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Updated: 11 अप्रिल, 2018 11:32 AM
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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने विपक्ष पर घटिया राजनीति करने का आरोप लगाया है. विपक्ष की राजनीति को निचले स्तर की बताने के चक्कर में शाह ने विरोधियों की तुलना सांप, नेवला और कुत्ते के साथ कर डाली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता का दावा करते हुए बीजेपी अध्यक्ष ने कहा - 'जब बाढ़ आती है तो सांप-कुत्ता-बिल्ली सब अपने आप को बचाने के लिए पेड़ पर चढ़ जाते हैं.' यूपी में समाजवादी पार्टी और बीएसपी के गठबंधन को भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ इसी अंदाज में बताने की कोशिश की थी.

एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर को विपक्ष ने बीजेपी की करतूत समझाने की कोशिश की है. भारत बंद के दौरान हिंसा में दर्जन भर लोगों के मारे जाने से बीजेपी हद से ज्यादा परेशान है. यही वजह है कि बीजेपी देश भर में 11 अप्रैल से 5 मई तक लगातार कई कार्यक्रम करने जा रही है - जिसमें खास जोर दलितों को रिझाने पर ही है.

बीजेपी से दलित समुदाय नाराज

दलितों के मुद्दे पर बुरी तरह घिरी बीजेपी को बार बार सफाई देनी पड़ रही है, लेकिन हर दाव बेअसर हो जा रहा है. बीजेपी के स्थापना दिवस के मौके पर अमित शाह ने दोहराया कि भारतीय जनता पार्टी ना ही आरक्षण हटाएगी और ना ही किसी को हटाने देगी, राजनीतिक लाभ के लिए विपक्ष का भ्रान्ति फैलाना एक निचले स्तर की राजनीति का उदाहरण है.

लेकिन दूसरों की कौन कहे, बीजेपी सांसदों को ही इस बात का भरोसा नहीं हो रहा. बीजेपी सांसद सावित्री बाई फूले के बाद दो और सांसद यूपी में दलितों के साथ भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं. केंद्र में अपनी ही सरकार की दलित विरोधी नीतियों के खिलाफ बीजेपी सांसद ने लखनऊ के कांशीराम स्मृति उपवन में रैली की और नाम दिया - 'भारतीय संविधान व आरक्षण बचाओ महारैली'.

savitri bai phuleबीजेपी सांसद की बगावत...

सावित्री बाई फूले ने केंद्र सरकार की नीतियों के चलते भारतीय संविधान और आरक्षण पर खतरे की आशंका जतायी है. बीजेपी सांसद ने बीआर अंबेडकर के नाम में रामजी जोड़ने के योगी सरकार के फैसले पर भी गहरी नाराजगी जतायी.

सावित्रीबाई फूले के अलावा बीजेपी के दो दलित सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख कर दलित समुदाय के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है. ये पत्र लिखे हैं - रॉबर्ट्सगंज से सांसद छोटेलाल खरवार और इटावा से बीजेपी सांसद अशोक दोहरे ने. ये सांसद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से ज्यादा नाराज हैं जिनका आरोप है कि वो दलितों के साथ भेदभाव करते हैं. योगी आदित्यनाथ पर पहले भी एक खास बिरादरी के साथ पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं.

एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर एनडीए के दलित सांसद भी प्रधानमंत्री से मिल कर अपनी चिंता जता चुके हैं. भारत बंद के दौरान हिंसा के बाद प्रधानमंत्री मोदी का कहना रहा कि अंबेडकर का जितना सम्मान उनकी सरकार ने किया उतना किसी ने भी नहीं किया है. हालांकि, तमाम दावों के बावजूद बीजेपी को ये यकीन नहीं हो रहा कि दलित समुदाय इतना जल्दी उसकी बातों पर ध्यान देने वाला है. यही वजह है कि दलितों को खुश करने के लिए बीजेपी ने लंबा चौड़ा एक्शन प्लान तैयार किया है.

दलित समुदाय मनाओ कार्यक्रम

दलित समुदाय को मनाने की कोशिश के साथ ही बीजेपी ने विपक्ष पर जवाबी हमले की तैयारी भी कर ली है. बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद न चलने देने के खिलाफ बीजेपी सांसद देश भर में अनशन करने जा रहे हैं. अनशन का कार्यक्रम अंबेडकर जयंती से दो दिन पहले 12 अप्रैल को रखा गया है.

modi, shahगांव चलो अभियान...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों को इस मौके पर अपने अपने इलाके में पहुंचने को कहा है. इस बार तो सांसदों को खैरियत नहीं. मोदी ने पहले ही समझा रखा है कि सुधर जाओ वरना 2019 में देख लेंगे. ऊपर से मौज मस्ती के दिन तो तभी खत्म हो गये जब से अमित शाह राज्य सभा पहुंचे. अब दलितों को मनाने की जिम्मेदारी है. मान गये तो ठीक वरना खामियाजा भुगतने को तैयार रहें. फिर तो मान कर चलना चाहिये कि औचक निरीक्षण में कोई सांसद अनुपस्थित पाया गया या मौके पर देर से पहुंचा तो उसके साथ भी सरकारी अधिकारियों जैसा ही सलूक होगा.

14 अप्रैल से 5 मई तक सांसदों और बीजेपी नेताओं को ऐसे गांवों में रात गुजारने को कहा गया है जहां 50 फीसदी से ज्यादा आबादी अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों की है. ये कार्यक्रम देश के 20 हजार से ज्यादा गांवों में होगा. वैसे इन कार्यक्रमों की शुरुआत 11 अप्रैल से ही हो जाएगी जिस दिन ज्योतिराव फूले का जन्मदिन पड़ता है.

इतना ही नहीं मई में बीजेपी पोकरण दिवस मनाने की तैयारी में है. 1998 में एनडीए सरकार में ही 11 से 13 मई के बीच परमाणु परीक्षण हुआ था. ध्यान देने वाली बात ये है कि 12 मई को ही कर्नाटक विधानसभा चुनाव के तहत वोट डाले जाने हैं. चुनाव के ऐन पहले दलित समुदाय बीजेपी से नाराज हो गया है - क्या बीजेपी के दलितों की नाराजगी दूर कर पाने में कामयाब हो पाएगी?

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