें से ही एक मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्विटर की खिंचाई की है.

धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इस मामले आरोप में ट्विटर इंडिया (Twitter India) और अन्‍य संगठन के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था. दरअसल, इस मामले में एथिस्ट रिपब्लिक नाम के एक ट्विटर हैंडल पर देवी काली को लेकर आपत्तिजनक कॉन्टेंट शेयर करने का आरोप लगा था. जिसकी शिकायत करने पर ट्विटर ने इस आपत्तिजनक कॉन्टेंट को हटा लिया था. लेकिन, एथिस्ट रिपब्लिक नाम के ट्विटर हैंडल पर कोई कार्रवाई नहीं की थी. और, इस मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने ट्विटर की जमकर खिंचाई की.

Delhi High Court Twitterट्विटर ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनी अदालत के आदेश के अभाव में किसी व्यक्ति को ब्लॉक नहीं कर सकती है.

क्यों ब्लॉक किया था ट्रंप का अकाउंट?

दिल्ली हाईकोर्ट में एथिस्ट रिपब्लिक नाम के अकाउंट के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई. माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ लूथरा ने सोशल मीडिया कंपनी के बचाव में तर्क देते हुए कहा था कि ट्विटर ने मौजूदा मामले में आपत्तिजनक सामग्री को हटा दिया है. पोस्ट के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई है. और, ट्विटर अदालत के आदेश के अभाव में किसी व्यक्ति को ब्लॉक नहीं कर सकता है. साथ ही कथित आपत्तिजनक सामग्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता है. ट्विटर के इस जवाब पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया कंपनी के वकील से पूछा कि 'अगर यह तर्क मान लिया जाए, तो आपने डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के ट्विटर अकाउंट को क्यों ब्लॉक किया था?' बता दें कि अमेरिका के कैपिटल में भड़की हिंसा के बाद माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट बिना किसी अदालती आदेश के बंद कर दिया था. जिसे अभी तक रिस्टोर नहीं किया गया है.

अन्य धर्मों के खिलाफ ट्विटर ज्यादा संवेदनशील

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 'प्रथम दृष्टया ट्विटर का यह रुख कि वह अकाउंट को ब्लॉक नहीं कर सकता, पूरी तरह से सही नहीं है.' दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के मामले में ट्विटर ने अदालत के पहले के प्रथम दृष्टया दृष्टिकोण पर आपत्ति नहीं जताई, इसलिए सोशल मीडिया मंच को अपने आप कार्रवाई करनी चाहिए थी. इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्विटर को निर्देश दिया कि 'वह बताए कि सोशल मीडिया कंपनी अकाउंट को कैसे ब्लॉक करती है.' दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण है, जब यूजर्स के अकाउंट ब्लॉक किया गया है. इतना ही नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि 'ट्विटर दुनिया के अन्य क्षेत्रों और नस्लों के लोगों की संवेदनशीलता को लेकर चिंतित नहीं है. अगर इस तरह की घटना किसी अन्य धर्म के खिलाफ हुई होती, तो माइक्रो ब्लॉगिंग साइट और ज्यादा संवेदनशील और सावधान होती.'

एथिस्ट रिपब्लिक के संस्थापक को दिया निर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए एथिस्ट रिपब्लिक ट्विटर हैंडल को ब्लॉक न किए जाने को लेकर जवाब दाखिल करने को कहा. साथ ही ट्विटर हैंडल के संस्थापक से ऑन रिकॉर्ड वादा भी लिया कि वह सुनवाई के दौरान इस तरह की कोई भी आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट नहीं करेगा. एथिस्ट रिपब्लिक के वकील ने कहा कि 'उसे सुने बिना उसके अकाउंट को ब्लॉक नहीं किया जा सकता है.' वहीं, इस मामले के याचिकाकर्ता और वकील आदित्य सिंह देशवाल ने कहा कि 'ट्विटर हैंडल को 'सभी धर्मों के खिलाफ हास्यास्पद सामग्री' डालने और आदतन अपराधी होने के लिए ब्लॉक किया जाना चाहिए.'

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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