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Updated: 01 अगस्त, 2018 09:32 PM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
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25 जुलाई को पाकिस्तान में हुए चुनाव में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) सबसे जयादा सीट लेकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. नैशनल असेंबली के चुनाव में पीटीआई को कुल 115 सीटें मिली हैं. उसे सरकार बनाने के लिए और 22 सीट चाहिए. इमरान खान की पार्टी सरकार बनाने के लिए छोटी पार्टियों का सहारा ले रही है. पीटीआई फिलहाल ये दावा कर रही है कि उनकी पार्टी कुछ निर्दलियों और छोटी पार्टियों से गठबंधन कर 11 अगस्त तक सरकार बना लेगी. यानी स्पष्ट है पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री इमरान खान ही बनेंगे.

imran khan11 अगस्त को सरकार बना लेंगे इमरान खान

लेकिन अभी तक स्पष्ट ये नहीं है कि इमरान खान अपने प्रधानमंत्री बनने के शपथग्रहण समारोह में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाएंगे या नहीं. कल खबर आई थी कि उनकी शपथग्रहण के लिए पड़ोसी देशों के नेताओं को न्योता दिया जाएगा और इनमें पीएम मोदी का नाम भी है. ये खबर आने के बाद शाम को पीटीआई पार्टी के प्रवक्ता फवाद हुसैन ने ट्वीट करके ये सफाई दी कि प्रधानमंत्री के शपथग्रहण समारोह में दूसरे देशों के नेताओं को बुलाने वाली मीडिया की खबरें सही नहीं हैं. इसपर हमने विदेश मंत्रालय से सुझाव मांगा है और उसी के अनुसार फैसला लेंगे. अभी तो शपथग्रहण कार्यक्रम में काफी समय बाकी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या नरेंद्र मोदी को इमरान खान अपने शपथग्रहण समारोह में बुलाते हैं, और अगर बुलाते हैं तो क्या मोदी उसमें सम्मिलित होने जायेंगे?

30 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी ने इमरान खान को फोन करके जीत की बधाई दी थी और उम्मीद जताई कि उनके मुल्क में लोकतंत्र की जड़ें और गहरी होंगी. साथ ही मोदी जी ने ये भी कामना जाहिर की थी कि पूरे क्षेत्र में शांति और विकास का दौर कायम रहे. जीत के बाद इमरान खान ने भारत से बातचीत करने के पक्ष में अपनी मंशा जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि दोनों देशों को ज्यादा से ज्यादा व्यापर करना चाहिए. साथ में उन्होंने ये भी जोर दिया था कि अगर भारत बातचीत के लिए एक कदम बढ़ाता है तो वो दो कदम बढ़ाएंगे.

लेकिन वर्त्तमान परिदृश्य में मोदी के लिए पाकिस्तान से बातचीत का निर्णय लेना बहुत कठिन है. पाकिस्तान जब तक आतंकवादी ताकतों को संरक्षण देना बंद नहीं करता है, तब तक उससे बातचीत करना बेमानी है. पिछले तीन सालों का रिकॉर्ड देखते हैं तो इस साल अभी तक पाकिस्तान सेना द्वारा 1432 संघर्ष विराम उल्लंघन के मामले सामने आये हैं. इसमें से करीब 942 उल्लंघन नियंत्रण रेखा (एलओसी) में हुआ हैं. 2017 में 971 संघर्ष विराम उल्लंघन पाकिस्तान द्वारा किया गए थे. इस साल भारत के 55 सेना के जवान और नागरिक इन फायरिंग में मारे जा चुके हैं. जम्मू और कश्मीर में भी आतंकवादी घटनाओं में भारी वृद्धि हुई हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए पाकिस्तान से बातचीत जारी रखना किसी छलावा से कम नहीं होगा.

अधिकतर लोगों को मालूम है कि इमरान खान की जीत में पाकिस्तानी सेना का बहुत बड़ा हाथ है. पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और आतंकी संगठन का रिश्ता किसी से छुपा नहीं हैं. पाकिस्तान जब तक आतंकवाद को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाता तब तक भारत उसपर विश्वास नहीं कर सकता. सभी को मालूम है कि नरेंद्र मोदी सत्ता में आने के बाद 2014 में उस समय के पाकिस्तान प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को भी अपने शपथग्रहण समारोह में बुलाया था, जिसमें वे सम्मिलित भी हुए थे. उस समय लगा था दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधरेंगे. दिसंबर 2015 को मोदी अचानक पाकिस्तान गए थे और सभी को चौंका दिया था. नवाज शरीफ को जन्मदिन की बधाई देने के साथ-साथ बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने दोनों देशों के लोगों के व्यापक हितों के लिए शांति कायम पर जोर दिया था. लेकिन पठानकोट, उरी जैसी आतंकवादी घटनाओं को पाकिस्तान द्वारा अंजाम देना दोनों देशो के बीच खटास पैदा कर दी. उरी का बदला भारत ने 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक से पूरा किया. उसके बाद से दोनों के रिश्ते बिगड़ते चले गए.

लेकिन पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन हुआ है. इमरान खान भारत के खिलाफ किस तरह का नीति अपनाते हैं वो आने वाले दिनों में पता चलेगी. चुनाव के दौरान उन्होंने भारत-विरोधी वक्तव्य ज्यादा दिया था. अब आगे देखना है कि इमरान खान मोदी को बुलाने की पहल करते हैं कि नहीं, और अगर करते हैं तो मोदी उसमें सम्मिलित होते हैं या नहीं. सभी जानते हैं की मोदी सरप्राइज देने में माहिर हैं.

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लेखक

आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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