New

होम -> सियासत

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 22 अगस्त, 2022 02:20 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
  • Total Shares

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने न्यूयॉर्क टाइम्स का एक लेख ट्वीट किया. अरविंद केजरीवाल ने इस लेख के साथ दावा किया कि 'दिल्ली ने भारत को गर्वित किया है. अमेरिका के सबसे बड़े अखबार के फ्रंट पेज पर दिल्ली के शिक्षा मॉडल छपा है. मनीष सिसोदिया स्वतंत्र भारत के सबसे बेहतरीन शिक्षा मंत्री हैं.' ये ट्वीट उस दौरान किया गया था, जब दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर पर सीबीआई की छापेमारी चल रही थी. इसके कुछ घंटों बाद जारी किए गए एक वीडियो में अरविंद केजरीवाल ने इसी लेख के बाबत दावा किया कि 'इस खबर के छपने का मतलब है कि मनीष सिसोदिया न केवल दिल्ली के, भारत में बल्कि पूरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मंत्री हैं.'

इस दौरान आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया के घर पर दिल्ली का आबकारी नीति में हुए भ्रष्टाचार को लेकर छापेमारी जारी रही. और, अरविंद केजरीवाल से लेकर आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, राघव चड्ढा जैसे सभी बड़े नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मनीष सिसोदिया का बचाव करते नजर आए. लेकिन, किसी ने भी दिल्ली की आबकारी नीति को लेकर कुछ नहीं कहा. और, सभी ने दिल्ली के शिक्षा मॉडल को ही आगे रखते हुए मनीष सिसोदिया को आम आदमी पार्टी की ओर से 'क्लीन चिट' थमा दी. हालांकि, कुछ ही देर बाद भाजपा ने न्यूयॉर्क टाइम्स के इस लेख को विज्ञापन घोषित कर दिया. भाजपा सांसद प्रवेश सिंह वर्मा ने एक वीडियो क्लिप साझा की. जिसमें अरविंद केजरीवाल के मुंह से भी गलती से निकल गया था कि न्यूयॉर्क टाइम्स में खबर छपवाना बड़ा मुश्किल होता है.

वैसे, ये चौंकाने वाली बात ही कही जा सकती है कि मनीष सिसोदिया के घर पर दिल्ली की शराब नीति में सामने आई खामियों को लेकर सीबीआई की छापेमारी चल रही हो. और, अरविंद केजरीवाल उसकी तुलना दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था से कर सिसोदिया को बचाने की जुगत भिड़ा रहे हों. खैर, न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी खबर को भाजपा ने घोटाला करार दिया है. क्योंकि, दावा किया जा रहा है कि इसमें इस्तेमाल की गई तस्वीरें किसी प्राइवेट स्कूल हैं. और, ऐसी ही खबर दुबई के खलीज टाइम्स अखबार में भी छपी है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि कहीं दिल्ली के शिक्षा मंत्री सिसोदिया को आबकारी विभाग देने के पीछे भी तो कोई 'घोटाला' नहीं है!

Delhi Manish Sisodia Liquor Arvind Kejriwalअरविंद केजरीवाल अब 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देने में सबसे आगे नजर आने की कोशिश में लगे हैं,

सिसोदिया के पास सारे विभाग छवि सुधारने वाले, तो क्यों दिया आबकारी विभाग?

आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार में मनीष सिसोदिया को हमेशा से ही एक बेहतरीन शिक्षा मंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया गया है. देश-विदेश तक में दिल्ली के शिक्षा मॉडल की जब भी चर्चा छिड़ती है. तो, मनीष सिसोदिया ही दिल्ली की शिक्षा नीति पर आंकड़ों और दावों के साथ फ्रंटफुट पर बैटिंग करते नजर आते हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो सियासी दावों के हिसाब से सिसोदिया बेहतरीन शिक्षा मंत्री नजर भी आते हैं. वहीं, शिक्षा विभाग के अलावा मनीष सिसोदिया के पास 18 विभागों की जिम्मेदारी है. जिसमें वित्त, रोजगार, जल जैसे विभाग शामिल हैं. और, इनमें से सभी विभाग ऐसे हैं, जो दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की छवि के साथ ही सिसोदिया की छवि को भी चमकाते हैं.

लेकिन, यहां अहम सवाल ये खड़ा होता है कि जिन मनीष सिसोदिया के पास शिक्षा और रोजगार जैसा विभाग हो. जिसमें उन्हें बच्चों के विकास से लेकर भविष्य के सपनों तक को पूरा करने की प्लानिंग करनी होती हो. वहां उनके खाते में अरविंद केजरीवाल ने आबकारी जैसा विभाग क्यों डाल दिया? क्योंकि, आबकारी नीति बनाने वाले मंत्री का तो इकलौता काम किसी भी हालत में सरकार को शराब के जरिये फायदा यानी राजस्व दिलवाना ही होता है. वैसे, मनीष सिसोदिया इस मामले में भी आगे ही रहे. क्योंकि, उनकी लाई शराब नीति से केजरीवाल सरकार का राजस्व ही बढ़ा था. लेकिन, केजरीवाल के नेतृत्व में तो ये काम कोई भी कर सकता था.

वहीं, जब आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की पार्टी के 62 विधायक हों. तो, ये मौका किसी और को भी आसानी से दिया जा सकता था. ये अलग बात है कि मनीष सिसोदिया को अरविंद केजरीवाल का सबसे भरोसेमंद साथी माना जाता है. लेकिन, सवाल अगर भरोसे का है. तो, फिर अरविंद केजरीवाल अपने 62 विधायकों को किस हिसाब से साफ-सुथरी छवि का होने की क्लीन चिट बांटते रहते हैं. जब सभी विभागों के फैसले उन्हें ही लेने हैं, तो एक विधायक को मंत्री का दर्जा तो दे ही सकते थे. और, अगर किसी नए विधायक को मौका न देने का मन हो, तो केजरीवाल सरकार में पांच मंत्री और भी हैं.

आखिर केजरीवाल ने अपने पास क्यों नहीं रखा कोई विभाग?

वैसे, AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल भले ही दिल्ली के सीएम हों. लेकिन, उन्होंने अपने पास दिल्ली सरकार से जुड़ा कोई विभाग नहीं रखा है. यानी केजरीवाल ने सरकार की लगाम अपने हाथ में ले रखी है. और, सारा काम अपने मंत्रियों पर ही डाल दिया है. हालांकि, इसके पीछे सबसे बड़ी वजह अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक महत्वाकांक्षा ही नजर आती है. क्योंकि, उन्हें आम आदमी पार्टी का पूरे देश में ही विस्तार करना है. तो, वह दिल्ली सरकार के काम-काज में शायद खुद को बांधकर न रखना चाहते हों. शायद इसी लिए केजरीवाल ने पंजाब के नए-नवेले सीएम भगवंत मान के ऊपर सुपर सीएम के तौर पर राघव चड्ढा को बैठा दिया है. जिससे केजरीवाल अपने साथ भगवंत मान का इस्तेमाल आगामी चुनावों में प्रचार के दौरान खुलकर कर सकें. और, इसकी वजह से पंजाब के काम-काज पर भी कोई असर न पड़े.

लेकिन, देखा जाए, तो अरविंद केजरीवाल ने अपने खाते में कोई विभाग न डालकर खुद को साफ-सुथरी छवि का बनाए रखने का खेल बहुत करीने से खेला है. तभी तो जितेन्द्र तोमर से लेकर सत्येंद्र जैन तक हर मामले में अरविंद केजरीवाल खुद को साफ बचा ले जाते हैं. कुछ ऐसा ही हाल मनीष सिसोदिया का भी हुआ है. अरविंद केजरीवाल से मिले आदेशों को उनके मंत्री बिना किसी ना-नुकुर के लागू कर देते हैं. और, फंसने वाली स्थिति पैदा होने पर सारा दारोमदार भी उन्हीं मंत्रियों पर आ जाता है. मनीष सिसोदिया इसके सबसे ताजा उदाहरण हैं. हाल ही में उठे रोहिंग्या मामले में भी आम आदमी पार्टी की सरकार अपने ही अधिकारियों द्वारा की गई बैठकों से अनभिज्ञ रही. लिखी सी बात है कि एक शख्स के खाते में 18 विभाग होंगे, तो वो कितनी चीजें को ध्यान में रख पाएगा?

2024 के लिए हो रहे हवन में 'समिधा' तो नहीं बन गए सिसोदिया

मनीष सिसोदिया के घर चल रही सीबीआई की छापेमारी के बीच अरविंद केजरीवाल का वीडियो तो आया था. लेकिन, उसमें अरविंद केजरीवाल शुरुआती कुछ मिनटों के बाद ही देश को नंबर वन बनाने वाले अपने कार्यक्रम की ब्रांडिंग में ही जुट गए. और, इसके लिए केजरीवाल ने बाकायदा एक सदस्यता अभियान चलाने का ऐलान करते हुए टोल फ्री नंबर की घोषणा भी कर डाली. लेकिन, इस पूरे वीडियो में मनीष सिसोदिया की वकालत के लिए केजरीवाल के पास केवल एक ही मिनट रहा. जबकि, दो महीने से ज्यादा समय से जेल में बंद सत्येंद्र जैन का भी केवल नाम लेकर केजरीवाल अपने दायित्वों की इतिश्री कर ली. वैसे, अरविंद केजरीवाल इन दोनों ही नेताओं से जितनी पब्लिसिटी मिल सकती है. वो लेने की कोशिश जरूर करेंगे. लेकिन, इन सबके बीच यही लग रहा है कि 2024 के लिए हो रहे केजरीवाल के हवन में सिसोदिया कहीं 'समिधा' तो नहीं बन गए.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय