New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 25 नवम्बर, 2016 06:15 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

ये सवाल खड़ा होने का मौका खुद अमर सिंह ने ही दे दिया है. अमर सिंह समाजवादी पार्टी के कोटे से राज्यसभा सांसद हैं लेकिन सीन में कहीं नहीं नजर आ रहे जबकि नोटबंदी पर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा मचा हुआ है. जिस दिन राम गोपाल यादव समाजवादी पार्टी का पक्ष रखते हैं उसके अगले दिन उनकी वापसी का लेटर मिलता है. क्या इन सब की जद में अमर सिंह भी कहीं हैं, या फिर पूरी तरह नेटवर्क से बाहर हैं?

फिर 'बाहरी' हो गये!

समाजवादी पार्टी में सब कुछ ठीक ठाक है ये दावा तो शायद ही कोई कर सके, लेकिन अब कम से कम ये दिखाने की कोशिश जरूर हो रही है. कुछ दिन पहले झगड़ा खुलेआम था. कल तक जो सरेआम हाथापाई पर उतर आ रहे थे - अब उनके पैर छूने और और आशीर्वाद के आदान प्रदान की खबरें आती हैं.

बाकी बातों के अलावा दो मुद्दों पर पेंच फंसा हुआ था - अखिलेश यादव चाचा राम गोपाल यादव की वापसी और अमर सिंह को दूर रखने की जिद पर अड़े हुए थे.

इसे भी पढ़ें: क्या अमर सिंह सिर्फ सात साल की सजा वाले अपराधों से ही बचाने में माहिर हैं?

चाचा राम गोपाल यादव तो पार्टी में वापस हो चुके हैं, हालांकि, बीच के राहुकाल को वो सिर्फ तकनीकी मामला ही मानते हैं. कहा भी है - 'मैं बाहर था ही कब?' लेकिन भूतपूर्व अंकल का कोई अता पता नहीं है.

बहरहाल, उसी राहुकाल में वो खुल कर अखिलेश के समर्थन में खड़े रहे, जिनमें नई पार्टी बनाने की तैयारियों तक की चर्चा रही. उसी दौर की बात है जब अमर सिंह ने उन्हें 'नपुंसक' बताने से लेकर उनसे अपने जीवन को खतरा तक बता डाला था - और टेलीविजन पर अपनी छोटी-छोटी बेटियों की दुहाई भी दी थी.

amar-mulayam_650_112516060912.jpg
दल में, दिल में या...

राम गोपाल पर अपनी प्रतिक्रिया में अमर सिंह ने ANI से कहा, "ये उनकी पार्टी है. वो अपनी इच्छा से किसी को कभी निष्कासित या वापस बुला सकते हैं." ये भी कहा कि अगर मुलायम का रामगोपाल पर भरोसा है तो वो उनके साथ हैं.

काफी कुरेदने पर भी अमर सिंह ने टिप्पणी नहीं कि सिवा इसके कि रामगोपाल परिवार के अंदर के आदमी हैं जो हमेशा रहेंगे.

इसके साथ ही सबसे बड़ी बात अमर सिंह ये कही कि वो 'बाहरी' हैं. बाहरी उन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में रहा जब अखिलेश ने इशारों में अमर सिंह पर हमला बोला और फिर उनके कड़े विरोध के बावजूद मुलायम ने उन्हें भीतरी बना दिया.

आत्मनिरीक्षण का वक्त

गाजीपुर की रैली में अखिलेश यादव का न होना कोई अचरज वाली बात नहीं थी. लेकिन अमर सिंह की कमी उस दिन खासी खली. उस रैली को मुलायम सिंह ने संबोधित किया. पहले मुलायम की रैली आजमगढ़ में होने वाली थी. अमर सिंह भी आजमगढ़ से ही आते हैं लेकिन इन दिनों वहीं एक विवाद में भी फंसे हैं.

तमाम तारीखें टलने के बाद मुलायम की रैली गाजीपुर में हुई. वैसे गाजीपुर में रैली की वजह अंसारी बंधुओं के साथ मंच शेयर करना भी रहा. इससे भी खास मौका रहा जब शिवपाल यादव ने अपने बेटे आदित्य को बाकायदा पेश किया. आदित्य ने अपनी बात भी कही.

इसे भी पढ़ें: रामगोपाल यादव की वापसी से क्या खत्म हो गया सपा का संकट?

तो क्या अमर सिंह को राम गोपाल के अंदर होने से खुद के बाहर और फिर से बाहरी हो जाने का डर सता रहा है?

अमर सिंह की बातों से तो ऐसा ही लगता है. अमर सिंह ने कहा भी, "उन्होंने बयान दिया था कि वह अमर सिंह को पार्टी से निकाल देंगे और अब वह ऐसा कर सकते हैं. मैं निष्कासित होने के लिए तैयार भी हूं. एक बार निकाला जा चुका हूं, दूसरी बार के लिए तैयार हूं."

वैसे अमर सिंह का कहना है कि ये उनके लिए आत्मनिरीक्षण का वक्त है - और कोई भी फैसला वो मुलायम सिंह से मुलाकात के बाद ही लेंगे.

कुछ भी हो. अमर सिंह मुलायम सिंह के दिल में रहें या दिल में - इससे अमर या मुलायम दोनों ही को कोई फर्क नहीं पड़ता. अमर सिंह कहते भी हैं कि दूसरे लोग भले ही इस्तेमाल करके छोड़ दें लेकिन मुलायम अपने दोस्तों को कभी नहीं भूलते. बात तो दमदार है - वो भी तब जब उस दोस्त ने 'सात साल की सजा' होने से बचाया हो. वैसे इस्तेमाल करके छोड़ने का इशारा अमर सिंह किस पर कर रहे हैं? हो सकता है मुलायम से मुलाकात के बाद ये भी बता दें.

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय