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Updated: 20 मई, 2023 06:31 PM
Pranay Vikram Singh
 
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उत्तर प्रदेश में अपराध की दुनिया पहली बार इतनी भयभीत और सहमी हुई है. यहां जुर्म के किले की हर कुख्यात ईंट पर ‘जीरो टालरेंस’ के फैसलाकुन प्रहार से कानून-व्यवस्था को नई ऊंचाइयां मिल रही हैं. जरायम की दुनिया के बेताज बादशाह कहलाने वाले दुर्दांत माफिया सरगना मुख़्तार अंसारी व उनके भाई अफजाल अंसारी को सजा, अतीक अहमद गिरोह के लगभग खात्मे और कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना समेत संगठित अपराध के अनेक रसूखदारों का दमन सूबे में कानून के 'अमृतकाल' की दास्तां कह रहा है.

जो माफिया सरगना दशकों से आतंक का पर्याय थे, जिनकी देहरी पर सजदा कर कानून के मुहाफिज खुद को महफूज समझते थे, जिनके मुकदमों में गवाही से मुकरना ही गवाह की जान-ओ-माल की सुरक्षा का एकमात्र रास्ता था, ‘आत्मरक्षा’ हेतु 10-10 न्यायाधीशों ने जिनके मुकदमों को सुनने से इंकार कर दिया हो, जिनकी हजारों करोड़ की लंकाओं की कार्यकर्ता भाव के साथ चौकीदारी कानून के बहुतेरे रक्षकों के लिए जीवन की उपलब्धि रही, ऐसे दुर्दांत अपराधियों को सजा अथवा उनके पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने/गिरफ्तार होने, उनके अवैध आर्थिक साम्राज्यों के जमींनदोज होने से इस तथ्य, कथ्य और सत्य को मजबूती मिली है.

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यहां सवाल उठता है कि थाना भी वही, पुलिस भी वही, वही वर्दी, वही कानून की धाराएं, वही समाज, धनबल और बाहुबल भी वही, लेकिन साल 2017 के बाद पुलिस की क्षमता व दक्षता में अभिवर्धन और कार्यशैली में आया अभूतपूर्व परिवर्तन का कारण क्या है? दरअसल यह गुणात्मक परिवर्तन नेतृत्व की शक्ति व उद्देश्य की स्पष्टता का सुफल है.

20 मार्च, 2017 से मार्च, 2023 के मध्य पुलिस और अपराधियों के बीच हुईं 10,713 मुठभेड़ें बता रही हैं कि योगी सरकार में उत्तर प्रदेश पुलिस अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के लिए संकल्पित है. अब पुलिस पलायन नहीं, बल्कि अपराधियों को ललकार रही है. अब तक 184 दुर्दांत अपराधियों को ढेर कर उ.प्र. पुलिस ने अपने ध्येय वाक्य ‘परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्’ को मूर्तरूप प्रदान किया है. यही नहीं, आंकड़ों के मुताबिक, मार्च, 2017 से लेकर मार्च, 2023 तक यूपी पुलिस द्वारा 23,069 अपराधियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है. इसके साथ ही 4,911 अपराधी ऐसे थे, जिन्हें मुठभेड़ के दौरान पुलिस की गोली ने कानून का पाठ पढ़ाया.

दीगर है कि इन सफलताओं के पथ को प्रदेश की पुलिस ने अपने लहू की कीमत पर निर्मित किया है. गौरतलब है कि मुठभेड़ों के दौरान 1,424 पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल हुए, जबकि एक दर्जन से अधिक पुलिस कार्मिक अपने कर्तव्यों के निर्वहन में बलिदान भी हो गए.

कभी राज्य सरकार के समानांतर सत्ता चलाने वाले माफिया सरगनाओं की आपराधिक लंकाएं आज जमींदोज हो रही हैं. विगत 06 वर्षों में उत्तर प्रदेश के अंदर गैंगस्टर अधिनियम में ₹90 अरब 22 करोड़ 33 लाख की चल/ अचल सम्पत्तियों का जब्तीकरण हुआ है. योगी जानते थे कि प्रगति के उजले पन्नों को असुरक्षा की काली स्याही बदरंग कर देती है. लिहाजा उन्होंने सत्ता संभालते ही समर्थ अभियोजन समेत सुदृढ़ कानून-व्यवस्था हेतु सभी अपरिहार्य आवश्यकताओं की पूर्ति को प्राथमिकता दी.

उसी श्रृंखला में पुलिसिंग में सुधार एवं कानून व्यवस्था के बेहतर प्रबंधन के लिए 07 जनपदों में पुलिस कमिश्नरेट की व्यवस्था लागू की गई. कार्यवाहियों में शीघ्रता तथा विवेचनाओं में गतिशीलता, गहनता और निष्पक्षता के लिए पुलिस के आधारभूत ढांचे को मजबूत करते हुए राज्य सरकार ने 114 नए पुलिस स्टेशन, 163 नई चौकी, 06 नए महिला पुलिस स्टेशन, आर्थिक अपराध से संबंधित 04 नए पुलिस स्टेशन, 16 नए साइबर क्राइम स्टेशन, सतर्कता प्रतिष्ठान की 10 नई शाखाएं, 90 नए फायर स्टेशन और 02 जल पुलिस स्टेशन स्वीकृत किए हैं. इसके साथ ही साइबर अपराधों से निपटने के लिए लखनऊ में डिजिटल फोरेंसिक लैब और जोन स्तर पर साइबर फोरेंसिक लैब भी स्थापित की गई हैं. योगी सरकार ने विभिन्न पदों पर 01 लाख 64 हजार से अधिक पुलिस कर्मियों की भर्ती को अंजाम देकर पूर्ववर्ती सरकारों को आइना दिखाया है.

दीगर है कि धूप कितनी भी नरम क्यों न हो, वह चांदनी का हक अदा नहीं कर सकती है और इस सत्य को समझते हुए योगी सरकार ने महिलाओं को थाने में माकूल माहौल मुहैया कराने के लिए प्रदेश के सभी 1,535 थानों में महिला हेल्प डेस्क का शुभारंभ किया है, अब महिलाएं अपनी शिकायतों को महिला पुलिसकर्मियों के सामने खुलकर बता सकेंगी. पुलिस विभाग में महिलाओं की 20 फीसदी अनिवार्य भर्ती के फैसले और 03 महिला पीएसी बटालियनों के गठन से नारी सशक्तिकरण को एक नई दिशा मिली तो 218 फास्ट ट्रैक कोर्टों के गठन से महिला सम्बन्धी अपराधों में त्वरित कार्यवाही का मार्ग प्रशस्त हुआ है.

महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में 487 अभियुक्तों को आजीवन कारावास, 1,016 अभियुक्तों को 10 वर्ष से अधिक कारावास की सजा, 3,076 आरोपियों को 10 साल से कम की सजा, प्रदेश सरकार की स्त्री सुरक्षा के प्रति गंभीरता को प्रकट करती है. पॉक्सो और महिलाओं से संबंधित अपराधों के लिए ई-अभियोजन में उत्तर प्रदेश पूरे देश में प्रथम स्थान पर है.

ये उपलब्धियां किसी भी लोकनिष्ठ सरकार द्वारा अपराध मुक्त समाज की स्थापना की दिशा में बढ़े महत्वपूर्ण कदम हैं. ये कार्य पिछली हुकूमतें भी कर सकती थीं, लेकिन भूतपूर्व हुक्मरानों ने माफियाओं को 'मिट्टी में मिलाने' का कोई संकल्प नहीं किया था. माफियाओं को 'मिट्टी में मिलाने' का उद्घोष योगी के विजन को, उनके मिशन को बखूबी बयान करता है. यह ऐलान प्रभु श्री राम के उस प्रण की प्रतिध्वनि है जिसमें वे कहते हैं कि "निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह."

मुख्तार अंसारी, अफजाल अंसारी, अतीक अहमद वे नाम हैं, जिनके दोषी सिद्ध होने से लोगों का कानून के प्रति विश्वास बढ़ा है. हालांकि अतीक अहमद अब दुनिया में नहीं हैं, लेकिन जीते जी उनको सजा मिलना जरायम की दुनिया के लिए बड़ा सबक थी. इससे यह स्थापित हुआ कि निष्पक्ष विवेचना, गहन साक्ष्य संकलन और प्रभावी पैरवी से अधिकांश अपराधियों को सजा भी मिलेगी और भविष्य में ये प्रमोट होकर 'माननीय' भी नहीं बन पाएंगे.

जुर्म के सरोवर में विचरण कर रहे इन 'मगरमच्छों' के शिकार ने समाज में अपराध विरुद्ध विमर्श को पुनर्जीवित कर दिया है. समाज की उस सुप्त चेतना को जागृत किया है, जो ‘कानून के शासन’ को एक ख्वाब नहीं, हकीकत मानती है. यह 'नए भारत' के 'नए उत्तर प्रदेश' की सबसे बड़ी उपलब्धि है. 'नया भारत' अपने दुश्मनों को घर में घुसकर मारता है, 'नया उत्तर प्रदेश' भी समाज के दुश्मनों को ढूंढ-ढूंढ कर सबक सिखाता है. इसी अंदाज को 'योगी मॉडल' कहते हैं. जो अब अनेक राज्यों के लिए अनुकरणीय व अपराधियों के लिए भयनीय हो गया है.

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