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Updated: 28 अक्टूबर, 2017 03:26 PM
अभिनव राजवंश
अभिनव राजवंश
  @abhinaw.rajwansh
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गुजरात चुनाव का बिगुल बज चुका है, दिसंबर के दूसरे हफ्ते में गुजरात विधानसभा के चुनाव होने हैं. इन चुनावों में दोनों ही प्रमुख पार्टियां भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपना पूरा दम जोख रखा है. हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी जैसे युवा नेताओं के कांग्रेस की तरफ झुकाव से एक बात तो साफ़ लग रही है कि आने वाले विधानसभा चुनाव दो तरफ़ा ही होंगे. हालाँकि, इन चुनावों को त्रिकोणीय बनाने के लिए गुजरात चुनावों के एक मंझे हुए खिलाड़ी ताल ठोक रहें हैं. दो महीने पहले ही कांग्रेस को अलविदा कह चुके शंकर सींग वाघेला ने घोषणा की है उनकी जन विकल्प मोर्चा गुजरात विधानसभा चुनाव में ऑल इंडिया हिंदुस्तान कांग्रेस पार्टी के निशान ट्रैक्टर पर सभी 182 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

शंकर सिंह वाघेला

शंकर सिंह वाघेला जो अपने समर्थकों के बीच 'बापू' के नाम से भी जाने जाते हैं, वर्तमान दौर में गुजरात के सबसे अनुभवी राजनेताओं में से एक हैं. पांच बार लोकसभा सांसद, एक बार राज्य सभा सांसद, गुजरात के मुख्यमंत्री समेत पिछले 40 सालों में लगभग 5 पार्टियों से जुड़े रहें हैं. वाघेला ने अपने 40 साल की राजनीति में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही पार्टियों के साथ लगभग दो दो दशक बिताये हैं. अस्सी के दशक में जब बीजेपी का निर्माण हुआ तो वो गुजरात में बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में एक थे. मगर 1995 में मुख्यमंत्री न बन पाने के कारण उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली और बाद में कांग्रेस में उसका विलय कर दिया, और अब इसी साल कांग्रेस को भी अलविदा कह चुके हैं.

वाघेला के बारे में ऐसा कहा जाता है कि आज भारतीय जनता पार्टी गुजरात में जिस स्वरुप में है उसमें वाघेला का बहुत बड़ा हाथ है. यह वाघेला ही थे जिसके कारण कांग्रेस हरेक चुनावों में कम से कम एक तिहाई सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही है. वाघेला के बारे में यह कहा जाता है कि उनकी पकड़ पूरे प्रदेश में काफी अच्छी है. इसकी बानगी उस समय भी देखने को मिली थी जब वाघेला कांग्रेस छोड़ने के बाद गुजरात के बाढ़ प्रभावित इलाके बनासकांठा और पाटन गए थे, उस दौरान वाघेला के सभाओं में अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली थी.

वाघेला खुद राजपूत समुदाय के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं और अब तक इस समुदाय ने वाघेला का पूरा साथ भी दिया है. वाघेला उत्तर और मध्य गुजरात के क्षत्रिय समुदाय के बीच में अच्छी पकड़ रखते हैं, साथ ही वाघेला के उत्तर गुजरात के ठाकोर समुदाय के बीच भी समर्थक हैं. वाघेला अपने इसी वोट बैंक को बरक़रार रखने के लिए आने वाली फिल्म 'पद्मावती' के खिलाफ खुल कर खड़े हो गए हैं. आपको बता दें कि राजस्थान के राजपूत समुदाय ने फिल्म 'पद्मावती' का विरोध किया है, उनका आरोप है कि फिल्म राजपूतों के इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रही है. हालाँकि गुजरात के राजपूतों पर इसका कितना असर हो पायेगा यह कह पाना मुश्किल है. वाघेला अगड़ी जातियों को लुभाने के लिए अपने चुनावी वादों में गैर आरक्षित वर्ग को 25 फीसदी आरक्षण देने की भी बात कर रहे हैं. वाघेला कुछ ऐसा ही वादा पिछड़े समुदायों से भी कर रहे हैं, वाघेला ने कहा कि अगर उनकी सरकार आई तो अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये मौजूदा 27 फीसदी के आरक्षण में से 10 फीसदी सबसे पिछड़े समुदायों को दिया जायेगा.

हालाँकि, वाघेला के लिए सबसे बड़ी जो दिक्कत है वह यह है कि वह खुद 77 साल के हो चुके हैं, ऐसे में गुजरात कि जनता उनमें अपना भविष्य देखे ऐसा लगता नहीं. मगर राजनैतिक जानकार अभी भी मानते हैं कि वाघेला वर्तमान चुनावों में कम से कम 10-15 सीटों पर असर डाल सकते हैं. इसके अलावा वाघेला कई सीटों पर कांग्रेस को कुछ नुकसान दे सकते हैं. अभी गुजरात के जो परिदृश्य बन रहें हैं उसमें बीजेपी और कांग्रेस के बीच नजदीकी लड़ाई की गुंजाइस देखी जा रही है, और अगर चुनाव के नतीजे भी इसी तरह के आते हैं तो वाघेला कुछ सीटों के साथ भी गुजरात की राजनीति में अहम रोल अदा कर सकते हैं.

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अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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