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Updated: 27 जनवरी, 2021 07:36 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर दो महीनों से ज्यादा समय से प्रदर्शन किया जा रहा था. गणतंत्र दिवस पर किसान संगठनों ने दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से ट्रैक्टर परेड निकालने की घोषणा की थी. लेकिन, गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में किसान संगठनों की ट्रैक्टर रैली ने हिंसक रूप ले लिया. दिल्ली में कई जगहों पर पुलिस और किसानों के बीच हुई हिंसक झड़प हुई. इस दौरान किसानों का एक समूह लाल किले तक पहुंच गया. इन्होंने लाल किले की प्राचीर पर सिख समुदाय का झंडा 'निशान साहिब' लगा दिया. लाल किले पर 'निशान साहिब' का झंडा लगाने वाले इस समूह में एक चर्चित चेहरा था दीप सिद्धू का. किसान संगठनों ने दिल्ली में हुए इस बवाल और हिंसा से किनारा करते हुए इसके लिए पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू को जिम्मेदार ठहरा दिया है. किसान संगठनों का कहना है कि दीप सिद्धू भाजपा से जुड़ा हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर सुबह से ही घूम रही हैं. दीप सिद्धू को लेकर तमाम दावे सोशल मीडिया समेत अन्य प्लेटफॉर्म पर किए जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि इन दावों की सच्चाई क्या है और दीप सिद्धू कौन है? आखिर किसान आंदोलन ने इतना वीभत्स रूप क्यों ले लिया?

बन गई थी अंग्रेजी बोलने वाले किसान की इमेज

दीप सिद्धू लोगों की नजरों में पहली बार तब आए, जब सोनीपत में एक पुलिस अधिकारी के साथ वो अंग्रेजी में बात की थी. किसानों के साथ खड़े दीप सिद्धू का ये वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था. इस वीडियो के सामने आने के बाद लोगों ने इस वीडियो पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी. किसान संगठनों के कई नेताओं ने उस वक्त दीप सिद्धू को हाथोंहाथ लिया था. सिद्धू के बचाव में कई किसान नेताओं ने बयान भी दिए थे.

फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाला ये तथाकथित किसान, अचानक से ही किसान आंदोलन के बड़े चेहरों में शामिल हो गया था. कृषि कानूनों के विरोध में अपनी आवाज उठाने वाला ये चेहरा किसान आंदोलन के साथ लंबे समय से जुड़ा रहा और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर किसानों से जुड़े मुद्दे उठाता रहा. इस दौरान कई मीडिया चैनलों ने दीप सिद्धू के इंटरव्यू किए थे.

भिंडरावाला को आतंकवादी नहीं मानता था दीप सिद्धू 

लाल किले पर सिख समुदाय से जुड़ा 'निशान साहिब' फहराने वाले समूह का नेतृत्व कर रहे दीप सिद्धू का एक अन्य इंटरव्यू भी काफी सुर्खियों में रहा था. इस इंटरव्यू के बाद दीप सिद्धू पर खालिस्तानी समर्थक होने का आरोप लगा था. हालांकि, उन्होंने खुद के खालिस्तान समर्थक होने के आरोपों का खंडन किया था. दरअसल, इस इंटरव्यू में दीप सिद्धू ने भारत से अलग होकर खालिस्तान देश बनाने की मांग करने वाले आतंकवादी जनरैल सिंह भिंडरावाला को एक क्रांतिकारी बताया था.

दीप सिद्धू ने उस इंटरव्यू में साफ तौर पर कहा था कि भिंडरावाला को इस देश की सरकार ने आतंकवादी की तरह लोगों के सामने पेश किया था. जनरैल सिंह भिंडरावाला आतंकी ना होकर एक मजबूत संघीय ढांचे की मांग करने वाला शख्स था. उन्होंने दावा किया था कि पंजाब में 80 से 90 फीसदी लोग भिंडरावाला को आतंकी नहीं मानते हैं. दीप सिद्धू ने कहा था कि किसान आंदोलन में कोई भी खालिस्तान की मांग करने वाला नहीं है. इस बयान के सामने आने के बाद किसान संयुक्त मोर्चा ने उनसे दूरी बना ली थी. बावजूद इसके दीप सिद्धू किसान आंदोलन के साथ जुड़े रहे थे.

भाजपा से जुड़े होने के आरोप पर कही थी ये बात

इस दौरान दीप सिद्धू पर भाजपा से जुड़े होने के आरोप भी लगे थे. दीप सिद्धू ने गुरदासपुर से भाजपा सांसद सनी देओल के पक्ष में प्रचार किया था. 2019 लोकसभा चुनाव में सिद्धू भाजपा सांसद सनी देओल के चुनाव प्रभारी रहे थे. हालांकि, इसे लेकर दीप सिद्धू ने कहा था कि वह फिल्म अभिनेता सनी देओल को प्रोफेशनल रूप से जानते हैं और इसी वजह से उन्होंने देओल का चुनाव प्रचार किया था. दीप सिद्धू ने कहा था कि मेरा भाजपा या किसी भी राजनीतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है. मैंने अपने व्यक्तिगत संबंधों की वजह से ही देओल का प्रचार किया था. उन्होंने कहा था कि सनी देओल भी अब भाजपा की नीतियों और विचारधारा का समर्थन कर रहे हैं. मैं इसके खिलाफ हूं.

 

गुरदासपुर के सांसद सनी देओल ने दीप सिद्धू से अपने रिश्ते ना होने की बात 6 दिसंबर को एक ट्वीट के जरिये कही थी. वहीं, गणतंत्र दिवस पर भड़की हिंसा में दीप सिद्धू का नाम आने के बाद सनी देओल ने फिर से ट्वीट कर कहा है कि मेरा या मेरे परिवार का दीप सिद्धू से कोई संबंध नहीं है.

लाल किले पर 'निशान साहिब' लगाना और खालिस्तान का मुद्दा

गणतंत्र दिवस पर लाल किले से 'निशान साहिब' का झंडा लगाने के दौरान दीप सिद्धू समेत कई वीडियो सोशल मीडिया पर आए थे. दीप सिद्धू ने अपने फेसबुक से एक लाइव वीडियो भी किया था. जिसमें उनका खालिस्तानी चेहरा खुलकर सामने आ गया था. वीडियो में 'राज करेगा खालसा' जैसे कई नारे लगाए जा रहे थे, जो आतंकी भिंडरावाला के खालिस्तान की मांग वाले आंदोलन का मुख्य हिस्सा रहे थे. वहीं, अन्य वीडियो में लाल किले पहुंचे किसानों का समूह कहता नजर आ रहा है कि कृषि कानून लागू करने वाली अराजक सरकार से हम आजादी दिलाने आए हैं. इस दौरान खालिस्तान समर्थक कई सोशल मीडिया अकाउंट पर दीप सिद्धू के लाइव वीडियो चलाए जा रहे थे.

 

निशान साहिब' लगाने की घटना का बचाव करते हुए दीप सिद्धू ने कहा कि किसानों ने राष्ट्रीय ध्वज को नहीं हटाया था. किसानों का विरोध दर्ज कराने के लिए 'निशान साहिब' को लगाया था. सिख समुदाय से जुड़ा प्रतीक 'निशान साहिब' लाल किले पर लगाने के कई मायने निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि दीप सिद्धू खालिस्तानी समर्थक रहा है और वह ऐसे ही किसी मौके की तलाश में था. माना जा रहा है कि दीप सिद्धू ने लाल किले पर 'निशान साहिब' लगाकर भिंडरावाला के खालसा के दिल्ली फतह करने के प्लान को ही पूरा किया है.

वामपंथी किसान संगठन का मिला साथ

किसान संगठनों द्वारा किसान आंदोलन से अलग किए जाने के बावजूद दीप सिद्धू पिछले कई महीनों से आंदोलन में नेतृत्व की भूमिका निभाने की कोशिश में लगा हुआ था. गणतंत्र दिवस पर होने वाली ट्रैक्टर परेड से एक दिन पहले दीप सिद्धू को वामपंथी विचार वाले भारती किसान यूनियन (क्रांतिकारी) का साथ मिल गया. इस दौरान इन सभी लोगों ने गणतंत्र दिवस की सुबह के लिए आउटर रिंग रोड पर होने वाली परेड से अलग अपना प्लान तैयार कर लिया था. इन लोगों ने किसान संगठनों की परेड निकलने से पहले ही अपना मार्च शुरू कर दिया. इन लोगों ने लाल किले की ओर जाने वाले रास्ते पर अपने लोगों को भी पहले से ही तैनात कर दिया था. इसके बाद ये सभी लोग दिल्ली पुलिस द्वारा स्वीकृत रूट की जगह लाल किले की ओर बढ़ गए.

कौन है दीप सिद्धू

दीप सिद्धू एक पंजाबी अभिनेता है. पंजाब के मुक्तसर में पैदा हुआ दीप सिद्धू किंगफिशर मॉडल हंट समेत कई मॉडलिंग प्रतियोगिताएं का हिस्सा रह चुका है. दीप सिद्धू लॉ की पढ़ाई कर कुछ समय तक वकालत के पेशे से भी जुड़ा रहा. अभिनेता के तौर पर उनकी पहली फिल्म 'रमता जोगी' थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में सिद्धू ने गुरदासपुर से भाजपा सांसद सनी देओल का चुनाव प्रचार किया था. किसान आंदोलन से जुड़ने के बाद से ही उन पर भाजपा का एजेंट होने से लेकर खालिस्तान समर्थक होने के आरोप लगते रहे, जिसे सिद्धू ने सिरे से नकार दिया.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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