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Updated: 21 जनवरी, 2023 09:24 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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विनेश फोगट, साक्षी मलिक, सुमित मलिक और बजरंग पुनिया जैसे प्रमुख भारतीय पहलवान दिल्ली के जंतर मंतर पर हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. बीते दिन ही पहलवान विनेश फोगट ने एक चौंकाने वाले खुलासे में आरोप लगाया था कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह वर्षों से महिला पहलवानों का यौन शोषण कर रहे थे. पहलवानों का ये भी आरोप था कि ने लखनऊ में राष्ट्रीय शिविर में कई कोचों ने महिला पहलवानों का शोषण किया, मामला क्योंकि अब खिलाड़ी बनाम ब्रज भूषण सिंह हो गया है, इसलिए सरकार ने खिलाड़ियों के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है. मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक ब्रज भूषण सिंह का नाम सुर्ख़ियों में है. तो आइये जानें कि आखीर ब्रज भूषण क्षरण सिंह हैं कौन? और आखिर कैसे वो देश के लिए अलग अलग प्रतिस्पर्धाओं में मेडल ला चुके अलग अलग खिलाड़ियों को चित करते हुए नजर आ रहे हैं.

 Wrestling Federation Of India, Braj Bhushan Sharan Singh, Wrestling, Vinesh Phogat, Sakshi Malik, Bajrang Punia, Anurag ThakurWFI चीफ ब्रजभूषण शरण सिंह का शुमार यूपी में भाजपा के बाहुबलियों में है

ब्रज भूषण शरण सिंह का पॉलिटिकल बैकग्राउंड

ब्रज भूषण सिंह भाजपा के सांसद हैं जो पिछले 11 सालों से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या ब्रज भूषण सिंह की उपलब्धियां इतनी ही हैं? क्या उन्हें बस इतने पर सीमित किया जा सकता है? जवाब है नहीं.

बृज भूषण सिंह मूलतः उत्तर प्रदेश से हैं और उनका शुमार सूबे के दबंग नेताओं में है. सिंह गोंडा के रहने वाले हैं और कैसरगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं. राम मनोहर लोहिया विश्व विद्यालय से पढ़ाई करने वाले ब्रज भूषण ने अपने छात्र जीवन से ही राजनीति की शुरुआत की थी.

इसलिए इनके विषय में माना यही जाता है कि ब्रज भूषण शरण राजनीति के बहुत मजबूत खिलाड़ी हैं. अब इसे इलाके में प्रभाव कहें या कुछ और 1991 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने जाने वाले बृज भूषण सिंह 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 में भी लोकसभा के लिए चुने गए.

भाजपा के लिए मजबूरी हैं ब्रजभूषण

अपनी स्टूडेंट लाइफ में पहलवान रह चुके ब्रजभूषण सिंह का पूर्वांचल में जैसा दबदबा है कह सकते हैं कि मौजूदा वक़्त में ये भाजपा के लिए एक कड़वी गोली की तरह हो गए हैं जिससे इंसान को फायदा तो मिल रहा है लेकिन वो यही चाहता है कि उसे जल्द से जल्द इससे निजात मिल जाए. ब्रजभूषण सिंह के बारे में खास ये है कि वो गोंडा के अलावा कैसरगंज और बलरामपुर से जीत दर्ज कर चुके हैं. ब्रजभूषण के बारे में रोचक ये है कि 5 बार भाजपा के और एक बार सपा के टिकट पर उन्होंने जीत दर्ज की है. ब्रजभूषण की पत्नी जहां गोंडा जिला पंचायत अध्यक्ष हैं तो वहीं इनके बेटे प्रतीक भूषण भी गोंडा सदर से भाजपा के विधायक हैं.

चार जिलों में प्रभाव

बात जिले में प्रभाव की हो तो ब्रजभूषण को कैसरगंज, गोंडा और बलरामपुर में अपनी दबंगई के लिए जाना जाता है. माना जाता है कि जैसा वर्चस्व प्रतापगढ़ में राजा भइया का है कुछ वैसा ही मिलता जुलता प्रभाव गोंडा और आसपास में ब्रज भूषण शरण सिंह का है. 90 के दशक में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों को शरण देने के मामले में ब्रज भूषण शरण सिंह पर टाडा के तहत मामला भी दर्ज हुआ था. बाद में उन्हें आरोपों से बरी कर दिया गया था. सिंह पर डकैती, हत्या के प्रयास समेत दंगा भड़काने के मामले भी पूर्व में दर्ज हो चुके हैं.

कुश्‍ती एसोसिएशन के पदाधिकारी ब्रजभूषण के साथ

भले ही खिलाड़ी पूरे कुश्‍ती एसोसिएशन मांग कर रहे हों, लेकिन यौन उत्पीड़न के जो भी आरोप लगे हैं वो सिर्फ ब्रज भूषण शरण सिंह पर लगे हैं. ऐसे में खिलाड़ी एक तरफ हो गए हैं जबकि WFI के झंडे तले ब्रज भूषण सिंह दूसरे छोर पर खड़े हैं. क्योंकि अब खिलाड़ियों द्वारा पूरी फेडरेशन को भांग करने की मांग की जा रही है तो लाजमी है कि कुश्‍ती एसोसिएशन के पदाधिकारी ब्रजभूषण के साथ आएंगे. भले ही इस साथ आने का उद्देश्य अपनी अपनी गद्दी बचाना हो.

कुश्‍ती के राज्‍य एसोसिएशन में दबदबा

ऐसा बिलकुल नहीं है कि ब्रजभूषण सिंह भारतीय कुश्ती महासंघ के लिए नए हों. बृज भूषण सिंह 2011 से ही कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं इसलिए इतना तो है कि एसोसिएशन में आज भी उनका दबदबा है. बाकी सोचने वाली बात ये है कि अगर उनका दबदबा न होता तो भारतीय कुश्ती महासंघ कभी भी अपने नियमों में जोकि उसने नवंबर 2021 बदले उन्हें नहीं बदलता. कह सकते हैं कि ये फेडरेशन में ब्रज भूषण शरण सिंह का दबदबा ही है जिसके चलते बड़े बड़े खिलाड़ी नए नियमों को मानने को बाध्य हुए, कह सकते हैं कि आज जो विवाद चल रहा है और जिस तरह खिलाड़ी उन्हें विरोध में उनके सम्मुख आए हैं एक बड़ी वजह नियम भी हैं.

पहलवानों से टकराव को हरियाणा बनाम अन्‍य राज्‍य बनाने की क्षमता

इस बात को समझने के लिए एक बार हमें 2021 में भारतीय कुश्ती महासंघ द्वारा बनाई गयी नयी पालिसी को देखना होगा. नए नियमों के मुताबिक ओलंपिक के लिए फाइनल टीम भेजने से पहले सभी खिलाड़ियों को ट्रायल से गुजरना पड़ सकता है, फिर चाहे खिलाड़ी ने ओलंपिक कोटा क्यों न हासिल किया हो. इसके पीछे की वजह बताते हुए फेडरेशन ने कहा था कि ओलंपिक कोटा हासिल करने के बाद कुछ खिलाड़ी चोटिल हो जाते हैं या फॉर्म में नहीं रहते और वो इस बात को छिपाकर ओलंपिक खेलने चले जाते हैं, जिससे मेडल की संभावनाएं कम हो जातीं हैं.

बाकी पूर्व में जैसा माहौल था हरियाणा की तरफ से हमेशा ही एक से अधिक टीमें आती थीं. ब्रज भूषण सिंह द्वारा बनाए नियमों के अनुसार अब एक ही टीम आती है. चूंकि फेडरेशन के फैसले से कुश्ती की दुनिया में हरियाणा की मोनोपॉली ख़त्म होते दिखाई दे रही है शरण इसी बात को मुद्दा बना रहे हैं और कह रहे हैं कि सिर्फ हरियाणां ही नहीं उनका उद्देश्य पूरे देश की कुश्ती को आगे लाना है. साफ़ है कि इस जुमले के बाद कहीं न कहीं उन्होंने पहलवानों से टकराव को हरियाणा बनाम अन्‍य राज्‍य कर दिया है. इसके अलावाजिस तरह कई पहलवान सिंह के समर्थन में आए हैं कई बातें खुद ब खुद साबित हो गयी हैं. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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