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Updated: 26 जुलाई, 2019 06:36 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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कर्नाटक के BJP नेता बीएस येदियुरप्पा के पास खुशी लौट ही आयी. खुशी तो पल भर के लिए भी बड़ी होती. खुशी के एक-एक पल ताउम्र याद रहते हैं. खुशनुमा एहसासों के बल पर ही कोई भी शख्स तमाम गमजदा बातें भुलाने की कोशिश करता है. येदियुरप्पा भी यही सब महसूस कर रहे होंगे.

जाहिर है येदियुरप्पा को पहली खुशी तो तभी मिली होगी जब वो जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी को विश्वासमत हारते देखा होगा. फिर जब बेंगलुरू में RSS नेताओं ने आशीर्वाद में कुर्सी पक्की होने का भरोसा दिलाया होगा - और आखिर में तब जब कर्नाटक बीजेपी के नेताओं ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद खुशखबरी भेजी होगी.

विश्वासमत में मात खाकर कुमारस्वामी खुद तो चले गये, लेकिन राजनीतिक हालात ने येदियुरप्पा को फिर से शह दे दिया है. कहते हैं 'दिन भर चले ढाई कोस', येदियुरप्पा के साथ भी कुछ कुछ वैसा ही हो रहा है - मुख्यमंत्री पद की फिर से शपथ ले लेने के बावजूद येदियुरप्पा के पास बहुमत के लाले पड़े हुए हैं.

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अगर येदियुरप्पा ने भी इसे कभी सुना होंगा तो अकेले में उनके दिमाग में जरूर गूंजता रहता होगा. ज्योतिषियों के तिकड़म और तांत्रिकों के टोने-टोकके, काला जादू करने-कराने के बावजूद येदियुरप्पा की मुश्किलें टस से मस होती नहीं नजर आ रही हैं.

ऐसा लगता है जैसे येदियुरप्पा के लिए कुमारस्वामी की सरकार गिराना या फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले लेना ज्यादा आसान रहा होगा, मुश्किल तो बहुमत साबित करना होगा. नंबर के मामले में येदियुरप्पा ठीक उसी जगह खड़े नजर आ रहे हैं जहां साल भर पहले थे.

कहा जा रहा है कि कर्नाटक बीजेपी नेताओं से मुलाकात में अमित शाह ने येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए तो हरी झंडी दिखायी ही, बीजेपी नेता ये संदेश भी भिजवाया कि वो 26 जुलाई को ही शपथ लें. TV9 कर्नाटक के अनुसार अमित शाह ने येदियुरप्पा को बताया कि शुक्रवार के दिन शुभ मुहूर्त है. येदियुरप्पा के शपथग्रहण का समय शाम के छह से सवा छह के बीच रखने की वजह भी है क्योंकि बेंगलुरू में सूर्यास्त 6 बज कर 47 मिनट पर हो रहा है.

कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला से मुलाकात के बाद येदियुरप्पा ने कहा, 'मैंने गवर्नर से अभी मुलाकात की है. आज शाम 6 बजे मैं मुख्यमंत्री पद की शपथ लूंगा.'

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साल भर बाद तरीका थोड़ा बदला है. तब येदियुरप्पा ने कई दिन पहले ही बता दिया था कि वो कब शपथ लेने वाले हैं. इस बार शपथग्रहण के दिन ही इस बात की घोषणा की गयी है.

सवाल ये बड़ा नहीं था कि येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बनेंगे या नहीं, बड़ा सवाल ये था कि विधानसभा में बहुमत कैसे साबित करेंगे. येदियुरप्पा के खाते में अभी जो संख्या दिखाई दे रही है उसमें करीब साल भर बाद भी सिर्फ दो का फर्क आ सका है.

14 महीने बाद भी स्थिति नहीं बदली

कर्नाटक को लेकर यक्ष प्रश्न नहीं बदला है - येदियुरप्पा बहुमत के पास जब मैजिक नंबर नहीं है तो वो इसे कैसे और कहां से जुटाने वाले हैं?

15 मई, 2018 को आये कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों से मालूम हुआ की बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी है. कर्नाटक में 222 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को 104 सीटों पर ही कामयाबी मिल सकी थी.

बीजेपी नेता के पास बहुमत के आंकड़े 112 से 8 विधायक कम होने के बाद भी राज्यपाल ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी - सिर्फ यही नहीं, बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन की लंबी मोहलत भी दे डाली थी. जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो ज्यादा फेरबदल वाला आदेश तो नहीं जारी हुआ लेकिन बहुमत साबित करने की अवधि घटा दी गयी - अचानक मुमकिन होती नजर आ रही चीजें नामुमकिन हो गयीं और येदियुरप्पा को वाजपेयी वाले अंदाज में इस्तीफा देने की कोशिश करनी पड़ी लेकिन वो कवायद भी बेकार गयी. किसी को भी येदियुरप्पा के प्रति सहानुभूति नहीं जगी.

मौजूदा स्पीकर केआर रमेश ने तीन बागी विधायकों को दल बदल कानून के तहत अयोग्य करार दिया है. बाकी बचे 14 विधायकों को लेकर स्पीकर का कहना है कि नियमों के अनुसार उन पर भी फैसले ले लेंगे. येदियुरप्पा की ओर से विधायकों के पक्ष में स्पीकर के फैसले पर अदालत से स्टे लेने के प्रयास की भी संभावना जतायी जा रही है.

विश्वासमत के दौरान कुमारस्वामी के पक्ष में 99 और विपक्ष में 106 वोट पड़े थे. ये बता रहा है कि येदियुरप्पा को 106 विधायकों का समर्थन हासिल है. मगर, बहुमत का आंकड़ा तो 112 है और इस हिसाब से 6 विधायक कम पड़ रहे हैं.

यही वो जगह है जहां येदियुरप्पा पिछली बार चूक गये थे - देखना है अब कौन सा सियासी जादू या काला जादू काम आता है!

सत्ता गंवाने के बाद कर्नाटक कांग्रेस बीजेपी से यही सवाल पूछ रही है - वो जादुई नंबर कहां से लाएंगे बीजेपी नेता? कर्नाटक कांग्रेस की ओर से ये सवाल उठाते हुए एक ट्वीट किया गया है जिसमें येदियुरप्पा के साथ साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को भी टैग किया गया है.

सिर्फ इतना ही नहीं. कर्नाटक में बीजेपी के सरकार बनाने में कई चीजें जल्दबाजी में होती जा रही लगती हैं. बात तो ये भी हो रही है कि येदियुरप्पा को आलाकमान से ग्रीन सिग्नल और संदेश मिला, फिर राज्यपाल से मिले और सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. मुलाकात के बाद शपथ का मुहूर्त भी बताया दिया - लेकिन कर्नाटक बीजेपी के विधायक या येदियुरप्पा को सपोर्ट करने वाले विधायकों ने विधानमंडल दल का नेता कब चुना ये नहीं बताया गया. क्या येदियुरप्पा के पहले से विपक्ष का नेता होने के चलते ये कदम स्किप किया गया? तरीका तो यही होता है कि विधायकों की बैठके होती है और उसमें नेता चुने जाने की रस्म होती है.

क्या बीजेपी नेतृत्व कर्नाटक में फिर कोई दांव खेलने जा रहा है? क्या होगा अगर येदियुरप्पा फिर से विधानसभा में बहुमत साबित करने से चूक गये? फिर क्या संवैधानिक संकट के बहाने राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करेंगे?

कहीं ऐसा तो नहीं कि बीजेपी येदियुरप्पा को नाराज कर कर्नाटक के लिंगायत समुदाय की नाराजगी का रिस्क नहीं लेना चाहती? 75 साल की उम्र पार कर चुके येदियुरप्पा को ठिकाने लगाने का ये खेल तो नहीं चल रहा है?

अगर येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बन कर भी बहुमत साबित नहीं कर पाते तो राष्ट्रपति शासन और आखिर में विधानसभा के चुनाव होंगे - तब तक शायद येदियुरप्पा के लिए भी मार्गदर्शक मंडल में एक कोना तैयार कर दिया जाये? सबसे बड़ा सवाल तो यही है - क्या येदियुरप्पा फिर से इस्तीफा देने के लिए ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं?

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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