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Updated: 15 मार्च, 2022 03:36 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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द कश्मीर फाइल्स को लेकर देश में एक बहस छिड़ी हुई है. द कश्मीर फाइल्स की रिलीज के साथ ही देश के एक बड़े कथित बुद्धिजीवी वर्ग ने इसे एक प्रोपेगेंडा फिल्म करार दे दिया था. हालांकि, इन तमाम आरोपों के बावजूद द कश्मीर फाइल्स की बॉक्स ऑफिस कमाई लगातार बढ़ती जा रही है. भारत में महज 561 स्क्रीन्स पर रिलीज हुई द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) फिल्म को लेकर लोगों का क्रेज हर बदलते दिन के साथ बढ़ता जा रहा है. और, अब इसे करीब 2000 स्क्रीन्स मिल गए हैं. वैसे, घाटी में पनपे इस्लामिक आतंकवाद, कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन पर बनी इस फिल्म को बनाने वाले निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की इस पूरी घटना को बिना लाग-लपेट के पेश के करने के लिए जमकर तारीफ हो रही है.

द कश्मीर फाइल्स को लेकर कहा जा रहा है कि इस फिल्म ने एक पूरी पीढ़ी को कश्मीर समस्या के उस भयावह रूप से रूबरू कराया है, जिसे कश्मीर पंडितों ने भुगता है. इन सबके बीच इस फिल्म के डायलॉग सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं. दरअसल, द कश्मीर फाइल्स के इन डायलॉग्स पर सिनेमाहॉल में दर्शक केवल जमकर तालियां नहीं बजा रहे हैं. बल्कि, बाहर आकर इन डायलॉग्स की चर्चा भी कर रहे हैं. ये डायलॉग दर्शकों में भावनाओं का सैलाब लाने के साथ कई स्थापित तथ्यों की भी बखियां उधेड़ रहे हैं. इन डायलॉग्स को लेकर कहा जा रहा है कि ये लोगों को अंदर तक झकझोरने के लिए काफी हैं. द कश्मीर फाइल्स के ये डायलॉग प्रोपेगेंडा और नैरेटिव को तोड़ने वाले बताए जा रहे हैं. आइए जानते हैं The Kashmir Files के वायरल हो रहे उन डायलॉग्स के बारे में...

The Kashmir Files viral Dialoguesद कश्मीर फाइल्स के ये डायलॉग लोगों को अंदर तक झकझोर कर रख दे रहे हैं.

1. ये एक्सोडस नहीं, जेनोसाइड था.

2. टूटे हुए लोग कुछ बताते नहीं, उन्हें सुनना पड़ता है.

3. देश की टॉप यूनिवर्सिटी में पढ़ते हो, इतना भी नहीं पता.

4. ये (अलगाववादी नेता) दिल्ली तक पहुंच गया...बहुत जल्दी प्रधानमंत्री तक पहुंच जाएगा.

5. ये बीज किसने बोए थे. शेख साहब ने. उनके लिए कहावत बहुत मशहूर है. वो दिल्ली में नेशनलिस्ट, जम्मू में कम्युनिस्ट और कश्मीर में कम्युनलिस्ट. ऐसे लोगों को ही सेक्युलरिस्ट बोला जाता है.

6. ये सब झूठ है. देअर वॉज नो रियल जेनोसाइड. वी डोंट वॉन्ट योर फेक प्रोपेगेंडा. ज्ञान मत पेलो.

7. कैसी विडंबना है...कश्मीर को लोग जन्नत मानते हैं. और कश्मीर को जहन्नुम बनाने वाले भी जिहाद इसलिए करते हैं कि उन्हें जन्नत मिले.

8. ये इन्फॉर्मेशन वॉर है.

9. आतंकवादियों की रखैल है मीडिया.

10. पद्मश्री आपको सरकार ने खामोश रहने के लिए दिया था.

11. कश्मीर हैज नेवर बीन अ इंटीग्रल पार्ट ऑफ इंडिया एंड दिस इज अ हिस्टोरिकल फैक्ट.

12. अगर इंडिया ब्रिटेन से अपनी इंडिपेंडेंस के लिए लड़ सकती है, तो कश्मीर क्यों नहीं? अगर भगत सिंह को सेलिब्रेट किया जाता है, तो बुरहान वानी को क्यों नहीं?सरकार उनकी है तो क्या हुआ सिस्टम तो हमारा है.

13. तुम्हें सॉल्यूशन देना ही नही है, केवल होप देनी है कि देअर इज अ सॉल्यूशन.

14. फेक न्यूज दिखाना, इतना खतरनाक नहीं है. जितन सही न्यूज छिपाना.

15. जब तक सच जूते पहनता है. झूठ पूरी दुनिया का चक्कर लगा के आ जाता है.

16. शमसुद्दीन मोहम्मद ऐराकी की बायोग्राफी में कश्मीरी पंडितों के कन्वर्जन के बारे में लिखा है. इट इज डॉक्यूमेंटेड.

17. 1990 में सिर्फ कश्मीरी हिंदुओं को नहीं मारा गया. बल्कि, तमाम मॉडरेट मुस्लिमों को भी मार दिया गया. यही नहीं, सिख, बुद्धिस्ट, क्रिश्चियन, डोगरा, गुज्जर, दलित. जिसने भी टेररिज्म के खिलाफ आवाज उठाई, उन्हें मार दिया गया.

18. तुम्हारे दो वजीर-ए-आजम थे नेहरू और अटल बिहारी. उन्हें सिर्फ एक ही बात की भूख थी कि लोग उनसे मोहब्बत करें. लेकिन, तुम्हारे जो मौजूदा वजीर-ए-आजम हैं, उन्हें किस बात की भूख है. उन्हें इस बात की भूख है कि लोग उनसे डरें.

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लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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