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सरकार समर्थक होने का खामियाजा कंगना भुगतती हैं, तो आमिर खान विरोधी होने पर डरते क्यों हैं?
मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कांग्रेस विधायक प्रियांक खड़गे (Priyank Kharge) ने अभिनेता आमिर खान (Aamir Khan) की फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' का समर्थन किया है. लेकिन, खड़गे विरोध के असल मुद्दे को दरकिनार कर लाल सिंह चड्ढा (Laal Singh Chaddha) के समर्थन में आमिर खान को 'मासूम' साबित करते हुए अपनी राजनीति साध रहे हैं.
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मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कांग्रेस विधायक प्रियांक खड़गे ने अभिनेता आमिर खान की फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' का समर्थन किया है. प्रियांक खड़गे ने ट्वीट करते हुए सवाल खड़ा किया है कि 'जब भारत सहिष्णु था: एंथोनी-अमिताभ बच्चन, राज/राहुल-शाहरुख खान, प्रेम-सलमान खान, अकबर-ऋतिक रोशन, यूसुफ खान-दिलीप कुमार होते थे. आमिर खान ने लगान, रंग दे बसंती और मंगल पांडे में देशभक्त की भूमिका निभाई थी. किसी को कोई समस्या नही हुई. और, सभी ने इस पर प्यार लुटाया. हम क्या बन गए हैं?'
When India was tolerant:Anthony = AmitabhRaj/Rahul = SRKPrem = SalmanAkbar = HrithikMd Yusuf Khan = Dilip KUMARAamir essayed roles of a desh bhakt in Lagaan, Rang De Basanti & Mangal Pandey. None had a problem, everyone loved them.What have we become? #LaalSinghChaddha
— Priyank Kharge / ಪ್ರಿಯಾಂಕ್ ಖರ್ಗೆ (@PriyankKharge) August 2, 2022
वैसे, कांग्रेस नेता प्रियांक खड़गे द्वारा 'लाल सिंह चड्ढा' के समर्थन में उठाया गया सवाल बिलकुल भी नही चौंकाता है. क्योंकि, प्रियांक खड़गे विरोध की असली वजहों को दरकिनार कर लाल सिंह चड्ढा के समर्थन में आमिर खान को 'मासूम' साबित करते हुए अपनी राजनीति साध रहे हैं. जबकि, यहां असल मुद्दा ये है कि एक्टर का विरोध बीते कुछ सालों में अपनाए गए उनके नजरिये को लेकर होकर रहा है. वैसे, अहम सवाल ये है कि कंगना समर्थक होने का खामियाजा भुगतती हैं, तो आमिर खान विरोधी होने पर डर क्यों रहे हैं?
आमिर खान एक पब्लिक फीगर हैं. और, बीते कुछ सालों में उनका तालमेल दर्शकों के साथ बिगड़ गया है.
पृथ्वीराज और धाकड़ पिटी, तो खुशी! लेकिन, लाल सिंह चड्ढा के Boycott से डर
अक्षय कुमार अभिनीत सम्राट पृथ्वीराज और कंगना रनौत की फिल्म धाकड़ बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से पिटी थी. सोशल मीडिया पर एक वर्ग ने इन फिल्मों के फ्लॉप होने पर अपनी खुशी जाहिर की थी. इन लोगों के हिसाब से सम्राट पृथ्वीराज में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया था. और, बहुसंख्यक हिंदू समुदाय के समर्थन वाली फिल्म घोषित कर दी गई थी. वहीं, कंगना रनौत की फिल्म धाकड़ के फ्लॉप होने पर इसे पीएम नरेंद्र मोदी के समर्थन का नतीजा तक बता दिया गया था. अक्षय कुमार और कंगना रनौत की फिल्मों के फ्लॉप होने पर सोशल मीडिया पर खूब तालियां पीटी गई थीं. जबकि, सम्राट पृथ्वीराज और धाकड़ के फ्लॉप होने की वजहें गलत कास्टिंग से लेकर कमजोर कहानी थी.
आमिर खान सरकार-विरोधी रहे हैं, तो डर किस बात का है?
अब अगर आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा का बायकॉट करने की मुहिम चलाई जा रही है. तो, लोगों को डर क्यों लग रहा है? लाल सिंह चड्ढा का विरोध आमिर खान खान के मुस्लिम होने की वजह से नहीं हो रहा है. बल्कि, इसके पीछे की वजह ये है कि आमिर खान अपने धर्म यानी इस्लाम को लेकर खूब संवेदनशील नजर आते हैं. लेकिन, दूसरे धर्मों के मामले में वह 'मानवता' का पाठ पढ़ाने लगते हैं. सोशल मीडिया पर उनके ढेरों वीडियो मौजूद हैं. जिनमें बहुसंख्यक हिंदू समुदाय की परंपराओं पर आमिर खान अपनी फिल्मों के जरिये प्रश्न चिन्ह लगाते रहे हैं? लेकिन, इस्लाम में व्याप्त रूढ़ियों के बारे में आमिर खान को बोलते हुए कभी सुना नहीं गया है. इतना ही नहीं, तुर्की जैसा देश जो हमेशा ही भारत की खिलाफत करता रहता है. आमिर खान उसी तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान और उनकी पत्नी से निजी मुलाकात करते हैं.
वैसे, जिन आमिर खान को कुछ साल पहले भारत में बढ़ती असहिष्णुता से डर लगता है. उनकी ओर से 'सिर तन से जुदा' जैसे इस्लामी नारे के साथ हो रही हत्याओं पर एक शब्द नहीं बोला जाता है. एक इंटरव्यू के दौरान गुजरात दंगों के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार घोषित करने वाले आमिर खान देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा दी गई क्लीन चिट पर नहीं बोलते हैं. इन तमाम चीजों को देखते हुए कहा जा सकता है कि फिल्म लाल सिंह चड्ढा के बायकॉट कैंपेन से आमिर खान को डर लगना लाजिमी है. मार्के की बात ये है कि जब आप सेलेक्टिव तरीकों से कुछ चीजों का समर्थन और कुछ चीजों का विरोध करते नजर आते हैं. तो, आमिर खान हों या कंगना रनौत या अक्षय कुमार, आप पर एक अघोषित टैग लग जाता है. जिसका खामियाजा पृथ्वीराज और धाकड़ ने झेला है. तो, लाल सिंह चड्ढा को भी झेलना पड़ेगा ही.
वैसे भी लाल सिंह चड्ढा तो टॉम हैंक्स स्टारर फॉरेस्ट गंप की रीमेक है. तो, फॉरेस्ट गंप जैसी क्लासिक फिल्म की सस्ती कॉपी को देखने के लिए लोग सिनेमाहॉल क्यों जाएंगे?