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Updated: 27 मार्च, 2018 09:09 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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भारत-पाकिस्तान की सीमा और उस पर तैनात जवान. कभी इधर से गोलियां चलती हैं तो कभी उधर से. दोनों ही देशों के सैनिक इसमें मारे जाते हैं. हवाला दिया जाता है युद्ध विराम के उल्लंघन का. सवाल ये है कि युद्ध विराम कैसा? भारत-पाकिस्तान के बीच जो युद्ध शुरू हुआ था वह थमा ही कब? बस हालात ऐसे हैं कि युद्ध धीरे-धीरे लड़ा जा रहा है. इसी बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बयान दिया है कि पाकिस्तान की हर गोली का जवाब बम से दिया जाएगा. अगर गौर किया जाए तो और रास्ता भी क्या है. जब हालत युद्ध जैसी ही है तो ऐसे में गोली का जवाब बम से देना ही एकमात्र विकल्प बचता है. लेकिन सवाल ये भी है कि सीमा पर हो रहे इस युद्ध में आखिर जीत कौन रहा है? भारत? या पाकिस्तान?

एलओसी, भारत, पाकिस्तान, भारतीय सेना, शहीद, युद्ध विराम उल्लंघन

एलओसी की अपनी एक अलग ही जिंदगी है

भारतीय सेना के पूर्व उत्तरी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा के अनुसार जहां एक ओर एलओसी पर भारत-पाकिस्तान के सैनिक आमने सामने खड़े हैं, वहीं दूसरी ओर एलओसी की अपनी एक अलग ही जिंदगी है. जब सब कुछ ठीक रहता है तो सैनिक आसानी से गश्त लगाते हैं, सभी पोस्ट पर खाने-पीने की चीजें और जरूरी सामान पहुंचाए जाते हैं, वहां रहने वाले लोग खेती करते हैं और बच्चे स्कूल जाते हैं. लेकिन जब एलओसी पर तनाव बढ़ता है तो सभी चीजें मानो रुक सी जाती हैं. पोस्ट से सामान वापस लाया जाता है, सैनिकों को बेस की ओर वापस आने के आदेश दिए जाते हैं, गांव वीरान हो जाते हैं और स्कूल बंद हो जाते हैं.

हेमराज का सिर काटने से बिगड़ा मामला

लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा मानते हैं कि 8 जनवरी 2013 से पहले स्थिति इतनी खराब नहीं थी, लेकिन जब हेमराज का सिर कटा शव मिला तो पूरे देश और सेना में एक गुस्सा दिखाई देने लगा. अभी इस घटना के जख्म भरे भी नहीं थे कि अगस्त 2013 में फिर से 5 भारतीय सैनिकों की हत्या की गई और उनके शव को क्षत विक्षत कर दिया गया. इसके बाद से ही सीमा पर भारी गोलीबारी देखी जा रही है. इस समय सेना को जवाबी कार्रवाई करने की आजादी दी गई है. और ऐसा करना बहुत ही जरूरी भी है. एलओसी पर करीब 400 आतंकी भारत में घुसने की फिराक में हैं, जिन्हें मुंहतोड़ जवाब देने के लिए ऐसे कदम उठाना बेहद जरूरी है.

आंकड़े दिखाते हैं खतरनाक तस्वीर

सीमा पर आए दिन एक दूसरे के सैनिकों को मौत के घाट उतारने का ये खेल भारत और पाकिस्तान दोनों को ही बहुत महंगा पड़ रहा है. अगर सिर्फ 2017 की बात की जाए तो 138 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया गया है. करीब 155 पाकिस्तानी सैनिक घायल भी हुए हैं. भारत में भी हाल कुछ ऐसा ही है. 2017 में करीब 28 भारतीय सैनिक शहीद हो गए. इसके अलावा करीब 70 जवान जख्मी भी हुए हैं. सिर्फ 2018 में अभी तक करीब 20 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा जा चुका है, तो वहीं 7 भारतीय सैनिक भी शहीद हो गए हैं. इन सैनिकों के घर में पसरा मातम ये बताने के लिए काफी है कि पाकिस्तान का नुकसान हो ना हो, लेकिन भारत को इससे बहुत नुकसान हो रहा है.

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गोलीबारी की घटनाएं भी होश उड़ाने वाली

भारतीय सेना का आरोप है कि 2017 में पाकिस्तान ने कुल 860 बार युद्ध विराम का उल्लंघन किया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि नवंबर 2003 में युद्ध विराम के समझौते के बाद ये सबसे बड़ा आंकड़ा है. 2016 में 449 बार गोलीबारी हुई और 2015 में 405 बार. अब जरा पाकिस्तान की भी सुन लीजिए. पाकिस्तान के अनुसार भारतीय सैनिकों ने 2017 में 1900 से भी अधिक बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया. आरोप-प्रत्यारोप के बीच ये तो बताना बहुत मुश्किल है कि गलती या गलतफहमी किस तरफ से हो रही है.

एलओसी पर पाकिस्तान को हैं ये फायदे

पाकिस्तान को सबसे बड़ा फायदा ये है कि उनके पास आतंकी संगठन हैं, जिन्हें भारतीय सीमा में घुसाकर भारत को नुकसान पहुंचाया जा सकता है. साथ ही एलओसी का इलाका भी उन्हें छिपकर वार करने में खूब मदद करता है. इसके अलावा पाकिस्तान US TOW-2 एंटी टैंक मिसाइल और 120 मिमी. के भारी मोर्टार का भी इस्तेमाल करता है, जिससे राजौरी और पुंछ सेक्टर में भारतीय सेना के बंकरों को टारगेट किया जाता है.

इसके अलावा लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा के अनुसार बुरी से बुरी स्थिति में भी सैनिक कुछ बातों का खास ख्याल रखते हैं. कभी भी नागरिकों को टारगेट नहीं किया जाता है. हालांकि, पाकिस्तानी पोस्ट के बहुत अधिक नजदीक होने की वजह से कई बार गांव के लोगों को भी नुकसान पहुंच जाता है. कभी भी किसी एंबुलेंस पर गोलियां नहीं चलाई जाती हैं. कितनी भी अधिक गोलीबारी हो रही होती है, लेकिन गोलीबारी रोक कर पाकिस्तानी सेना को उनके घायल साथियों को बचाने का पूरा मौका दिया जाता है. जो सैनिक गलती से एलओसी पार कर जाते हैं, उन्हें तुरंत ही वापस भेज दिया जाता है.

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