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Updated: 25 अप्रिल, 2017 01:43 PM
रीमा पाराशर
रीमा पाराशर
  @reema.parashar.315
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एआईएडीएमके के दोनों गुटों के विलय में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है. दोनों खेमे इस पर सहमत हो चुके हैं और विलय को अंतिम रूप दिया जा रहा है. जयललिता के निधन के बाद से ही एआईएडीएमके के अन्दर उठा-पटक का दौर जारी है. खबरों और चर्चा में हमेशा ये रहा कि बीजेपी पर्दे के पीछे से पार्टी के अन्दर मचे घमासान में एक खास गुट को समर्थन दे रही है. लेकिन अब जो बातें सामने आ रही हैं उससे बीजेपी का रोल साफ नजर आ रहा है.

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तमिलनाडु राजनीतिक दृष्टि से बीजेपी के लिए दक्षिण का एक अति विशिष्ट राज्य है. 2019 और उस से पहले राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी तमिलनाडु बीजेपी के लिये काफी अहम है. सूत्र बताते हैं कि जयललिता की मौत के बाद जब खुद प्रधानमंत्री ने शशिकला को आशिर्वाद दिया तो भाजपा को लगा कि अब दक्षिण की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाली शशिकला से नजदीकियां आसान हो जाएंगी, बीजेपी ने उनके सामने एनडीए का हिस्सा बनने का प्रस्ताव रखा था जिसपर उन्होंने नाक भौं सिकोड़े और यहीं से शुरू हुआ भाजपा का ऑपरेशन एआईएडीएमके. पन्नीरसेल्वम के विद्रोह ने पार्टी को मुह मांगा अवसर दे दिया और पार्टी ने पीछे से विद्रोही गुट को अपना पूरा समर्थन दिया.

तमिलनाडु की द्रविड़ियन राजनीति में अपनी पैठ बढ़ाने का ये सुनहरा अवसर भाजपा गंवाना नहीं चाहती थी. पार्टी ने इसके लिए साम दाम दंड भेद सबका सहारा लिया. रही सही कसार सुप्रीम कोर्ट द्वारा शशिकला को दोषी ठहराये जाने ने पूरी कर दी. पार्टी के वरिष्ठ नेता थम्बीदुराई जो उससे पहले तक शशिकला कैंप में थे, अचानक उन्होंने पाला बदलना शुरू कर दिया.

thambidurai-650_042517121205.jpg पार्टी के वरिष्ठ नेता थम्बीदुराई

सूत्र बताते हैं कि अप्रैल के पहले सप्ताह में उन्होंने एआईएडीएमके के चार अन्य सांसदों के साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी. इस बैठक में पार्टी के अन्दर शशिकला के वर्चस्व को खत्म करने की रणनीति पर चर्चा हुई. भाजपा ने बैठक में अपना आकलन एआईएडीएमके नाताओं के सामने रखा कि अगर शशिकला को नहीं हटाया गया तो पार्टी डूब जाएगी और सत्ता डीएमके और कांग्रेस के हाथ में चली जाएगी. इससे पहले संसद में मोदी के साथ भी थम्बीदुराई मंत्रणा कर चुके थे.

एक तरफ भाजपा एआईएडीएमके को राजनीतिक भय दिखा रही थी वहीं साथ में ये भी संकेत दे रही थी कि अगर शशिकला पार्टी में बनी रहती हैं तो केंद्र से फिर किसी मदद की उम्मीद न की जाये. भाजपा सूत्र यह भी बताते हैं कि एआईएडीएमके के कई नेता भाजपा के संपर्क में थे और पार्टी में चल रहे उठापटक पर लगातार विचार विमर्श चल रहा था. भाजपा आलकमान ने एआईएडीएमके के साथ बातचीत और उसपर रणनीति बनाने का ज़िम्मा पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री वैंकिया नायडू को दिया.

जयललिता की सीट पर उपचुनाव में मचे घमासान, चुनाव आयोग द्वारा पार्टी के चुनाव चिन्ह जब्त कर लेना और दिनाकरण पर चुनाव आयोग के फैसले को पैसे से प्रभावित करने की कोशिश के आरोप ने एआईएडीएमके के नेताओं को ‘मन्नारगुडी क्लाइन’ के खिलाफ विद्रोह करने के लिए आवश्यक हथियार मुहैया करा दिया. लेकिन एआईएडीएमके के नेता भी मानते हैं कि अगर पलानिस्वामी खेमा झुकने के लिए तैयार हो गया तो उसमें केंद्रीय एजेंसीज के द्वारा की जा रही करवाई की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. पहले मुख्य सचिव के घर पर छापा, फिर स्वस्थ्य मंत्री के घर छापा और कई मंत्रियों के पास सेंट्रल एजेंसीज के फोन ने मुख्यमंत्री खेमे को हथियार डालने पर मजबूर कर दिया.

पार्टी में विलय होते ही ये साफ हो जायेगा कि शशिकला और उनका परिवार एआईएडीएमके से पूरी तरह बाहर हो जायेगा. पार्टी को चुनाव चिन्ह वापस मिल जायेगा. भाजपा को उम्मीद है कि इसके बाद एआईएडीएमके, एनडीए का हिस्सा बन जाएगी. अगर ऐसा होता है तो राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव जीतना भाजपा के लिया आसान हो जाएगा.

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लेखक

रीमा पाराशर रीमा पाराशर @reema.parashar.315

लेखिका आज तक में पत्रकार हैं.

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