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Updated: 17 अक्टूबर, 2018 10:11 PM
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आखिरकार परंपरा टूट ही गयी. UPA की तरह ही NDA सरकार में भी इस्तीफे का दौर शुरू हो ही गया. सोशल मीडिया के जरिये MeToo मुहिम ने जो दबाव बनाया कि मोदी सरकार टूट ही गयी - और एमजे अकबर को विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना ही पड़ा. 'बेटी बचाओ...' के स्लोगन को आगे बढ़ाते हुए सोशल मीडिया पर नवरात्र में देवी और दशहरे पर रावण तक की चर्चा चल पड़ी थी - और सरकार के पास कोई दूसरा रास्ता दिखायी नहीं दे रहा था.

पहले तो एमजे अकबर ने आरोपों को झूठा बताया - और कोर्ट में आपराधिक मानहानि का मुकदमा भी दायर कर दिया - लेकिन पीड़ितों के पक्ष में उठती आवाजों और लगातार बढ़ते सपोर्ट ने सरकार को बैकफुट पर जाने को मजबूर कर दिया.

...और शुरू हो गया इस्तीफा!

बड़े दावे के साथ राजनाथ सिंह ने तीन साल पहले कहा था - "नहीं नहीं... इसमें मंत्रियों के त्यागपत्र नहीं होते हैं भैया. यूपीए सरकार नहीं है... ये एनडीए सरकार है..." जिस तरह विपक्ष एमजे अकबर के इस्तीफे पर अड़ा था उसी तरह तब अकबर की सीनियर मंत्री सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के इस्तीफे की मांग कर रहा था.

mj akbar72 घंटे में इस्तीफा!

मगर, इस बार ऐसा नहीं हो सका. विदेश दौरे से लौटने के तीन दिन के भीतर ही एमजे अकबर ने विदेश राज्य मंत्री का पद छोड़ दिया - और अपने ट्विटर अकाउंट से जानकारी भी दी.

अकबर के खिलाफ जंग का आगाज करने वाली पत्रकार प्रिया रमानी का फौरी रिएक्शन रहा - "अकबर के इस्तीफे से मेरे जैसी महिलाओं को सुकून मिला है... उम्मीद है कोर्ट से हमें न्याय मिलेगा."

प्रिया रमानी ने इस सिलसिले में एक स्टेटमेंट के साथ साथ अपनी बेटी के हाथ से लिखा एक नोट भी ट्वीट किया था - और सपोर्ट में उनके पति ने एक कॉलम भी लिखा था.

अकबर की जिंदगी के वो तीन दिन कैसे बीते?

भारत में मी टू मुहिम की शुरुआत और एमजे अकबर पर इल्जाम लगने के बाद शुरू से ही मोदी कैबिनेट में मेनका गांधी महिलाओं के समर्थन में मुखर रहीं. स्मृति ईरानी ये कहते हुए पल्ला झाड़ कर निकल लीं कि जेंटलमैन से ही पूछिये. सबसे ज्यादा हैरान करने वाली रही अकबर की सीनियर मंत्री सुषमा स्वराज की चुप्पी.

हां, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता दत्तात्रेय होसबोले ने #MeToo अभियान का समर्थन जरूर किया. होसबोले ने फेसबुक की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास की पोस्ट शेयर अपना समर्थन जाहिर किया था.

अपनी सफाई में अकबर ने तमाम दलीलें पेश की थी. मसलन - मैं क्युबिकल में काम करता था, मेरा केबिन दूसरे लोगों से महज दो फीट दूर था. लगता है एशियन एज में प्रिया रमानी के साथ काम करने वाली 20 महिला साथियों के आ जाने से अकबर बुरी तरह घिरा महसूस करने लगे और फिर मोदी सरकार के संकटमोचक डैमेज कंट्रोल में जुट गये.

महिलाओं की मुहिम को संघ के सपोर्ट से साफ था कि वो अकबर के कैबिनेट में बने रहने के खिलाफ है. मगर, सरकार को एक सुरक्षित रास्ते की दरकार रही. इस मैराथन कोशिश में रंग लाई 16 अक्टूबर को अकबर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मुलाकात - और माना जा रहा है कि उसी के बाद अकबर इस्तीफा देने को तैयार हुए.

झुकती है दुनिया झुकाने वाला चाहिए...

अकबर के इस्तीफा देते ही सोशल मीडिया पर टिप्पणियों की भरमार लग गयी. आप विधायक अलका लांबा का कहना रहा - झुकती है दुनिया झुकाने वाला चाहिये. एक अन्य यूजर की प्रतिक्रिया रही - चलो अकबर भी गया, इलाहाबाद भी.

आज तक पर मोदी सरकार का बचाव करते हुए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने तमाम तर्कों के अलावा एक महत्वपूर्ण बात जरूर कही, "जो बेटियों ने चाहा वो आज हो गया."

बहरहाल, 'निजी हैसियत' से मोबाशर जावेद अकबर अब 18 अगस्त को पटियाला हाउस कोर्ट में आपराधिक मानहानि के अपने मुकदमे की पैरवी करेंगे - और दूसरी तरफ होंगी 20 पत्रकारों की टोली दो प्रिया रमानी के समर्थन में आगे आयी हैं.

सेक्शुअल हैरेसमेंट के जिन मामलों का एमजे अकबर पर इल्जाम लगा है, उसमें देर तो बहुत ही ज्यादा हुई है - लेकिन अंधेरा भी छंटने लगा है.

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