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Updated: 09 दिसम्बर, 2021 06:36 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस बिपिन रावत का एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में निधन होने के बाद पूरा देश शोक में डूबा हुआ है. बिपिन रावत ने चीन और पाकिस्तान के दो मोर्चों के अलावा आतंकवाद की आंतरिक चुनौती को आधे मोर्चे के तौर पर रखते हुए भारत को ढाई मोर्चे के युद्ध के लिए तैयार करने की बात कही थी. हाइब्रिड वॉरफेयर और प्रॉक्सी वॉर जैसे मामलों पर बिपिन रावत की बेबाक राय देश के जवानों का हौंसला बढ़ाती रहती थी. हिमालयी फ्रंट पर चीन के साथ करीब 20 महीनों से चल रहे गतिरोध को लेकर भी जनरल बिपिन रावत काफी एक्टिव थे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो सीडीएस बिपिन रावत के अचानक निधन से भारत को कई मोर्चों पर झटका लगा है. खासतौर पर सेना के क्षेत्र में रिफॉर्म्स को लेकर.

impact of death of Bipin Rawat on the plans to Theater Commandभारत की तीनों सेनाओं को एकीकृत कर चार नए थिएटर कमांड स्थापित करने की योजना पर काम किया जा रहा था.

थिएटर कमांड की योजना का क्या होगा?

डिपार्टमेंट ऑफ मिलेट्री अफेयर्स के हेड सीडीएस बिपिन रावत ने कुछ समय पहले ही थिएटर कमांड बनाए जाने के लिए चल रही तैयारियों को तेज करने की बात तीनों सेनाध्यक्षों से की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी ओर से थिएटर कमांड को मूर्तरूप देने के लिए की जा रही स्टडीज की पूरी रिपोर्ट को 6 महीने के अंदर टेबल पर लाने के निर्देश भी जारी किए गए थे. इन रिपोर्ट्स को जमा करने की आखिरी तारीख में भी बदलाव किया गया था. पहले जो रिपोर्ट सितंबर 2022 तक दी जानी थी, सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने उसकी समयसीमा घटाकर अप्रैल, 2022 कर दी थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ दिनों पहले ही बिपिन रावत ने तीनों भारतीय सेनाओं के चीफ और टॉप थ्री स्टार सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी, जो थिएटर कमांड के लिए स्टडीज और इस प्लान में तेजी लाने के लिए रोडमैप बना रहे थे.

लंबे समय से अटके थिएटर कमांड के गठन की जिम्मेदारी बिपिन रावत के कंधों पर ही थी, तो उनकी भूमिका को सर्वोच्च कहा जा सकता है. माना जा रहा था कि अगले साल अप्रैल में थिएटर कमांड से जुड़ी रिपोर्ट के जमा होने के बाद बिपिन रावत अपने कार्यकाल के खत्म होने से पहले इसके गठन की योजना को पूरा कर लेते. इस स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि उनका निधन थिएटर कमांड बनाने की योजना के लिए सबसे बड़ा झटका होगा. नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के सामने सीडीएस बिपिन रावत के इस अधूरे काम को प्राथमिकता के साथ पूरा करने का अघोषित दबाव होगा.

क्या है थिएटर कमांड?

भारत की तीनों सेनाओं को एकीकृत कर थिएटर कमांड बनाने के इस मॉडल में चार नए कमांड स्थापित करने की योजना पर काम किया जा रहा था. जिनमें से जमीन पर काम करने वाली दो कमांड (इनमें से एक साइबर कमांड), एक एयर डिफेंस कमांड और एक समुद्री थिएटर कमांड बनाने का काम चल रहा था. इनके तहत भविष्य में होने वाले युद्धों और सैन्य अभियानों के लिए तीनों सेनाओं के संसाधनों के बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने की योजना है. माना जा रहा था कि थिएटर कमांड बनाने में करीब दो साल का समय लग सकता है. अलग-अलग थिएटर कमांड के अनुसार, उसमें भारतीय थलसेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना की विशेष यूनिट की तैनाती की जानी है.

इन थिएटर कमांड्स की जिम्मेदारी तीनों सेनाओं में से किसी भी अधिकारी को उसके कमांड की प्रकृति और रोल के अनुरूप दी जा सकती है. चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को देखते हुए थिएटर कमांड बनाए जाने के लिए डेडलाइन तय करना बहुत जरूरी है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारत जितनी जल्दी थिएटर कमांड का गठन कर लेगा, उसके लिए ये उतना ही बेहतर होगा. लगातार उभर कर सामने आ रहे जियोस्ट्रेटजिक समीकरणों को देखते हुए थिएटर कमांड की जरूरत को नकारा नहीं जा सकता है. किसी भी संभावित युद्ध से निपटने के लिए थिएटर कमांड ज्‍यादा प्रभावी होंगी. 

कहां आ रही थी अड़चन?

इसी साल जून में केंद्र सरकार ने सीडीएस बिपिन रावत की अध्यक्षता में थिएटर कमांड बनाने के प्लान को तेजी से पूरा करने और इसमें खास तौर से भारतीय वायुसेना को शामिल करने के लिए आठ सदस्यों के पैनल का गठन किया था. दरअसल, भारतीय वायुसेना की ओर से थिएटर कमांड को लेकर संसाधनों के बंटवारे, नेतृत्व और सेना प्रमुखों की शक्तियों के कमजोर होने पर चिंता जताई जाती रही है. हालांकि, अक्टूबर में एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने कहा था कि भारतीय वायुसेना तीनों सेनाओं के एकीकरण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और उनकी चिंताओं को योजना प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया है. दरअसल, अंडमान और निकोबार के त्रि-सैन्य कमांड और स्ट्रेटजिक फोर्सेस कमांड को छोड़कर पूरे देश में सुरक्षा बलों के अलग-अलग 17 सिंगल सर्विस कमांड बने हुए हैं.

जिनमें से भारतीय थलसेना और भारतीय वायुसेना के अंतर्गत सात-सात कमांड और भारतीय नौसेना के पास तीन कमांड हैं. इन सभी कमांड को मिलाकर थिएटर कमांड बनाने की योजना की जा रही है. जिसमें नॉर्दर्न कमांड को शामिल नहीं किया जाएगा. उधमपुर स्थित सेना के नॉर्दर्न कमांड, इकलौती ऐसी कमांड होगी, जिसे तीनों सेनाओं के एकीकृत करने के प्लान से बाहर रखा गया है. नॉर्दर्न कमांड को उसकी विशेष भूमिका की वजह से इससे बाहर रखा गया है. दरअसल, नॉर्दर्न कमांड पर पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं की रक्षा की जिम्मेदारी के साथ ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवादविरोधी अभियानों को चलाने की भी जिम्मेदारी है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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