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Updated: 29 नवम्बर, 2022 04:30 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान अपने राज्य से ज्यादा समय तो गुजरात में आम आदमी पार्टी के लिए रोड शो करते हुए ही गुजार रहे हैं. AAP के सभी बड़े नेताओं का गुजरात दौरा हो चुका है. और, राघव चड्ढा सरीखे नेताओं को तो बाकायदा कैंप करवा दिया गया है. मीडिया चैनलों पर अरविंद केजरीवाल गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने का 'लिखित' में दावा कर रहे हैं. लेकिन, ये तमाम बड़े-बड़े दावे अरविंद केजरीवाल की उसी मंशा की ओर इशारा कर रहे हैं. जिसे उन्होंने अपने पहले ही लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के सामने मैदान में उतर कर पूरा करने की कोशिश की थी. अगर ये कहा जाए कि अरविंद केजरीवाल का सपना गुजरात में सरकार बनाने का नहीं है. बल्कि, आम आदमी पार्टी को महज राष्ट्रीय दल बनाने का है. तो, गलत नहीं होगा.

Will Gujarat make Arvind Kejriwal Aam Aadmi Party a national party cause winning Gujarat Assembly Elections is not their dreamअरविंद केजरीवाल की राष्ट्रीय दल बनने की चाहत कई बार दम तोड़ चुकी है.

दरअसल, आम आदमी पार्टी दिल्ली, पंजाब और गोवा में पहले से ही राज्य स्तरीय दल बन चुकी है. अगर आम आदमी पार्टी सिर्फ एक और राज्य यानी गुजरात में किसी भी तरह से छह फीसदी वोट और दो सीटें हासिल कर लेती है. तो, चार राज्यों में राज्य स्तरीय दल होने के चलते अरविंद केजरीवाल का राष्ट्रीय पार्टी बनने का सपना पूरा हो जाएगा. और, इसके बाद अरविंद केजरीवाल अन्य राज्यों में भी आम आदमी पार्टी को एक बड़े विकल्प और दिल्ली मॉडल को बेचने के लिए अपनी जान लगा देंगे. आसान शब्दों में कहें, तो अरविंद केजरीवाल खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने सीधे चुनौती देने वाले के तौर पर पेश करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे. क्योंकि, अरविंद केजरीवाल पहले ही कह चुके हैं कि आम आदमी पार्टी किसी भी हाल में संयुक्त विपक्ष का हिस्सा नहीं बनेगी. खुद ही सोचिए, जो नेता दिल्ली का सीएम होने के बावजूद अपने राज्य की लोकसभा सीटें और एमसीडी चुनाव नहीं जीत पाया. वो गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए इतना लालायित क्यों नजर आ रहा है?

वैसे, अरविंद केजरीवाल की राष्ट्रीय दल बनने की चाहत कई बार दम तोड़ चुकी है. उदाहरण के तौर पर गुजरात से पहले हुए हिमाचल विधानसभा चुनाव को लेकर भी अरविंद केजरीवाल ने खूब हुंकार भरी थी. लेकिन, हिमाचल प्रदेश से मिले सियासी फीडबैक ने आम आदमी पार्टी के संयोजक को अपने पांव वापस खींचने के लिए मजबूर कर दिया था. क्योंकि, वहां पर आम आदमी पार्टी के लिए सीटें जीतना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था. इसे समझने के लिए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव नतीजों की ओर रुख करना ज्यादा सही होगा. क्योंकि, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया जैसे आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं ने इन दोनों राज्यों में भी सरकार बनाने का दावा किया था. लेकिन, ज्यादातर सीटों पर प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी. वैसे, देखना दिलचस्प होगा कि क्या गुजरात अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बनाएगा?

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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