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Updated: 22 जनवरी, 2020 09:33 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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राजनीति में धर्म का तड़का या फिर देवी देवताओं का अपमान. आज भले ही ये सब हमारी नजरों के सामने से गुजर रहा हो. मगर देश की सियासत में ये नया बिलकुल नहीं है. उत्तर से लेकर दक्षिण तक समय समय पर राजनीतिक लाभ लेने के लिए धर्म के तड़के का इस्तेमाल हुआ है. ऐसी चीजों को लेकर खुलासे प्रायः कम होते हैं लेकिन जब ये सामने आते हैं भूचाल आ जाता है. तमिलनाडु का हाल अभी कुछ ऐसा ही है. सुपरस्टार रजनीकांत ने पेरियार (Rajnikanth Periyar controversy) को लेकर एक बड़ा खुलासा किया. रजनीकांत के बयान ने इस हद तक तूल पकड़ा कि तमिलनाडु (Tamilnadu Protest against Rajnikanth) में विवाद हो गया है. सूबा दो गुटों में बंटा है.एक वर्ग रजनीकांत के साथ है. जबकि दूसरा उनके विरोध में है. बता दें कि अभी बीते दिनों ही तमिल मैगजीन तुगलक (Rajnikanth interview to Thuglak magazine) को दिए गए एक इंटरव्यू में रजनीकांत ने पेरियार का जिक्र करते हुए दावा पेश किया था कि पेरियार ने 1971 में सलेम में आयोजित एक रैली में भगवान राम और सीता (Periyar Over Ram and Sita) की वस्त्रहीन तस्वीरों का इस्तेमाल किया था.

रजनीकांत, पेरियार, राम, सीता, विरोध,Rajinikanthपेरियार को लेकर जो कुछ भी रजनीकांत ने कहा है उसके बाद तमिलनाडु की सियासत में घमासान तो मचना ही था

रजनीकांत का इस किस्से का जिक्र करना भर था. तमिलनाडु की मुख्‍य विपक्षी पार्टी डीएमके को पेरियार पर लगे ये आरोप न सिर्फ बुरे लगे बल्कि उसने रजनीकांत के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (ए) के तहत मामला दर्ज  कराया है. ध्यान रहे कि रजनीकांत ने मैगजीन को दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि पेरियार हिंदू देवताओं के कट्टर आलोचक थे परंतु उस समय किसी ने भी पेरियार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद नहीं की थी.

मामले को लेकर रजनीकांत के खिलाफ प्रदर्शन जारी है मगर रजनीकांत अपनी बात पर अडिग हैं और उन्होंने माफी मांगने से भी इनकार कर दिया है, मीडिया से हुई बातचीत में रजनीकांत ने इस बात को स्वीकारा है कि उन्होंने जो पेरियार के बारे में जो कहा, वह बिल्कुल सत्य है और रिपोर्ट पर आधारित है इसलिए वह माफी नहीं मांगेंगे.

अपनी सफाई में रजनीकांत ने मीडिया से बस इतना ही कहा कि पेरियार की रैली के विषय जो मैंने कहा कि वह बिल्कुल सच था.' रजनीकांत ने कहा कि वह रिपोर्ट के आधार पर है और उस दौर के कई अखबारों ने इसे प्रमुखता से छापा था.

पेरियार जैसे सोशल रिफार्मर पर रजनीकांत के आरोप कितने सही है या फिर कितने गलत इसपर अभी कोई बात कहना जल्दबाजी है लेकिन इस पूरे मामले को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. लोग सड़कों पर हैं और लगातार यही मांग की जा रही है कि इस बेतुके बयान पर रजनीकांत माफ़ी मांगें साथ ही उन्हें इसके लिए सजा भी मिले.

राम और सीता पर क्या सोच रखते थे पेरियार

दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु में राजनीति के अलावा बदलाव के पुराधा रहे रामासामी पेरियार का शुमार रामायण, भगवान श्री राम और माता सीता के प्रबल आलोचकों में था. अपनी बात सिद्ध करने के लिए खुद पेरियार ने रामायण लिखी थी जिसमें उन्होंने वाल्मीकि के विचार को चैलेन्ज करते हुए तमाम अभद्र टिप्पणियां की थीं. अपनी रामायण में पेरियार ने भगवान राम की तुलना रावण से करते हुए कहा था कि राम और रावण दोनों ही स्वाभाव में एक जैसे थे तो फिर राम अच्छे और रावण बुरा कैसे हो गया?

तकरीबन 50 साल पहले लिखी गई इस किताब में पेरियार ने वाल्मीकि को ढाल बनाते हुए हिंदू धर्म और उत्तर भारतीयों की तीखी आलोचना की थी. पेरियार ने कहा था कि वाल्मीकि की रामायण में उत्तर भारत में आर्य जातियों को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है और दक्षिण भारतीय द्रविड़ों को क्रूर, हिंसक, अत्याचारी जैसे विशेषण लगाकर न केवल अपमानित किया गया है.

बल्कि राम-रावण कलह को केन्द्र बनाकर राम की रावण पर विजय को दैवी शक्ति की आसुरी शक्ति पर, सत्य की असत्य पर और अच्छाई की बुराई पर विजय के रूप में गौरवान्वित किया गया है. यानी अगर हम पेरियार की नजर से रामायण का अवलोकन करें तो ऐसे तमाम विरोधाभास हमारे सामने आते हैं जो न सिर्फ कन्फ्यूज करते हैं बल्कि ये भी बताते हैं कि अपनी बातों से पेरियार साफ़ तौर आर उत्तर और दक्षिण के लोगों को बांटने का काम कर रहे हैं.

बहरहाल अब जबकि हम पेरियार को जान चुके हैं. तो ये कहना भी गलत नहीं है कि पेरियार का वो चेहरा रजनी ने देश की जनता को दिखाया है जिसके बारे में शायद ही कभी किसी ने सोचा हो. खैर एक बड़ा वर्ग रजनीकांत के समर्थन में है. रजनी समर्थकों का यही कहना है कि उन्होंने किसी बात की परवाह न करते हुए एक सही बात को तमिलनाडु की जनता के सामने रखा है. इसलिए उन्हें माफ़ी तो हरगिज़ नहीं मांगनी चाहिए. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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