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Updated: 29 सितम्बर, 2016 10:05 PM
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जौनपुर के भौकुरा गांव में उरी के शहीद की तेरही की तैयारियां चल रही थीं. तभी सरहद पार सर्जिकल स्ट्राइक की खबर पहुंची. थोड़ी ही देर में गांव के लोग शहीद राजेश कुमार सिंह के घर उमड़ पड़े. शहीद राजेश की पत्नी बोलीं, "बहुत सुकून मिला है." यूपी के दूसरे शहीदों के घर भी ऐसा ही माहौल रहा होगा - और सभी के कलेजे को ठंडक पहुंची होगी.

डायग्नोसिस

किसी भी बीमारी में सबसे पहले निदान की जरूरत होती है. पाकिस्तान की बीमारी को लेकर कभी विदेश सचिव लेवल पर तो कभी एनएसए लेवल पर लैब टेस्ट चलते रहे. बीमारी का निदान तब हुआ जब हाफिज सईद की धमकी को दरकिनार कर राजनाथ सिंह सार्क गृह मंत्रियों के सम्मेलन में इस्लामाबाद पहुंचे. बगैर लंच किये लौटे राजनाथ ने बताया भी - बेइज्जती के बारे में बता नहीं सकते.

ट्रीटमेंट

इलाज की शुरुआत में पहले मरीज की काउंसिलिंग करना जरूरी होता है. पाकिस्तान के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी तरफ से काउंसिलिंग की तमाम कोशिशें की - जहां कहीं भी नवाज शरीफ से भेंट हुई आगे बढ़ कर मिले. जब भी मौका लगा किसी किनारे सोफे पर बैठ कर अकेले में खूब समझाया बुझाया. यहां तक कि नवाज के बर्थडे के दिन भी अपनी ओर से कोई कसर बाकी न रखी.

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मोदी की इन तमाम कोशिशों के बावजूद नवाज इतने डिप्रेशन में थे कि दूसरे शरीफ को भी नहीं समझा सके कि क्या ठीक होगा और क्या गलत. फिर प्रधानमंत्री ने गुट निरपेक्ष आंदोलन से दूरी के संकेत दिये. सम्मेलन में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी वेनेजुएला पहुंचे ही थे कि पाकिस्तान के लैब में तैयार कुछ बैक्टीरिया उरी में धावा बोल कर 18 सैनिकों को शहादत देने पर मजबूर कर दिया. अंसारी ने वेनेजुएला के मंच से ही पाकिस्तान को खरी खोटी सुनाई. प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ इतना कहा कि उरी हमले के दोषी बख्शे नहीं जाएंगे.

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...और ऑपरेशन कामयाब रहा

इलाज के दौरान भी परहेज की बजाये नवाज ने संयुक्त राष्ट्र में बुरहान नाम के बैक्टीरियल इंफेक्शन को इंतिफादा बताया - और उनके रक्षा मंत्री ने तो उरी की घटना के पीछे भारत का ही हाथ बता डाला.

ऐसी बीमारियों के एम्स संयुक्त राष्ट्र में सुषमा स्वराज ने एक बार फिर नवाज को बाकायदा ताकीद किया - और खुद प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तानी अवाम से आगे बढ़ कर संवाद किया - भाई, अपने हुक्मरानों को समझाओ. बीमारी की हालत में आराम जरूरी होता है, लेकिन किसी को बात समझ नहीं आई.

फिर तो कोई रास्ता भी नहीं बचा था - आखिरकार सर्जरी का फैसला करना पड़ा और तैयारियां युद्ध स्तर पर शुरू हो गईं.

सर्जरी

गुट निरपेक्ष आंदोलन में मोदी के न पहुंचने के साथ ही अमेरिका ने भी संकेत भांप लिया. विदेश मंत्री जॉन कैरी ने सुषमा स्वराज को दिन में दो बार फोन किया. फिर अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुसैन ई राइस ने भी अजीत डोभाल से फोन पर बात की.

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बातचीत के बाद व्हाइट हाउस की ओर से एक बयान भी जारी हुआ जिसमें 18 सितंबर के उरी हमले की निंदा की गई और कहा गया कि व्हाइट हाउस चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद और उसके सहयोगियों के खिलाफ पाकिस्तान एक्शन ले और उन्हें नेस्तनाबूद करे.

बयान में कहा गया, "अमेरिका और भारत के मजबूत रिश्तों के संदर्भ में अंबेसडर राइस ने क्षेत्रीय स्थिरता और शांति कायम करने में भारत के प्रति अपना हर कमिटमेंट पूरा करेगा - और दोनों देशों का काउंटर टेररिज्म में आपसी सहयोग बढ़ाने जिसमें संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से आतंकी घोषित करना भी शामिल है."

फिर ओटी में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई जिसमें मुल्क के टॉप मोस्ट सर्जन शरीक हुए - और ग्रीन सिग्नल मिलते ही 150 कमांडो ऑपरेशन में जुट गये. आखिर में बताया गया कि सर्जरी सफल रही.

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