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Updated: 05 अप्रिल, 2018 08:27 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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अरविंद केजरीवाल की मुहिम-ए-माफी अभी जारी है. माफीनामे से केजरीवाल को फायदे भी हो रहे हैं और नुकसान भी. नुकसान ये हो रहा है कि आम आदमी पार्टी में कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलनी पड़ रही है. पार्टी टूट की कगार पर पहुंच जा रही है. माफीनामे से पहला फायदा मुकदमे से रोज रोज होने वाली फजीहत से निजात तो है ही, साइड इफेक्ट लगे हाथ सियासी विरोधियों को भी परेशान कर रहा है. अरुण जेटली मानहानि केस में केजरीवाल और उनके तीन साथियों ने तो माफी मांग ली, कुमार विश्वास को अकेले जूझने के लिए छोड़ दिया.

इस बीच दिल्ली में राशन घोटाला उजागर हुआ है. खुद केजरीवाल ने सीएजी की रिपोर्ट की कॉपी के साथ ट्वीट कर कहा है कि दोषी बख्शे नहीं जाएंगे, लेकिन इतने भर से काम नहीं चलने वाला.

केजरीवाल राज में भ्रष्टाचार!

केजरीवाल राज में भ्रष्टाचार - ये लाइन सुनने और पढ़ने में ही कितना अजीब लगती है. जिस किसी को भी केजरीवाल की इमानदारी और उनकी इमेज पर हद से ज्यादा भरोसा रहा हो, राशन घोटाले की बात सुन कर वो कितना दुखी हुआ होगा, बस अंदाजा लगाया जा सकता है. ये तो माना जा सकता है कि राजनीति में अनुभव नहीं होने के कारण केजरीवाल की सरकार से गलतियां हो सकती हैं, लेकिन ये बात गले के नीचे कैसे उतरेगी कि भ्रष्टाचार रोकने में भी केजरीवाल और उनकी टीम के पास कोर्ई अनुभव नहीं है. बात बात पर इनकम टैक्स बैकग्राउंट की दुहाई देने वाले केजरीवाल से आखिर इतनी बड़ी चूक कैसे हो गयी, समझना काफी मुश्किल हो रहा है.

arvind kejriwal'भई माफ करना...'

बाकी सब तो ठीक है, केजरीवाल के शासन में कोई घोटाला हो पाएगा कभी ऐसा नहीं लगता था. मगर, जिस सीएजी के खुलासे से इस देश में भ्रष्टाचार के तमाम मामले सामने आये उसी ने केजरीवाल सरकार में राशन घोटाले को सामने लाया है.

ये ठीक है कि अरविंद केजरीवाल ने खुद सीएजी रिपोर्ट को ट्वीट दोषियों बख्शे नहीं जाने की बात कही है, लेकिन सवाल तो ये है कि ऐसा हुआ ही क्यों? दिल्ली में कोई काम नहीं हुआ तो उसके लिए केंद्र की मोदी सरकार और उपराज्यपाल जिम्मेदार बताये जाते हैं. अपराध होने पर कहा जाता है कि दिल्ली पुलिस केंद्र के अधीन है इसलिए दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी नहीं बनती. ये तो बिलकुल केजरीवाल सरकार के नाक तले हुआ है.

अगर केजरीवाल दावे के साथ कहते हैं कि दोषी बख्शे नहीं जाएंगे, इसका मतलब कि जो कुछ हुआ वो उनके अधीन हुआ है. मतलब वो चाहते तो भ्रष्टाचार रुक सकता था. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले को इतना तो पता ही होता है कि कहां कहां लूप होल हैं - और वो चाहे तो वहां चेक प्वाइंट बना सकता है - लेकिन केजरीवाल सरकार ने ऐसा क्यों नहीं किया?

एक माफी तो और बनती है

ये केजरीवाल ही हैं जिन्होंने बिक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग माफिया होने का इल्जाम लगाया - और बाद में यू टर्न लेते हुए माफी मांग ली. माफीनामे पर जायें तो लगता है कि केजरीवाल ने मजीठिया पर झूठा आरोप लगाया. माफीनामे की शब्दावली बताती है कि केजरीवाल ने जो कुछ भी कहा था वो सच नहीं था. तो फिर जो सच नहीं होता उसे कहते क्या हैं? झूठ ही ना.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल के मामले में भी केजरीवाल अपनी बात से पीछे हट गये. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तो मानहानि की रकम भी डबल कर दी थी जब उन्हें मालूम हुआ कि वकील को CROOK कहने के लिए उन्होंने कहा था. बहरहाल, ये सब तो अब बीते दिनों की बात मानी जाएगी. शीला दीक्षित केस में सुनवाई बाकी है - और जब अपनी बात से पीछे ही हटना है तो केस भी देर सवेर खत्म हो जाएगा ही, मान कर चला जा सकता है.

arvind kejriwal, arun jaitleyमाफीनामे का सिलसिला...

ये केजरीवाल ही रहे जो देश की संसद में बैठे लोगों को हत्यारा, बलात्कारी और डकैत बताते रहे. ये केजरीवाल ही रहे जो सीएजी द्वारा घोटालों के उजागर होने पर शोर मचाते रहे. ये केजरीवाल ही हैं जो उन नेताओं से दूरी बनाकर रखते हैं जिन पर भ्रष्टाचार के वो खुद आरोप लगा चुके हैं या उन्हें उनके भ्रष्ट होने का शक है या भ्रष्टाचार के मामलों में उन्हें सजा हो चुकी है - लालू प्रसाद भी उनमें से एक हैं.

नीतीश कुमार के शपथग्रहण के मौके पर लालू प्रसाद से केजरीवाल के गले मिलते तस्वीर वायरल हुई तो वो सफाई देने लगे. केजरीवाल ने समझाया कि वो लालू से गले नहीं मिल रहे थे, बल्कि लालू ने उनका हाथ खींचा और खुद गले पड़ गये.

राशन घोटाले के बारे में भी जो विवरण सामने आ रहे हैं वे चारा घोटाले जैसे ही लगते हैं. जिस तरह से सामानों की ढुलाई और खपत राशन घोटाले में नजर आ रही है, चारा घोटाले में भी तो काफी कुछ वैसा ही हुआ था.

ऐसा भी नहीं है कि इस घोटाले से केजरीवाल की छवि को लेकर किसी के मन में सवाल खड़े होने लगेंगे. याद कीजिए जब आम आदमी पार्टी नेता कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर एक करोड़ रुपये की रिश्वत का आरोप लगाया तो किसी को भी यकीन नहीं हुआ. न तो कपिल मिश्रा की तरफदारी करने की तोहमत झेलने वाले कुमार विश्वास को - और न ही बेआबरू कर कभी आप से बेदखल कर दिये गये योगेंद्र यादव को ही.

यहां तक कि अन्ना हजारे ने भी जब हाल फिलहाल केजरीवाल को भ्रष्ट बता दिया तो लगा वो गुस्से में कह रहे होंगे या फिर उनकी उम्र हो चली. खुद पर भगोड़ा होने का इल्जाम लगने पर अपनी '49 दिन की सरकार' के लिए माफी मांगने वाले केजरीवाल की ये मुहिम यहीं नहीं खत्म होने वाली - मानहानि करने वालों से माफी मांग रहे केजरीवाल से एक माफी तो राशन घोटाले के लिए भी बनती ही है. है कि नहीं?

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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