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Updated: 24 मार्च, 2018 12:47 PM
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फिलहाल माफी मांगने के दो मामले सबसे ज्यादा चर्चित हैं. एक, मार्क जकरबर्ग का सॉरी कहना - और दूसरा, अरविंद केजरीवाल का माफीनामा. जकरबर्ग ने फेसबुक यूजर डाटा चोरी होने को लेकर माफी मांगी है, तो केजरीवाल ने अपने विरोधियों पर झूठा इल्जाम लगाने को लेकर.

देखा जाये तो जकरबर्ग और केजरीवाल तब तक अपनी बात पर अड़े रहे जब तक कि बुरी तरह घिर नहीं गये. खास बात ये भी है कि दोनों ही ने अपनी अपनी माफी के पीछे जो तर्क दिये हैं वे भी हद से ज्यादा पॉलिटिकल हैं. जाहिर है, आसानी से हजम तो होंगे नहीं.

मार्क जकरबर्ग की माफी

जकरबर्ग को आखिरकार मानना पड़ा है कि फेसबुक की तरफ से गलती हुई है. वो ये भी मानते हैं कि ये गलती काफी पहले ही दुरूस्त की जानी चाहिये थी. मार्क जकरबर्ग का तो यहां तक कहना रहा, 'यूजर डेटा को बचाने की जिम्मेदारी हमारी है और अगर हम ऐसा नहीं कर सकते तो हम आपके लायक नहीं हैं.'

mark zuckerberg"हमारी गलती, हमी सुधारेंगे..."

बहुत देर बाद चुप्पी तोड़ते हुए जकरबर्ग ने अपनी पोस्ट में कहा, 'मैंने जिन्हें भी ठेस पहुंचाई है... मैं उनसे माफी मांगता हूं. मैं और बेहतर बनने की कोशिश करूंगा. मेरे काम का इस्तेमाल लोगों में फूट डालने के लिए किया गया... उसके लिए मैं माफी चाहता हूं.'

जकरबर्ग ने डेटा लीक को लेकर माफी तो मांग ली है, लेकिन लगता नहीं कि फेसबुक का जो बिजनेस मॉडल है उसमें कोई खास सुधार हो पाएगा. ये खतरा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा, जकरबर्ग की बातों से इस बात का भरोसा भी नहीं मिलता. अपने इंटरव्यू में जकरबर्ग ने जो बातें कहीं उससे ये साफ नहीं हुआ कि फेसबुक को रेग्युलेट करने को लेकर क्या सोच रहे हैं.

केजरीवाल की माफी

जहां तक केजरीवाल की बात है केस शुरू होने से पहले नोटिस तो उन्हें मिला ही होगा. नोटिस में भी माफी मांग लेने की सलाह दी जाती है. तब केजरीवाल के तेवर बिलकुल अलग थे. तब वो मुकदमे लड़ने के प्रति तत्परता दिखाया करते थे. ये उन दिनों की बात है जब कोर्ट में हाजिर होकर केजरीवाल जमानत लेने से भी इंकार करते रहे.

केजरीवाल के साथियों की ओर से दलील दी गयी है कि माफी मांगने का फैसला वक्त की बर्बादी रोकने के लिए किया गया है. जब केजरीवाल को व्यक्तिगत पेशी से छूट मिली है फिर ये बात कहां तक तर्कसंगत समझी जाये.

arvind kejriwalआखिरी रास्ता माफी तो है ही...

माफीनामे को लेकर एक और चर्चा है कि इस बहाने वो चुनावों से पहले अपनी छवि सुधारना चाहते हैं. तो क्या मुख्यमंत्री की मौजूदगी में दिल्ली के मुख्य सचिव की कथित तौर पर हुई पिटाई से केजरीवाल की छवि पर कोई फर्क नहीं पड़ा? क्या केजरीवाल दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से भी कभी मांगेंगे?

ऐसे माफीनामे का क्या मतलब

केजरीवाल और जकरबर्ग के माफी मांगने का तौर तरीका बिलकुल एक जैसा है. केजरीवाल ने भी तब तक ऐसा कुछ नहीं किया जब तक कि रास्ते खुले नजर आते रहे. जकरबर्ग भी तब तक चुपचाप बैठे रहे जब तक कि रास्ते बंद न हो गये.

जब 2016 के अमेरिकी चुनावों में फेसबुक के असर डालने की बात चली तो, जकरबर्ग ने साफ तौर पर इंकार करते हुए इसे मूर्खतापूर्ण बताने की कोशिश की. बवाल थोड़ा बढ़ने जैसा लगा तो बोले कि ये सब डेटा उल्लंघन के दायरे में नहीं आता.

जकरबर्ग अब जाकर भारत के आम चुनाव को लेकर फिक्रमंद जताने की कोशिश कर रहे हैं. फिक्र भी उन्हें तब होने लगी जब भारत सरकार ने कड़े कदम उठाने की बात कही. जकरबर्ग जानते हैं कि भारत उनके लिए कितना बड़ा बाजार है. फेसबुक पर पूरी दुनिया के 10 फीसदी लोग भारत से हैं. जकरबर्ग के चिंता दिखाने की वजह भी यही है.

एक तरफ जकरबर्ग की टीम ने डेटा सुरक्षा के उल्लंघन से इंकार किया और दूसरी तरफ ये पूरा मामला सामने लाने वाले कैम्ब्रिज एनालिटिका क्रिस्टोफर विली का अकाउंट भी सस्पेंड कर दिया. एक इंटरव्यू में विली ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, 'मैं फेसबुक पर हमला करने नहीं निकला था... फेसबुक ने अविश्वसनीय तरीके से असहयोगपूर्ण रवैया अख्तियार किया... इस खुलासे का इस्तेमाल अपनेआप में सुधार लाने के लिए नहीं किया... बल्कि सेल्फ गोल कर लिया."

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