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Updated: 05 अगस्त, 2018 04:42 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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फ्रेंडशिप डे का आना और दोस्ती की बातें करना और अपनी दोस्ती को सबसे बेहतर बताना आम है. हम सबके पास कोई न कोई ऐसा दोस्त होता है जिससे आप सारी बातें कर सकते हैं और उस दोस्त के साथ कोई न कोई बिजनेस या कंपनी खोलने की प्लानिंग की होगी. जहां कई लोगों के लिए ये गोवा प्लान की तरह साबित होता है और यारों दोस्तों की बातें बस यूं ही खत्म हो जाती हैं, वहीं कुछ के लिए ये यकीनन एक अनोखा सफर होता है. आज हम बात करते हैं उन दोस्तों की जिन्होंने दुनिया को दोस्ती निभाने का मौका दे दिया. हम बात कर रहे हैं दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया और टेक कंपनियों की जिन्हें दोस्तों ने मिलकर बनाया.

1. ट्विटर- चार दोस्तों की सोच का नतीजा

माइक्रोब्लॉगिंग सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर चार दोस्तों ने मिलकर बनाया. इसे 2006 में जैक डॉर्सी, नोआ ग्लास, बिज़ स्टोन और इवान विलियम्स ने बनाया था. 2012 तक इस वेबसाइट के 100 मिलियन से ज्यादा यूजर्स हो चुके थे और इसमें 340 मिलियन ट्वीट रोज़ होने लगे थे.

 बाएं से दाएं जैक डॉर्सी, नोआ ग्लास, बिज़ स्टोन और इवान विलियम्स बाएं से दाएं जैक डॉर्सी, नोआ ग्लास, बिज़ स्टोन और इवान विलियम्स

ट्विटर का नाम हमेशा से दोस्तों को परफेक्ट लगता था. इसे चिड़िया की चहचआहट से लिया गया था और असल में ये वही था. छोटे शब्दों में जानकारी कहने वाली वेबसाइट. शुरुआत में चारों दोस्तों को इस साइट को लेकर बहुत समस्याएं दिखीं. किसी को ये नहीं पता था कि आखिर उनका प्रोडक्ट क्या है. माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट के अलावा इसे और क्या कहा जाए. इसके फाउंडर्स का कहना है कि ये वेबसाइट जो सोचकर बनाई गई थी उससे काफी ज्यादा बदल गई है. इसे शुरुआत में स्टेटस अपडेट और सोशल यूटिलिटी साइट बनाया गया था, लेकिन ये बदल कर कुछ और ही हो गई. ट्विटर असल में सोशल मीडिया नेटवर्क से कुछ ज्यादा बन गई.

2. एपल- तीन दोस्तों ने मिलकर बनाई

वैसे तो अमूमन इस लिस्ट को सोशल मीडिया नेटवर्क तक ही रखना चाहिए, लेकिन एपल जो हाल ही में 1 ट्रिलियन डॉलर की कंपनी बनी है उसके बारे में बात करना जरूरी है. 1 अप्रैल 1976 में स्टीव जॉब्स, स्टीव वॉजनिएक और रोनाल्ड वेन ने एक कंपनी बनाई. ये तीनों लोग अटारी कंपनी में काम करते थे. इसके बाद नौकरी छोड़ एक गराज में अपनी कंपनी बना ली.

फ्रेंडशिप डे, सोशल मीडिया, ट्विटर, फेसबुक, गूगल, वॉट्सएपस्टीव जॉब्स, रोनाल्ड वेन और स्टीव वॉजनिएक

तीनों दोस्त चाहते थे कि इस कंपनी का नाम टेलिफोन डायरेक्टरी में अटारी से पहले आए. इसलिए इसका नाम एपल रखा. इसके लोगो के पीछे भी एक कहानी प्रचलित है. कहा जाता है कि जिस समय नाम और लोगो पर बहस चल रही थी उस समय जॉब्स एक सेब खा रहे थे और उसकी एक बाइट लेकर उसे नीचे रख दिया. बाइट (जो कम्प्यूटर की एक यूनिट भी है) देखकर उन्हें आइडिया आया और ऐसे आया एपल का नाम.

एपल का पहला प्रोडक्ट था एपल-1 कंप्यूटर. इसे स्टीव वॉजनिएक ने डिजाइन किया था. उस समय एपल 1 कंप्यूटर में कुछ खास नहीं था. एक मदरबोर्ड, रैम और बेसिक टेक्स्ट-वीडियो चिप. ये कंप्यूटर 666.66 डॉलर में बिका.

हालांकि, एपल ने आगे बहुत तरक्की की, लेकिन इसके बीच एपल की तिकड़ी का एक साथी यानि रोनाल्ड वेन अपने शेयर्स लेकर कुछ दिन के अंदर ही कंपनी छोड़कर चले गए थे. पहले 5 सालों में एपल का रेवेन्यू हर चार महीने में दोगुना होने लगा और आज एपल कहां है ये सभी जानते हैं.

3. गूगल- दो दोस्तों ने रचा इतिहास

1995 में लैरी पेज स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रॉस्पेक्टिव स्टूडेंट थे जिनके टूर गाइड बने सर्गेई ब्रिन. कॉमन इंट्रेस्ट होने के बाद भी दोनों ने पहला दिन झगड़ते हुए बिताया. दोनों एक दूसरे को पसंद नहीं करते थे. लेकिन उनके एक आइडिया ने सब बदल दिया. गूगल एक रिसर्च प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुई थी. सुपरवाइजर ने इस आइडिया को पास कर दिया. इसका नाम बैकरब (backrub) रखा गया था. स्टैंडफोर्ड की लाइब्रेरी में काम शुरू हुआ. हजारों कोड बनाए गए. धीरे-धीरे प्रोजेक्ट सर्च इंजन का रूप ले चुका था. URL निकालने का मैकेनिजम बनाया जा चुका था, लेकिन कोडिंग के दौरान निकला पेज रैंकिंग का मैकेनिजम और इस तरह से ये सर्च इंजन बन गया.

फ्रेंडशिप डे, सोशल मीडिया, ट्विटर, फेसबुक, गूगल, वॉट्सएपबाएं लैरी पेज और दाएं सर्गेई ब्रिन

15, 1997 को रखा नाम gogool लेकिन गलती से रजिस्टर करवाया गूगल.कॉम. 1998 में मिली फंडिंग और फिर एक गराज में शुरू हो गई गूगल. 1998 के अंत तक 60 मिलियन पेज रजिस्टर हो चुके थे और मार्च 1999 में गूगल का पहला ऑफिस खुल चुका था.

शुरुआती दौर में गूगल के संस्थापक सर्गेई ब्रिन और लैरी पेज गूगल को बेचने के लिए एक्साइट कंपनी के CEO के पास गए थे. यह दोनों गूगल कंपनी को 1 मिलियन डॉलर में बेचना चाहते थे. एक्साइट कंपनी की तरफ से गूगल को सिर्फ 750000 डॉलर ही ऑफर किए गए. उस समय ये सौदा नहीं हो पाया और गूगल ने बाद में इतना विशाल रूप ले लिया.

4. यूट्यूब- तीन दोस्तों ने वीडियो शेयर करने के लिए बना डाली यूट्यूब

इस वीडियो शेयरिंग सर्विस को सबसे पहले तीन PayPal कर्मचारियों ने बनाया था. चैड हर्ले, स्टीव चैन और जावेद करीम. ये कंपनी 2005 में शुरू हुई थी. 2006 में गूगल ने इसे 1.65 बिलियन डॉलर में खरीद लिया था.

दरअसल, हर्ले और चैन ने ये आइडिया 2005 के शुरुआती दौर में बना लिया था. दरअसल, एक पार्टी के दौरान यूट्यूब के फाउंडर्स को वीडियो शेयर करने में समस्या होने लगी. इसके बाद, एक ऐसी वेबसाइट बनाने का आइडिया आया जिससे आसानी से वीडियो शेयर किए जा सकें.

बाएं जैन कुओम और दाएं ब्रायन एक्टनबाएं से चैड हर्ले, स्टीव चैन और जावेद करीम

"YouTube.com" डोमेन नेम 14 फरवरी 2005 को एक्टिवेट कर दिया गया. 23 अप्रैलस 2005 तक इस वेबसाइट में वीडियो अपलोड करने का ऑप्शन आ गया था. इस वेबसाइट में जो पहला वीडियो शेयर किया गया था वो था Me at the zoo. इस वीडियो में सहसंस्थापक जावेद करीम सैन डिएगो जू में गए थे.

5. वॉट्सएप- दो दोस्तों ने मिलकर बनाई दुनिया की सबसे बड़ी मैसेजिंग कंपनी

जैन कुओम और ब्रायन एक्टन ये दो लोग जो अलग-अलग दुनिया ये तल्लुक रखते थे एक साथ आए और दुनिया की सबसे बड़ी मैसेजिंग कंपनी बना दी. वॉट्सएप अब एक मैसेजिंग एप नहीं बल्कि एक तरीका हो गया है लोगों के एक दूसरे से बात करने का. वॉट्सएप बनाते समय कुओम 39 साल के थे और एक्टन 42 साल के.

Ernst & Young कंपनी के लिए सिक्योरिटी टेस्टर के तौर पर काम करते हुए कुओम और एक्टन की मुलाकात हुई. उन दोनों को याहू के एडवर्टाइजिंग सिस्टम को देखने का काम दिया गया था. एक्टन को हमेशा कुओम बाकी लोगों से अलग लगते थे और वो जवाब देने में काफी तत्पर रहते थे. और अपने काम से काम रखते थे. कुओम और एक्टन दोनों ही एक दूसरे से इसी तरह से बात करते थे और 6 महीने में कुओम को याहू में नौकरी मिल गई. 2007 तक दोनों की दोस्ती बहुत गहरी हो गई और दोनों ने नौकरी छोड़ दी.

फ्रेंडशिप डे, सोशल मीडिया, ट्विटर, फेसबुक, गूगल, वॉट्सएपबाएं जैन कुओम और दाएं ब्रायन एक्टन

2009 की एक रात में दोस्तों के साथ फिल्म देखते समय कुओम को वॉट्सएप का आइडिया आया. दोस्तों को नोटिफिकेशन भेजने वाला एक एप बनाने का आइडिया. कुछ फेरबदल करके ये इंस्टेंट मैसेजिंग एप बन गया. एक्टन कुछ न नुकुर कर इसमें शामिल हो गए. कुछ महीनों में कुओम को लगा कि ये सही नहीं है तो एक्टन ने मना किया और कहा कि कुछ वक्त इसमें और देते हैं.

2009 के खत्म होते-होते दोनों को कई जगह नौकरी के लिए मना हो चुका था. अक्टूबर 2009 में एक्टन ने याहू के कई पुराने दोस्तों को पैसे इकट्ठे करने को कहा और 2.5 लाख डॉलर इकट्ठा हुए और ये थी वॉट्सएप की पहली बड़ी फंडिंग. इससे एक्टन को शेयर्स भी मिले.

2009 से 2015 के बीच काफी कुछ हो गया और कई जगह से निवेश मिलने लगा और साथ ही इस कंपनी को फेसबुक ने खरीद भी लिया. 800 मिलियन एक्टिव यूजर्स के साथ वॉट्सएप अभी भी शीर्ष पर है.

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लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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