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Updated: 02 जनवरी, 2022 10:40 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनदर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कमान पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने थाम रखी है. 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' के चुनावी नारे के साथ प्रियंका गांधी ने यूपी चुनाव में पार्टी के लिए सियासी जमीन तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. वैसे, महिला केंद्रित घोषणा पत्र के सहारे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने आधी आबादी यानी महिलाओं को साधने का दांव भी खेल दिया है.

यूपी चुनाव 2022 में 40 प्रतिशत महिलाओं को टिकट देने का ऐलान प्रियंका गांधी पहले ही कर चुकी थी. आसान शब्दों में कहा जाए, तो प्रियंका गांधी कांग्रेस की मजबूत सिपेहसालार के तौर पर यूपी चुनाव में बढ़-चढ़कर पार्टी का नेतृत्व कर रही हैं. लेकिन, इन सबके बीच एक सवाल लगातार खड़ा हो रहा है कि उत्तर प्रदेश में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने की बात करने वाली प्रियंका गांधी क्या चुनाव लड़ सकती हैं? इस सवाल के पीछे की वजह भी स्पष्ट नजर आती है. क्योंकि, वो भी 'लड़की हैं'.

Priyanka Gandhi UP Elections 2022यूपी में हर सियासी दल के पास एक बड़ा चेहरा है. लेकिन, कांग्रेस इस मामले में मात खाती है.

'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' का नारा क्यों नजर आता है छलावा?

प्रियंका गांधी ने 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' नारे को कांग्रेस के चुनावी कैंपेन का आधार बनाया है. 40 फीसदी महिला उम्मीदवारों को टिकट के जरिये प्रियंका इसे पूरा भी करती दिख रही हैं. लेकिन, महिला सशक्तिकरण की कांग्रेस की इस मुहिम का आधार प्रियंका गांधी ही कमजोर करती नजर आती हैं. क्योंकि, 40 फीसदी महिलाओं को चुनावी रण में उतारने की बात करने वाली प्रियंका गांधी खुद के यूपी चुनाव 2022 चुनाव लड़ने पर गोल-मोल जवाब देती रही हैं.

अब चुनाव बिल्कुल करीब आ चुके हैं, तो चुनाव लड़ने को लेकर प्रियंका गांधी की ओर से दिए जाने वाले संशय भरे जवाबों से काम नहीं चलेगा. क्योंकि, प्रियंका गांधी का यूपी चुनाव लड़ने से इनकार कांग्रेस के 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' नारे को छलावा साबित करता है. प्रियंका गांधी की साफ-सुथरी छवि कांग्रेस के लिए फायदेमंद हो सकती है. यूपी में कांग्रेस की ओर से सर्वस्वीकार्य चेहरे के तौर पर प्रियंका गांधी सबसे अव्वल हैं. अगर प्रियंका चुनावी रण में उतरने का फैसला लेती हैं, तो भाजपा से नाराज मतदाताओं के लिए सपा, बसपा से कहीं बेहतर विकल्प कांग्रेस नजर आती है.

क्या प्रियंका गांधी यूपी चुनाव लड़ेंगी?

उत्तर प्रदेश में हर राजनीतिक दल के पास एक बड़ा चेहरा मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर है, भाजपा की ओर से योगी आदित्यनाथ, समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती समेत तकरीबन हर दल के पास लोगों के बीच जाने के लिए एक स्थापित चेहरा है. लेकिन, कांग्रेस की बात की जाए, तो प्रियंका गांधी पार्टी के लिए 'संकटमोचक' की भूमिका तो निभा रही हैं. लेकिन, तीन दशकों से ज्यादा समय से सत्ता का वनवास झेल रहा कांग्रेस उत्तर प्रदेश में मृतप्राय हो चुकी है.

अजय कुमार लल्लू प्रदेश अध्यक्ष जरूर हैं, लेकिन वो कांग्रेस का सर्वस्वीकार्य चेहरा नहीं कहे जा सकते हैं. वहीं, प्रियंका गांधी से जब भी ये सवाल पूछा जाता है कि क्या वो यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के चुनावी रण में उतरेंगी? तो, उनकी ओर से हर बार एक जैसा ही जवाब मिलता है कि इसका फैसला कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व लेगा. लेकिन, यहां संशय इस बात पर खड़ा होता है कि जब कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व का मतलब गांधी परिवार ही है, तो प्रियंका गांधी को चुनाव लड़ने से कौन रोक सकता है?

ऐसा लगता है कि प्रियंका गांधी अपने इस जवाब के सहारे यूपी चुनाव 2022 में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन से मिलने वाले दाग से बचना चाहती हैं. क्योंकि, कांग्रेस यूपी चुनाव में अपने प्रदर्शन को लेकर कहीं से भी आश्वस्त नजर नहीं आती है. एक कारण ये भी हो सकता है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व यानी गांधी परिवार में से आज तक किसी ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है.

लेकिन, जब उत्तर प्रदेश को कांग्रेस अपने लिए महत्वपूर्ण मान रही है, तो प्रियंका गांधी का विधानसभा चुनाव न लड़ना चौंकाता है. अगर ये मान भी लिया जाए कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएगी. लेकिन, प्रियंका गांधी के विधानसभा चुनाव लड़ने के ऐलान भर से कांग्रेस संगठन में जोश भर जाएगा. प्रियंका के चुनाव लड़ने की घोषणा भर से इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि कांग्रेस अपने पिछले प्रदर्शन से कहीं ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर जाए. लेकिन, इसके लिए प्रियंका गांधी को 'बॉर्न टू रूल' का राहुल गांधी वाला एटीट्यूड छोड़ना होगा.

प्रियंका का चुनाव लड़ना क्यों मुश्किल?

वैसे, प्रियंका गांधी का यूपी चुनाव लड़ना मुश्किल ही नजर आता है. क्योंकि, प्रियंका गांधी ने भले ही कांग्रेस के लिए देशभर में चुनाव प्रचार से लेकर राज्यों में चल रही खीचतान को निपटाने वाली नेता के तौर पर पहचान बना रखी हो. लेकिन, सक्रिय राजनीति से वह अभी तक दूर ही रही हैं.

प्रियंका अगर सक्रिय राजनीति में कदम रखने की सोचती हैं, तो कांग्रेस के लिए ये एक अच्छा संकेत हो सकता है. लेकिन, उनके इस फैसले का सीधा असर राजनीति में खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ स्थापित करने की कोशिश कर रहे उनके भाई राहुल गांधी पर पड़ेगा. इससे पहले भी कांग्रेस में कई बार प्रियंका गांधी को नेतृत्व देने की मांग उठ चुकी है. लेकिन, शायद ही प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य पर ताला लगाना चाहेंगी. प्रियंका पार्टी के लिए और पार्टी में सक्रिय नजर आ सकती हैं. लेकिन, चुनाव में उतरने से सीधा खतरा राहुल गांधी पर बन जाएगा.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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