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Updated: 21 नवम्बर, 2017 04:24 PM
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गुजरात चुनाव अपने चरम पर है. भाजपा हो या कांग्रेस हर कोई जातिवाद के साथ खड़ा है और ये कहना गलत नहीं होगा क्योंकि इस बार गुजरात एक चुनावी अखाड़ा कम और एक जातिगत लड़ाई का मैदान ज्यादा लग रहा है. पर इस बार कुछ अलग भी हो रहा है... अलग ये कि हर बार मुस्लिम वोटरों के साथ दिखती कांग्रेस इस बार बीजेपी और मुसलमान वाले मुद्दे से कोसों दूर दिख रही है. इस बार गुजरात दंगों की बात कहीं सामने नहीं है... तो क्या मुस्लिम गुजरात में मोदी के साथ हैं?

इस बात का उत्तर खोजने के लिए इस बार आईचौक.कॉम सबसे पहले सोशल मीडिया की तरफ मुड़ा. आखिर आज के दौर में सबसे पहले सोशल मीडिया ही आता है किसी की राय जानने के लिए. इसपर जब अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सर्च किया गया तो जबाव कुछ ऐसा मिला...

Quora

इस वेबसाइट पर पहले से ही ऐसा सवाल किसी ने पूछ रखा था. इस टॉपिक से जुड़े दो सवाल थे.. दोनों को मिलाकर करीब 8 उत्तर और इनमें से सिर्फ एक ही मोदी के विरोध में था.

मुस्लिम, गुजरात, नरेंद्र मोदी, गुजरात चुनावQuora वेबसाइट का स्क्रीन शॉट

यूट्यूब...

ट्विटर...

 

 

 

हालांकि, इसके अलावा भी कई ऐसे लोग मिले जो ट्विटर पर, यूट्यूब पर या Quora जैसी वेबसाइट पर मोदी का विरोध कर रहे थे और उनके दिमाग में अभी भी 2002 के गुजरात दंगों की बात थी. सोशल मीडिया पर जो लोग भाजपा की तरफदारी कर रहे हैं या यूट्यूब पर जो वीडियो है उसकी सत्यता का भी पूरी गणना नहीं की जा सकती. फिर भी अभी सवाल वहीं का वहीं रहा... आखिर क्यों मुस्लिम बहुल 25 सीटों में से भी भाजपा के पास 17 हैं और आखिर क्यों भाजपा के साथ हैं गुजरात के मुसलमान... क्या वाकई ये साथ हैं या फिर किसी कारण से भाजपा को वोट दिया जा रहा है? अब इसके पीछे कुछ तर्क सामने आते हैं....

गुजरात में मुस्लिम वोटों की अहमियत...

गुजरात में करीब 9 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. 182 सीटों में से 25 मुस्लिम बहुल इलाकों की हैं. गुजरात में ये 9% वोट काफी अहमियत रखते हैं.

गुजरात में इस समय पाटीदार, दलित और ओबीसी भाजपा के विरोध में हैं तो भाजपा मुसलमानों को साधने के लिए पूरी मुमकिन कोशिश कर रही है. शायद यही वजह है कि मुस्लिम वोटरों को खुश करने के लिए मुस्लिमों के नाम पर हाउसिंग सोसाइटी बनाई गई है. अहमदाबाद में दारा शिकोह अपार्टमेंट और वीर अब्दुल हमीद अपार्टमेंट रखे गए हैं.

मुस्लिम, गुजरात, नरेंद्र मोदी, गुजरात चुनाव

2007 के बाद से मुस्लिमों ने चुनावी दौर में भाजपा पर भरोसा करना शुरू किया. 2012 के विधानसभा चुनाव में मुसलमानों के करीब 20 फीसदी वोट भजपा को ही मिले. इसी कारण 25 में से 17 मुस्लिम बहुल सीटें भाजपा की झोली में आई.

मोदी ने बढ़ाया गुजरात का हज कोटा...

हज यात्रा पर जाने वाले मुस्लिमों के सबसे ज्यादा आवेदन गुजरात से आते हैं. 2014 से पहले गुजरात का कोटा महज 4 हजार था. गुजरात हज कमेटी के चेयरमैन ने कई बार यूपीए सरकार से गुजरात का कोटा बढ़ाने का मांग किया, लेकिन सरकार ने नहीं बढ़ाया. 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो गुजरात के हज यात्रियों का कोटा हर साल बढ़ाया. पिछले तीन सालों में ये कोटा 4 हजार से बढ़कर 15 हजार पहुंच गया है.

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष सूफी महबूब अली चिस्ती ने इतना भी कहा कि गुजरात 2002 के बाद दंगा मुक्त बन गया है. जब तक कांग्रेस की सरकार रही तब तक हर साल दंगे होते थे. भाजपा ने गुजरात को दंगा मुक्त बनाया है.

इसके अलावा, भी सूफी जी का कहना है कि गुजरात में मुसलमानों के लिए भाजपा ने काफी कुछ किया है. सूफी महबूब अली चिस्ती ने बताया कि गुजरात अल्पसंख्यक विकास वित्त निगम को अटल बिहारी बाजपेयी सरकार के दौरान 60 हजार करोड़ कर्ज दिया था. इसके बाद यूपीए सरकार से मदद मांगी जाती रही लेकिन उन्होंने नहीं दिया और कहा था कि पहले जो धन कर्ज लिया गया है उसका 32 करोड़ ब्याज गुजरात अदा करे. मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही ब्याज को माफ किया और 20 हजार करोड़ रुपये अलॉट किया है. इसके चलते 100 मुस्लिम छात्रों को MBBS, इंजीनियरिंग, मैनेमेंट की पढ़ाई के लिए विदेश भेजा गया है.

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जफ़र सरेशवाला...

मोदी के सपोर्टर माने जाने वाले जफ़र सरेशवाला के इंटरव्यू ने भी काफी हद तक मोदी की छवि बनाने का काम किया. एक मुस्लिम एक्टिविस्ट और गुजराती बिजनेसमैन जिसने 2002 दंगों के बाद पहली बार मोदी से बातचीत करने की सोची और यह किया भी. मुस्लिम समुदाय का कोई इंसान इस हद तक मोदी की तारीफ करे और उसके सपोर्ट में आए इसके बाद मोदी की छवि सुधरती ही चली गई.

तो इन सब बातों से क्या सामने आता है? मोदी के सपोर्ट में इस बार किसी न किसी तरह से मुस्लिम वोटर हैं. शायद यही कारण है कि इस बार कांग्रेस मोदी को नहीं घेर रही है मुसलमानों के नाम पर. वैसे इस बार अपने गढ़ गुजरात को बचाने के लिए मोदी को यकीनन मुस्लिम वोटों की जरूरत पड़नी ही है.

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