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Updated: 28 अक्टूबर, 2022 03:09 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने जब से ट्विटर को खरीदने की डील की है. तब से ही मस्क के ट्वीट का कोई न कोई मतलब जरूर निकाला जाता रहा है. और, जब एलन मस्क ट्विटर के ऑफिस में 'सिंक' लेकर पहुंचे. तो, लोगों ने खूब अटकलें लगाई थीं. दरअसल, एलन मस्क ने एक वीडियो शेयर किया था. जिसमें वह ट्विटर ऑफिस में सिंक लेकर एंट्री करते दिखाई पड़ रहे थे. इसके साथ एलन मस्क ने लिखा था कि 'ट्विटर के हेडक्वार्टर में घुस रहा हूं- लेट देट सिंक इन.' खैर, अब इस ट्वीट के मायने समझ आ चुके हैं. क्योंकि, एलन मस्क ने एक ट्वीट कर लिखा है कि 'चिड़िया अब आजाद हो गई.' और, इसके कुछ ही देर बाद सोशल मीडिया से लेकर तमाम जगहों पर ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल और लीगल-पॉलिसी चीफ विजया गड्डे समेत कुछ अधिकारियों की नौकरी जाने की खबर फैल गई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इनमें से कुछ लोगों को तो बाकायदा ऑफिस से बाहर तक निकाला गया है. आसान शब्दों में कहें, तो सिंक लेकर ट्विटर ऑफिस पहुंचे एलन मस्क ने सफाई शुरू भी कर दी.

Elon Musk terminated Parag Agrawal Vijaya Gaddeट्विटर की पॉलिसी का वामपंथी विचारधारा के प्रति झुकाव एलन मस्क के निशाने पर पहले से ही था.

पराग और विजया की छुट्टी क्यों हुई?

यहां बताना जरूरी है कि इसी साल अप्रैल में जब एलन मस्क के ऑफर को कंपनी ने मान लिया था. तो, विजया गड्डे इससे काफी दुखी हुई थीं. और, एक मीटिंग के दौरान रोने भी लगी थीं. दरअसल, ट्विटर की लीगल-पॉलिसी चीफ विजया गड्डे पर मनमाने तरीके से सेंसरशिप लागू करने के आरोप लगते रहे हैं. और, इसे लेकर एलन मस्क ने कड़ी प्रतिक्रिया भी दी थी. वहीं, ट्विटर पर बॉट अकाउंट्स को लेकर पराग अग्रवाल के साथ भी एलन मस्क की काफी तकरार हुई थी. वहीं, पराग अग्रवाल ने एक मीटिंग में कर्मचारियों से कहा था कि 'एलन मस्क की लीडरशिप में ट्विटर का फ्यूचर अब अंधकार में है.' तो, ये तकरीबन पहले से ही तय माना जा रहा था कि ट्विटर खरीद की डील पूरी होते ही पराग अग्रवाल और विजया गड्डे को कंपनी से गुड बाय बोल दिया जाएगा. और, आखिरकार ऐसा ही हुआ. इतना ही नहीं, अग्रवाल और गड्डे के साथ कुछ और अधिकारी भी ट्विटर से निकाल दिए गए.

दरअसल, ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी के समय से ही ट्विटर पर वामपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं. खुद जैक डॉर्सी ने भी माना था कि वह वामपंथी विचारधारा के धुर समर्थक हैं. माना जाता है कि जब जैक डॉर्सी भारत आए थे. तो, उनके हाथ में 'ब्राह्मणवादी पितृसत्ता को तोड़ो' लिखा प्लेकार्ड पकड़वाने के पीछे भी विजया गड्डे ही थीं. बता दें कि इस मामले पर बवाल बढ़ने के बाद विजया गड्डे ने बाकायदा माफी तक मांगी थी. खैर, ट्विटर डील की वजह से अब वामपंथियों में पेट दर्द की शिकायत बढ़ने की संभावना ज्यादा हो गई है. क्योंकि, अब ट्विटर की सेंसरशिप पर पराग अग्रवाल और विजया गड्डे का अधिकार नहीं रह गया है. जो अब तक इन्हें बचाते आ रहे थे. एलन मस्क कई बार इशारा कर चुके हैं कि ट्विटर राजनीतिक रूप से तटस्थ रहेगा. और, धुर-दक्षिणपंथी व धुर-वामपंथी से किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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