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Updated: 06 मई, 2021 12:08 AM
धीरेंद्र राय
धीरेंद्र राय
  @dhirendra.rai01
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पश्चिम बंगाल चुनाव में हिंदू नेशनलिस्ट पार्टी बीजेपी को विजयी घोषित कर दिया गया है. जिस तरह से बीजेपी जीती है, उसको लेकर चुनाव आयोग से सवाल-जवाब हो ही रहे थे कि अचानक बंगाल में खूनखराबा शुरू हो गया. इसकी आंशका बुद्धिजीवी और राजनीति के जानकार बहुत पहले से जता रहे थे. चुनाव जीतने के साथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं (BJP goons) ने अपने खूनी दांत निकाल लिए हैं, और एक एक कर टीएमसी कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहे हैं. कई जगहों पर टीएमसी कार्यकर्ताओं के नाम पर मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा हैं. हमलावरों के मुंह से जयश्री राम के नारे सुने जा रहे हैं. बड़े पैमाने पर हत्याओं का सिलसिला जारी है. अब समझ में आ रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह घुसपैठियों को मजा चखाने की बात करते थे, तो उसका मकसद क्या था. शहर से लेकर गांव तक बंगाल में 2002 वाले गुजरात सा नजरा है. इस खूनखराबे के पूरी तरह भयंकर सांप्रदायिक दंगों में बदल जाने की आशंका है.

बंगाल में बीजेपी की जीत के साथ आसमान में गुलाल है. भाजपाइयों के गले में केसरिया गमछा, औेर हाथों में खून है. सीतलकुची में युवक को गोली मार दी गई है. बीजेपी कार्यकर्ता एक टीएमसी नेता के घर में घुस गए. उसके पूरे परिवार को पहले बुरी तरह पीटा. पत्नी के दांत तोड़ दिए. फिर टीएमसी नेता को सड़क पर लाकर इतना मारा, कि उसकी वहीं मौत हो गई. नतीजे आने के बाद से चुनाव जीत चुके टीएमसी विधायकों को निशाना बनाया जा रहा है. उनकी कारों पर हमले हो रहे हैं. कई नवनिर्वाचित टीएमसी विधायक तो अपनी जान बचाने के लिए भूमिगत हो गए हैं. कई जगहों पर टीएमसी के दफ्तरों में तोड़फोड़ की गई, और आग लगा दी गई. नंदीग्राम की चर्चित सीट, जहां से ममता बनर्जी अपना चुनाव जीत गई हैं, वहां के निर्वाचन अधिकारी को जान से मारने की धमकी दी गई है.

इन तमाम हिंसक वारदातों के बीच बीजेपी की राज्य इकाई आरोप प्रत्यारोप में लगी है. जिस तरह पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है, उससे लगता है कि उन्हें एक्शन न लेने का निर्देश दे दिये गए हैं. प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने दिखावे के लिए बंगाल में हिंसा बंद होने की अपील की है, लेकिन इसके लिए उन्होंने उलटे ममता बनर्जी और टीएमसी को जिम्मेदार ठहरा दिया है. बंगाल से आ रही हिंसा की तस्वीरों और वीडियो को बीजेपी नेतृत्व लेफ्ट और टीएमसी का प्रोपोगंडा बता रहा है. और हिंसा होने के सबूतों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहा है.

देशभर के 500 बुद्धिजीवियों ने राष्ट्रपति से सेना भेजने की मांग की!

बंगाल के सिने और साहित्य जगत के अलावा देशभर की नामी हस्तियों ने अपने हस्ताक्षर करके बंगाल हिंसा को लेकर राष्ट्रपति के नाम पत्र लिखा है. भाजपा नेतृत्व पर आरोप लगाते इन हस्तियों ने कहा है कि बंगाल की धर्मनिरपेक्ष परंपराओं को चूरचूर करते हुए जिस तरह हिंसा फैलाई गई, वह बंगाल के इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज रहेगा. उन्होंने राष्ट्रपति से बंगाल को लेकर तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की गई है. बुद्धिजीवियों ने मांग की है कि बंगाल के लोगों की सुरक्षा के लिए तुरंत आर्मी को भेजा जाए. उन्होंने अल्टीमेटम दिया है कि यदि ये हिंसा नहीं रुकी तो वे देश ही नहीं, दुनिया में इसको लेकर आवाज उठाएंगे.

West Bengal violenceअरे, बंगाल हिंसा के पीछे भी दोषी वो ही तो है!

इधर, दिल्ली स्थित सिविल लिबर्टी से जुड़े एनजीओ के प्रमुख और प्रख्यात वकील ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जनहित याचिका दायर कर इस पर तुरंत सुनवाई की अपील की है. बंगाल की हिंसा में बड़े पैमाने पर सत्ताधारी बीजेपी का हाथ होने की बात कहते हुए याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय से मांग की है कि तुरंत केंद्र सरकार, खासकर गृहमंत्री को तलब कर मामले की जानकारी ली जाए. और बंगाल में हुए नरसंहार की सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग में जांच हो.

चुनाव आयोग पर धांधली का आरोप, नतीजे रद्द करने की मांग!

बंगाल चुनाव नतीजों पर नजर रख रहे राजनीतिक पर्यवेक्षक मान रहे हैं कि चुनाव नतीजों में बड़े पैमाने पर उच्चस्तरीय धांधली हुई है. चुनाव आयोग ने केंद्र के दबाव में जानबूझकर इन गड़बड़ियों को होने दिया. काउंटिंग सेंटर्स पर बैठे टीएमसी कार्यकर्ताओं की शिकायतों को अनदेखा किया गया. नतीजे से पहले बीजेपी और टीएमसी में कांटे की टक्कर दिख रही थी, लेकिन जिस तरह बीजेपी को 200 से ऊपर सीटें मिली हैं, वो चुनाव आयोग की मेहरबानी के बिना नहीं हो सकता. ममता बनर्जी ने नतीजों को रद्द घोषित किए जाने की मांग की है. उन्होंने वैश्विक समुदाय और संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि वे मोदी सरकार पर दबाव बनाएं, जो बंगाल में बदले की कार्रवाई करते हुए राजनैतिक खूनखराबा करवा रही है. इधर, दिल्ली में विपक्षी पार्टियों ने भी राष्ट्रपति के नाम एक संयुक्त ज्ञापन भेजने की बात कही है.

कोरोना संभालने में विफल मोदी सरकार ध्यान भटकाना चाहती है!

एक ऐसे समय, जब भारत कोरोना संक्रमण को लेकर ग्लोबल हॉटस्पॉट बन रहा था, प्रधानमंत्री मोदी बंगाल चुनाव प्रचार में व्यस्त थे. अब चुनाव जीत जाने के बाद भी उनकी पार्टी का मन नहीं भरा है. कोरोना के मामले में जब दुनियाभर में मोदी सरकार की किरकिरी हो रही है, तो उससे ध्यान हटाने के लिए बंगाल में खूनखराबा शुरू करवा दिया है. बंगाल चुनाव में जिस तरह लोकतंत्र को हाईजैक करके बीजेपी की जीत हुई है. कोरोना के कारण लोग मर रहे हैं. बीजेपी नेतृत्व अब बंगाल की राजनीतिक हिंसा का भागीदार भी बन रहा है. एक अकेली महिला ममता बनर्जी से मिले चैलेंज को लेकर बौखलाई बीजेपी बंगाल में जो कर रही है, उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

(उलटबांसी)

लेखक

धीरेंद्र राय धीरेंद्र राय @dhirendra.rai01

लेखक ichowk.in के संपादक हैं.

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